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जन कल्याण में दयानन्द सरस्वती के आदर्शों का योगदान महत्त्वपूर्ण- प्रो. आर.सी. कुहाड़

हकेवि में स्वामी दयानन्द सरस्वती के बोध दिवस पर हवन का हुआ आयोजन
कुलपति ने स्वामी जी को श्रद्धासुमन अर्पित किए

महेंद्रगढ़(हरियाणा)भारतीय संस्कृति व समाज सुधार के क्षेत्र में देश को एक नई राह दिखाने और युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत आर्यसमाज के संस्थापक स्वामी दयानन्द सरस्वती के बोध दिवस के अवसर पर हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ में हवन का आयोजन किया गया। विश्वविद्यालय की स्वामी दयानन्द सरस्वती पीठ के द्वारा महाशिवरात्रि के अवसर पर आयोजित इस हवन में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.सी. कुहाड़ सहित विश्वविद्यालय के शिक्षकों, शिक्षणेतर कर्मचारियों, विद्यार्थियों व शोधार्थियों ने हिस्सा लिया। कुलपति ने इस अवसर पर कहा कि स्वामी जी का जीवन और उससे संबंधित विभिन्न परियोजन हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। हमें उनके अनुभवों व विचारों को आत्मसात कर समाज कल्याण में योगदान देना चाहिए।
प्रो. आर.सी. कुहाड़ ने इस अवसर पर महाशिवरात्रि के स्वामी जी के जीवन में महत्त्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि किस तरह से इस दिन स्वामी जी को बोध की प्राप्ति हुई थी और उन्होंने भगवान शिव की सच्ची अराधना को समझते हुए जन-जन तक पहुँचाने का काम किया। कुलपति ने इस अवसर पर विद्यार्थियों को भारतीय संस्कृति, महापुरुषों और विद्वानों के जीवन से समाज व स्वयं की बेहतरी के लिए कार्य करने की प्रेरणा दी। उन्होंने न्यूटन का जिक्र करते हुए कहा कि यदि उन्होंने पेड़ से सेब गिरने की सामान्य सी प्रक्रिया को गंभीरता से न लिया होता तो गुरुत्त्वाकर्षण का सिद्धांत विकसित न करते। कुलपति ने विश्वविद्यालय में होने वाले विभिन्न आयोजनों में सभी वर्गों की सहभागिता को सकारात्मक ऊर्जा के संचार के लिए आवश्यक बताया। इस अवसर पर उन्होंने स्वामी जी को नमन किया और पुष्प अर्पित किए।
विश्वविद्यालय के स्वामी दयानन्द सरस्वती पीठ के पीठाचार्य प्रो. रणवीर सिंह ने स्वामी जी के जीवन आदर्शों से प्रतिभागियों को अवगत कराया और जनहित में कार्य करने के लिए प्रेरित किया। विश्वविद्यालय में आयोजित इस कार्यक्रम में विभिन्न विभागों के शिक्षक, अधिकारी, शिक्षणेतर कर्मचारी, शोधार्थी व विद्यार्थी उपस्थित रहे।