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टीबी अब लाइलाज नहीं पर पूरी सतर्कता और सावधानी जरूरी

  • सरकारी अस्पतालों में सही समय पर जांच और इलाज के बाद टीबी मरीजों को सरकार द्वारा दी जाती है सहायता राशि

किशनगंज(बिहार)टीबी विश्व भर में सबसे संक्रामक रोग है जिससे प्रत्येक वर्ष कई लोगों को अपनी जान गंवानी पढ़ती है।कोविड-19 के कारण वर्ष 2020 में जितनी मौतें हुयी हैं , उससे लगभग 5 लाख अधिक मौतें सिर्फ टीबी के कारण हुयी है।लेकिन टीबी अब यह लाइलाज नहीं है। इससे बचाव के लिए पूरी सतर्कता और सावधानी बेहद जरूरी है। इसके साथ ही सही समय पर यानी शुरुआती दौर में ही लक्षण दिखने के बाद इसकी सही जांच और समुचित इलाज कराना भी जरूरी है। इस दौरान इस बात का भी विशेष ख्याल रखें कि बीमारी के ठीक होने तक दवाई का क्रम छूटने न पाए।

टीबी के लक्षण दिखते ही तत्काल स्वास्थ्य संस्थान में कराएं जाँच :
जिले के सिविल सर्जन डॉ. श्री नंदन ने बताया कि टीबी का लक्षण दिखते ही ऐसे मरीजों को तुरंत स्थानीय सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में जाँच करानी चाहिए।जाँच के पश्चात चिकित्सकीय परामर्श के अनुसार इलाज कराना चाहिए।ताकि समय रहते आसानी के साथ इस बीमारी को मात दी जा सके और अन्य लोगों को भी सुरक्षित रखा जा सके। बीमारी के स्थाई निजात के लिए शुरुआती दौर में ही जांच और इलाज कराना बेहद जरूरी है। जिले के सभी सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में निःशुल्क जाँच एवं दवाई की सुविधा उपलब्ध है। इसके साथ ही ऐसे मरीजों को उचित पोषक आहार लेने के लिए आर्थिक सहायता राशि भी दी जाती है।
बीमारी से स्थाई निजात के लिए सही समय और सही जांच और समुचित इलाज जरूरी :
टीबी से स्थाई निजात पाने सही समय पर सही जांच और समुचित इलाज जरूरी है। सभी सरकारी अस्पतालों में सही जांच के साथ छह महीने तक निःशुल्क इलाज के साथ ही दवाई की भी सुविधा उपलब्ध है। इसके साथ ही टीबी मरीज को आवश्यक पोषक तत्व की पूर्ति के लिए पोषक तत्वों से युक्त भोजन करने के लिए प्रति महीने पांच सौ रुपये की दर से पूरी अवधि तक उचित खान-पान के लिए सहायता राशि दी जाती है।
टीबी के मरीज के लिए फेस मास्क का इस्तेमाल आवश्यक :
सिविल सर्जन डॉ. श्री नंदन ने कहा टीबी संक्रमण की रोकथाम के लिए सर्जिकल मास्क के साथ अच्छी गुणवत्ता वाले कपड़े के मास्क का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।टीबी प्रभावित क्षेत्रों में यह सुनिश्चित कराना काफ़ी जरूरी है कि किन्हें, कब और कैसे मास्क पहनने की अधिक जरूरत है। टीबी के केस में एयर बोर्न पार्टिकल बाहरी वातावरण में जल्दी गायब हो जाते हैं, इसलिए इनडोर में फेस मास्क के इस्तेमाल पर अधिक जोर देने की जरूरत है। यद्यपि, कोरोना महामारी के कारण टीबी देखभाल कमजोर हुआ है लेकिन महामारी के कारण फेस मास्क के इस्तेमाल में हुयी बढ़ोतरी टीबी रोकथाम की दिशा में एक बेहतर अवसर साबित हो सकता है।
ये हैं टीबी के लक्षण:

  • भूख न लगना या कम लगना तथा वजन का अचानक से कम हो जाना।
  • बेचैनी एवं सुस्ती रहना, सीने में दर्द का एहसास होना, थकावट व रात में पसीना आना।
  • हलका बुखार का रहना।
  • खांसी , खांसी में बलगम तथा बलगम में खून आना। कभी-कभी जोर से अचानक खांसी में खून आ जाना।
  • गर्दन की लिम्फ ग्रंथियों में सूजन आ जाना तथा वहीं फोड़ा होना।
  • गहरी सांस लेने में सीने में दर्द होना, कमर की हड्डी पर सूजन, घुटने में दर्द, घुटने मोड़ने में परेशानी आदि।
  • महिलाओं को बुखार के साथ गर्दन जकड़ना, आंखें ऊपर को चढ़ना या बेहोशी आना ट्यूबरकुलस मेनिन्जाइटिस के लक्षण हैं।
  • पेट की टीबी में पेट दर्द,अतिसार या दस्त, पेट फूलना आदि होते हैं।
  • टीबी न्यूमोनिया के लक्षण में तेज बुखार, खांसी व छाती में दर्द होता है।
  • टीबी मरीजों को क्या करना चाहिए।
  • लगातार दो हफ्तों से ज्यादा खांसी रहने पर बलगम की जांच कराएं।
  • जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद डॉक्टर की सलाह के अनुसार टीबी की दवा का पूरा कोर्स लें।
  • हमेशा मास्क पहनें या हर बार खांसने या छींकने से पहले मुंह को रुमाल या पेपर नैपकिन से कवर करें।
  • टीबी मरीज किसी एक प्लास्टिक बैग में थूकें और उसमें फिनाइल डालकर अच्छी तरह बंद करने के बाद डस्टबिन में डाल दें।
  • लगातार खांसी होने पर डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
  • टीबी मरीज हवादार और अच्छी रोशनी वाले कमरे में ही रहें ।
  • हमेशा पौष्टिक खाना खाएं व योग और व्यायाम करें।
  • बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, तंबाकू, शराब आदि से परहेज करें।
  • भीड़भाड़ वाली जगहों और गंदी जगहों पर जाने से बचें।
    -टीबी के मरीजो को क्या नहीं करना चाहिए।
  • डॉक्टर से बिना पूछे दवा बंद न करें ।
  • टीबी के मरीज को यहां-वहां नहीं थूकने से परहेज करें।
  • टीबी के मरीज निदान के लिए एक्सरे पर निर्भर न रहे।
  • टीबी के मरीजो से भेद-भाव न करे।