छपरा प्रजनन संबंधित आपातकालीन जटिलताओं में हिस्टरेक्टमी( गर्भाशय को शरीर से निकालने) की सलाह दी जाती है। इस प्रक्रिया के बाद गर्भाशय निकाल दिया जाता है, जिससे माँ बनने की संभावनाएं खत्म हो जाती है। इसलिए हिस्टरेक्टमी के वक़्त योग्य चिकित्सक की सलाह एवं उपयुक्त स्वास्थ्य केंद्र का चुनाव जरूरी है।
हिस्टरेक्टमी के पूर्व दवाओं से प्रबंधन पर बल
स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ सदर अस्पताल डॉ. नीला सिंह ने बताया कि 40 साल से पहले हिस्टरेक्टमी से परहेज करना चाहिए। गर्भाशय में गाँठ बनने, मासिक धर्म से जुड़ी गंभीर जटिलताएं एवं गर्भाशय से असामान्य रक्त निकलने की आपातकालीन परिस्थिति में ही गर्भाशय सर्जरी की सलाह दी जाती है। हिस्टरेक्टमी के बाद कोई महिला माँ नहीं बन सकती। इसलिए हिस्टरेक्टमी से पहले दवाओं द्वारा जटिलता प्रबंधन पर ध्यान दिया जाता है। निजी अस्पतालों की अपेक्षा सरकारी अस्पतालों में हिस्टरेक्टमी की सही सलाह दी जा सकती है। योग्य चिकित्सक के राय के बिना हिस्टरेक्टमी नहीं करानी चाहिए। हिस्टरेक्टमी टालने के लिए दवाओं के अलावा अन्य वैकल्पिक साधन भी उपलब्ध हैं। इसलिए सर्जरी कराने की कभी भी जल्दीबाजी नहीं करनी चाहिए।
यह हैं प्रकार : हिस्टरेक्टमी करने की कुल तीन विधियाँ है।
एब्डोमिनल हिस्टरेक्टमी : एब्डोमिनल हिस्टरेक्टमी एक शल्य क्रिया है जिसमें पेट में एक बड़ा काट बनाया जाता है और इसके द्वारा गर्भाशय को निकाला जाता है। इस क्रिया के बाद अपने रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में वापस लौटने में कुछ वक़्त लगता है।- लैप्रोस्कोपिक हिस्टरेक्टमी: इस क्रिया में पेट में कम से कम काट किए जाते हैं। पेट के निचले हिस्से में एक छोटा सा काट किया जाता है जिससे एक छोटी ट्यूब जैसे लैप्रोस्कोप को अंदर डाली जाती है। इस लैप्रोस्कोप में एक कैमरा लगा होता है जिससे सभी अंगों को साफ़-साफ़ देखने में मदद मिलती है। – वजाइनल हिस्टरेक्टमी: इस क्रिया में पेट में कोई काट ना करके गर्भाशय को योनि के द्वारा निकाला जाता है। प्रक्रिया कराने के बाद मरीज़ का हॉस्पिटल में केवल एक या दो दिनों के लिए ठहराव होता है और यह प्रक्रिया लगभग दर्द रहित होती है।
हिस्टरेक्टमी के बाद इन बातों का रखें ख्याल
अपने रोज़मर्रा के काम करते रहें। अधिक आराम ना करें-भारी चीज़ें ना उठाए – रोज़ हल्का व्यायाम करे जैसे की स्ट्रेचिंग एवं योग -अधिकतर फाइबर वाला खाना खाएं ताकि कब्ज से बचा जा सके-ज़्यादा तनाव ना लें और अपने शरीर में होने वाले बदलावों को अपनाएं-वजाइनल हिस्टरेक्टमी कराने के बाद कुछ दिन यौन-संबंध करने से परहेज़ करें
क्या कहते हैं आंकड़ें
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के अनुसार बिहार में 30 साल से कम उम्र की 1 प्रतिशत, 30 से 39 साल की 8.2 प्रतिशत एवं 40 से 49 वर्ष की 14.5 महिलाएं हिस्टरेक्टमी कराती हैं। बिहार के शहरी क्षेत्र में 5.2 एवं ग्रामीण क्षेत्र में 5.4 प्रतिशत महिलाएं हिस्टरेक्टमी कराती हैं।
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