रेडक्रॉस के जनक सर डुनांट का विचार आज भी प्रासंगिक
मोतिहारी:रेडक्रॉस आंदोलन के संस्थापक सर हेनरी डुनांट मानवता के सच्चे रक्षक थे। उनका जन्म 8 मई 1828 को हुआ था। वे स्विट्जरलैंड के व्यवसायी और मानवतावादी थे। 1859 में सोल्फेरिनो की लड़ाई के दौरान घायल सैनिकों की हालत देखकर उनका मन द्रवित हो गया। उन्होंने जाति-धर्म से ऊपर उठकर मानवता की सेवा का संकल्प लिया। इसी सोच से रेडक्रॉस की स्थापना हुई।

उन्होंने अपनी पुस्तक ‘सोल्फेरिनो की एक स्मृति’ में युद्ध के दौरान मानवता की सेवा की जरूरत को बताया। उनके प्रयासों से 1864 में जेनेवा कन्वेंशन हुआ। इसमें युद्ध के दौरान घायल सैनिकों की सुरक्षा के नियम तय किए गए। सर डुनांट को नोबेल शांति पुरस्कार पाने वाले पहले लोगों में गिना जाता है।

रेडक्रॉस का उद्देश्य युद्ध, आपदा और अन्य संकटों में पीड़ितों की मदद करना है। यह संगठन रक्तदान, स्वास्थ्य सेवाएं, आपदा राहत और सामुदायिक सेवाएं देता है। इसका मकसद जान बचाना, पीड़ा कम करना और मानवता की गरिमा की रक्षा करना है। रेडक्रॉस निष्पक्ष, तटस्थ और स्वतंत्र रूप से काम करता है। यह सभी धर्म, जाति और देश के लोगों की मदद करता है। इसकी स्थापना 1863 में हुई थी।

हर साल 8 मई को सर डुनांट के जन्मदिन पर विश्व रेडक्रॉस दिवस मनाया जाता है। इस दिन रेडक्रॉस संगठन और उसके सदस्य कई कार्यक्रम करते हैं। इनमें रक्तदान शिविर, स्वास्थ्य जांच, आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण और सामुदायिक सेवाएं शामिल होती हैं।

रेडक्रॉस प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, तूफान, भूकंप में पीड़ितों की मदद करता है। यह रक्तदान शिविर लगाकर जरूरतमंदों को रक्त उपलब्ध कराता है। स्वास्थ्य जांच शिविरों के जरिए लोगों को इलाज और सलाह देता है। आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण देकर लोगों को तैयार करता है।
रेडक्रॉस का काम न केवल पीड़ितों की मदद करता है, बल्कि समाज को भी मजबूत बनाता है। यह संगठन मानवता की सेवा में समर्पित है। भारत के हर जिले में इसकी इकाई है। जिलाधिकारी इसके पदेन अध्यक्ष होते हैं। कोई भी नागरिक इसकी आजीवन सदस्यता ले सकता है। विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में इसकी युवा शाखा होती है।

श्री नारायण सिंह महाविद्यालय मोतिहारी में छात्र जीवन के दौरान मैं यूथ रेडक्रॉस का अध्यक्ष था। उस समय कई बार रक्तदान और स्वास्थ्य जांच शिविर लगाए। इसमें एनएसएस, एनसीसी और छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। एक बार कड़ाके की सर्दी में स्टेशन के बाहर सो रहे जरूरतमंदों और कुष्ठ रोगियों को कंबल बांटे। कई लोगों को रेडक्रॉस से नई जिंदगी मिली।
पटना में डिजास्टर मैनेजमेंट पर मास्टर वालंटियर के रूप में प्रशिक्षण मिला। वह अनुभव आज भी जीवन में काम आता है। रेडक्रॉस आज देश-दुनिया में जीवन रेखा बन चुका है। हर नागरिक को इससे जुड़कर मानवता की सेवा करनी चाहिए।