पूर्णिया पोषण पखवाड़े में राज्य में पहले स्थान पर
पूर्णिया:समेकित बाल विकास परियोजना द्वारा जिले के सभी आंगनवाड़ी केंद्रों में 8 अप्रैल से 22 अप्रैल तक पोषण पखवाड़े का आयोजन किया गया। इस दौरान गर्भवती महिलाओं और शिशुओं को कुपोषण से बचाने के लिए जरूरी पोषण की जानकारी दी गई। आंगनवाड़ी सेविकाओं और सहायिकाओं ने हर दिन पांच गतिविधियों का आयोजन किया। इन गतिविधियों के जरिए लोगों को बताया गया कि माँ और बच्चे को सुपोषित रखने के लिए क्या खाना जरूरी है।

पखवाड़े के दौरान जिले के 3 हजार 438 आंगनवाड़ी केंद्रों में कुल 2 लाख 7 हजार 614 गतिविधियां हुईं। यह संख्या आईसीडीएस द्वारा तय लक्ष्य का 100% है। इस उपलब्धि के साथ पूर्णिया जिला राज्य में पहले स्थान पर रहा।
राष्ट्रीय पोषण अभियान के तहत हर साल एक बार पोषण पखवाड़ा मनाया जाता है। इसका उद्देश्य गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं को कुपोषण से बचाना है। इस बार लोगों को मोटे अनाज के उपयोग के लिए जागरूक किया गया। मोटे अनाज में भरपूर पोषक तत्व होते हैं, जो माँ और बच्चे के लिए जरूरी हैं।

वरिष्ठ उप समाहर्ता सह डीपीओ आईसीडीएस डेजी रानी ने बताया कि जिला पदाधिकारी के निर्देश पर पोषण पखवाड़े को उत्सव की तरह मनाया गया। सेविकाओं ने लोगों को बताया कि गर्भावस्था के दौरान सही पोषण न मिलने पर माँ और बच्चा दोनों कुपोषित हो सकते हैं। गर्भवती महिला को पोषण युक्त भोजन देना जरूरी है। जन्म के बाद नवजात को छह माह तक सिर्फ माँ का दूध देना चाहिए। छह माह बाद अतिरिक्त पौष्टिक आहार देना चाहिए।
बच्चों को मोटे अनाज, मौसमी फल और सब्जियों का सेवन कराना चाहिए। इससे बच्चों को पूरा पोषण मिलता है और वे स्वस्थ रहते हैं। पोषण पखवाड़े को जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने “सुनहरे 1000 दिन” अभियान से जोड़ा है। इसका उद्देश्य गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं को स्वस्थ रखना है।