स्थानीय स्तर पर पंचायत जनप्रतिनिधियों के सहयोग से मिलेगी सफ़लता
झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले असहाय एवं कुपोषित व्यक्तियों में टीबी होने की संभावना : डॉ सौरभ
डब्लूएचओ एवं केयर इंडिया की टीम प्रखंड स्तर पर करेगी सहयोग: डीपीएस
पूर्णिया(बिहार)‘टीबी हारेगा देश जीतेगा, टीबी मिटाना हैं देश बचाना हैं’ स्लोगन के साथ टीबी उन्मूलन के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग के ज़िला यक्ष्मा केंद्र द्वारा जन-आंदोलन चलाने का निर्णय लिया गया है। टीबी मुक्त जन-आंदोलन अभियान के सफल क्रियान्वयन को लेकर राज्यस्तरीय ऑनलाइन बैठक आयोजित कर इस अभियान का शुभारंभ किया गया है। टीबी मुक्त अभियान की सफ़लता के लिए कई तरह के महत्वपूर्ण बिन्दुओं विस्तृत रूप से चर्चा की गयी।
ऑनालाइन मीटिंग का शुभारंभ करते हुए राज्य के आईईसी पदाधिकारी बुसरा आज़मी ने बताया टीबी मुक्त भारत अभियान को आंदोलन का आकर देने के लिए हर तरह की सामुदायिक सहभागिता अति आवश्यक है। इस अभियान में एक विभाग से दूसरे विभाग का समन्वय स्थापित कर कार्य करने की जरूरत है। इस अभियान में सबसे ज्यादा स्थानीय स्तर पर पंचायती राज से जुड़े जनप्रतिनिधियों की भूमिका काफ़ी महत्वपूर्ण होती है।इसीलिए इनका सहयोग भी अपेक्षित है। आगे बताया कि टीबी मरीज़ों के इलाज में किसी भी तरह का कोई खर्च नहीं आना चाहिए। इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है । जिस गांव या कसबा में टीबी के मरीज ज्यादा हैं वैसे गांवों को चिह्नित कर ज्यादा से ज्यादा बलगम की जांच करें और सुदूर ग्रामीण इलाके में स्वास्थ्य विभाग से जुड़े कर्मियों व एसटीएस के माध्यम से खोजी अभियान में तेजी लाना बेहद जरूरी है। इससे टीबी के मरीजों की जल्द से जल्द पहचान की जा सकती है।उसके बाद ही उसका उपचार करना आसान होगा। आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से आरोग्य दिवस के दिन बैठक आयोजित कर आमलोगों के बीच जागरूकता लाना अतिआवश्यक है। टीबी के मरीजों को मिलने वाली सुविधाओं के संबंध में जानकारी देना है। जूम प्लेटफॉर्म पर आयोजित मीटिंग में प्रभारी जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ सौरभ कुमार, डीपीसी आलोक कुमार, डॉट प्लस समन्वयक राजेश शर्मा, डीटीसी के एसटीएस अनिलानंद झा, एसटीएलएस अरविंद अमर, टीबीएचभी प्रशांत कुमार के अलावा टीबी रोग से मुक्त हुए लोग भी शामिल थे।
झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले असहाय एवं कुपोषित व्यक्तियों में टीबी होने की संभावना : डॉ सौरभ
प्रभारी जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ सौरभ कुमार ने बताया वैश्विक महामारी कोविड-19 के जैसा ही टीबी एक संक्रामक बीमारी है। जड़ से मिटाने के लिए हम सभी को इसके खिलाफ लड़ाई लड़ने की जरूरत है। अक्सर ऐसा देखा जाता है कि टीबी के मरीज गरीब परिवारों के बीच से ही आते हैं। जिसमें कुपोषित व्यक्तियों या बच्चों में सबसे ज्यादा देखने को मिलता है । क्योंकि अगर कोई एक व्यक्ति टीबी से ग्रसित हो गया तो सभी लोग एक छोटी सी झुग्गी झोपड़ी में ही रहते हैं जिस कारण एक दूसरे में टीबी का संक्रमण फैल जाता है। खान पान सही समय से नहीं होने के कारण शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है जिस कारण टीबी के मरीज़ों की संख्या बढ़ जाती है ।
इसके साथ ही अत्यधिक भीड़ भाड़ वाला इलाका, कच्चे मकान, घर के अंदर प्रदूषित हवा, प्रवासी मजदूर, डायबिटीज से ग्रसित ब्यक्ति, एचआईवी संक्रमित, धूम्रपान भी टीबी के मुख्य कारण होते हैं।
डब्लूएचओ एवं केयर इंडिया की टीम प्रखंड स्तर पर करेगी सहयोग: डीपीएस
डॉट प्लस समन्वयक राजेश शर्मा ने बताया टीबी मुक्त अभियान के आंदोलन में डब्लूएचओ एवं केयर इंडिया की टीम ज़िले के सभी प्रखंडों में एसटीएस, एसटीएलएस एवं एलटी के साथ ही यक्ष्मा सहायकों को प्रखंड स्तर पर सहयोग करेगी। सामुदायिक स्तर पर अन्य गतिविधियों में भी सहयोग किया जाना सुनिश्चित किया गया है । इस अभियान को लेकर जिला स्तर से प्रखण्ड स्तर तक माइक्रोप्लान तैयार कर लिया गया है। इसके तहत टीबी के मरीजों को सहयोग करने के लिए स्थानीय स्तर पर पंचायत जनप्रतिनिधि, धार्मिक संस्थाओं के प्रमुख मठ मंदिर के पुजारी व मौलाना के द्वारा टीबी चैंपियन व रोगियों को प्रखंड स्तर के पदाधिकारियों के बीच राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम के तहत मिलने वाली अन्य सुविधाओं, निक्षय पोषण योजना सहित अन्य विषयों पर व्यापक रूप से जानकारी दी जाएगी।
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