मोतीहारी(बिहार)महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय,बिहार के संस्कृत विभाग द्वारा २९ जून, २०२०को संस्कृत साहित्य में सामाजिक न्याय एवं समरसता विषयक पर एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का शुभारम्भ किया गया। इस अंतराष्ट्रीय वेबिनार में प्रो.कमलेश चोकसी(अध्यक्ष,संस्कृत विभाग,गुजरात विश्वविद्यालय), प्रो संतोष कुमार शुक्ल( अधिष्ठाता,संस्कृत एवं प्राच्यविद्या अध्ययन संस्थान,जेएनयू,नई दिल्ली), प्रो. मानस ब्रू (धर्मशास्त्र अध्ययन विभाग, एबो एकेडमी विश्वविद्यालय,फ़िनलैण्ड) तथा प्रो. ललित कुमार गौर( अध्यक्ष,संस्कृत एवं पालि विभाग, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय) ने अपना संस्कृत साहित्य में सन्निहित सामाजिक न्याय एवं समरसता का यथार्थ प्रकाशन किया।
इस वेबिनार में उपस्थित सभी अतिथियों, विद्वान जनों एवं प्रतिभागियों का स्वागत एवं अभिवादन संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. प्रसून दत्त सिंह ने किया।उक्त संगोष्ठीकी अध्यक्षता राजनीतिविज्ञान के विशेषज्ञ तथा संस्कृत के मूर्धन्य विद्वान महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के यशस्वी कुलपति प्रो.संजीव कुमार शर्मा ने किया। अपने अध्यक्षीय भाषण में कुलपति ने संस्कृत शास्त्रों एवं साहित्य में समुल्लिखित सामाजिक न्याय एवं समरसता पर संक्षिप्त किन्तु सारगर्भित उद्बोधन प्रस्तुत किया। प्रो.शर्मा ने सामाजिक समरसता की व्यापकता वेद,उपनिषद्,धर्मशास्त्र,पुराण एवं वाल्मीकि,वेदव्यास,कालिदास तथा भवभूति आदि महाकवियों के ग्रंथों में सन्निहित सामाजिक समरसता को रेखांकित करते हुए वर्तमान सामाजिक न्याय एवं समरसता के ह्रास को देखते हुए न्याय एवं समरसता की दृष्टि से संस्कृत शास्त्रों की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला।
प्रथम वक्ता के रूप में प्रो. कमलेश चोकसी ने अपने व्याख्यान में कहा कि सामाजिक समरसता में गुरु व राजा उत्तम प्रतीक हैं। उन्होंने कहा कि राजा को अपने-अपने सामाजिक उत्तरदायित्वों के निर्वहन हेतु संस्कृत शास्त्रों एवं साहित्य में समान न्याय के अनुपालन का विधान किया गया है जिससे समाज में सामाजिक समरसता की स्थापना सम्भव है।
द्वितीय वक्ता के रूप में प्रो.ललित कुमार गौर ने संस्कृत शास्त्रों एवं साहित्य के विभिन्न बिन्दुओं के माध्यम से उसमें सन्निहित सामाजिक न्याय एवं समरसता का विस्तृत व्याख्यान प्रस्तुत किया। अपने व्याख्यान में उन्होंने कहा कि मनुष्यों का समूह समाज है जिसका मूल परिवार है और परिवार का मूल दम्पती है। परिवार में पति एवं पत्नी दोनों के समान स्थान को रेखांकित करते हुए उन्होंने ऋग्वेद के अग्निसूक्त का उल्लेख करते हुए उसमें गृह के लिए वर्णित दम शब्द की वैज्ञानिक व्याख्या प्रस्तुत करते हुए कहा कि वेद में घर के लिए दम शब्द का प्रयोग किया गया है और दम(घर) के पति(स्वामी) पति-पत्नी दोनों को माना है। इसी से (दम- घर, पति अर्थात स्वामी -पति-पत्नी) से दम्पति शब्द की विशद व्याख्या करते हुए समाज के प्रथम सोपान परिवार की समरसता का न्यायपूर्ण विवेचन किया। प्रजा के प्रति राजा के कर्तव्यों का उल्लेख करते हुए प्रो. गौर ने अभिज्ञानशाकुन्तलम के अविश्रमोऽयं लोकतन्त्राधिकार:’का उल्लेख करते हुए राजा की दृष्टि साहित्य में सामाजिक न्याय एवं समरसता का यथार्थ विवेचन प्रस्तुत किया। सामाजिक न्याय एवं समरसता का उल्लेख करते हुए प्रो. गौर ने भवभूति के उत्तररामचरितम के राम के प्रति वशिष्ठ के वचन का उल्लेख करते हुए कहा कि –जामातृ यज्ञेन वयं निरुद्धास्तव बालेवासि’इस कथन के माध्यम से प्रजा के लिए राजा के अपरिहार्य कर्तव्यों को रखांकित करते हुए सामाजिक न्याय एवं समरसता पर प्रकाश डाला। इसके अतिरिक्त भी उन्होंने तैत्तिरियोपनिषद् के मातृदेवो भव,पितृदेवो भव,आचार्य देवो भव, अतिथि देवो भव का उल्लेख करते हुए उसमें सन्निहित सामाजिक समरसता पर महत्त्वपूर्ण प्रकाश डाला।
तृतीय वक्ता के रूप प्रो.संतोष कुमार शुक्ल ने संस्कृत शास्त्रों में सन्निहित सामाजिक न्याय एवं समरसता का विशद रूप पर प्रकाश डाला। अपने व्याख्यान में प्रो.शुक्ल ने कहा सम्पूर्ण संस्कृत शास्त्र एवं साहित्य सामाजिक न्याय एवं समरसता का आधार है,आवश्यकता है वर्तमान में इसकी यथार्थ विवेचना की। उन्होंने कहा सामाजिक न्याय का तात्पर्य है कि मनुष्य सभी मनुष्यों को समान सम्मान दे। उन्होंने कहा कि सभी मनुष्यों का यह कर्तव्य है कि सभी को मित्रता की दृष्टि से देखें। प्रो.शुक्ल ने पुराणों में सामाजिक समरसता का उल्लेख करते हुए कहा कि-समस्त मनुष्यों को संसार में समस्त प्राणियों के प्रति दया,मित्रता एवं सौहार्द्र का व्यवहार करना चाहिए। भागवतपुराण का उल्लेख करते हुए प्रो. शुक्ल ने कहा कि जो मनुष्य समाज में सभी मनुष्यों के प्रति समानभाव न रखकर द्वेषभाव रखते हैं उनको कभी भी शान्ति नहीं मिलती।समानो मन्त्र: समिति: समानी इस वैदिक मन्त्र पर प्रकाश डालते हुए प्रो.शुक्ल ने सबके साथ समभाव की दृष्टि के विज्ञान को व्याख्यायित किया। प्रो. शुक्ल ने सर्वे लोका: सुखं कामयन्तिका उल्लेख करते हुए समस्त प्राणियों के सुखेच्छु की भावना से सामाजिक समरसता को उद्भाषित किया है।
चतुर्थ वक्ता के रूप में प्रो.मानस ब्रू ने सामाजिक न्याय एवं समरसता की दृष्टि से संस्कृत शास्त्रों एवं साहित्य की महनीयता की अपरिहार्यता का उल्लेख करते हुए कहा कि वर्तमान एवं भावी दोनों कालों में सामाजिक न्याय एवं समरसता दृष्टि से संस्कृत शास्त्र एवं साहित्य अत्यन्त ही प्रासंगिक हैं। प्रो.ब्रू ने कहा संस्कृत शास्त्रों में उल्लिखित नियमों के पालन से नैतिक उत्कर्ष होता है और व्यक्ति के नैतिक उत्कर्ष से सामाजिक समरसता स्थापना स्वत: सम्भव हो जाती है। प्रो. मानस ब्रू ने कहा कि योग का तात्पर्य केवल व्यक्ति का ईश्वर के साथ संयोग ही नहीं है अपितु व्यक्ति का समाज के साथ संयोग भी है। इस प्रकार योग के द्वारा व्यक्ति का समाज के साथ सामंजस्यपूर्ण संयोग स्थापित करके सामाजिक न्याय की संकल्पना को व्यावहारिक रूप दिया जा सकता है।
आज के इस अंतराष्ट्रीय वेबिनार का संचालन श्री बिश्वजीत बर्मन (सहायकाचार्य,संस्कृत विभाग,महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय) ने किया । इस एकदिवसीय अंतराष्ट्रीय वेबिनार में उपस्थित समस्त विद्वानों का धन्यवाद ज्ञापन विभाग के वरिष्ठ सह-आचार्य डॉ.श्याम कुमार झा ने किया। देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में सेवारत संस्कृतानुरागी अध्यापकगण,शोधार्थी एवं विद्यार्थीगण उपस्थित रहे। इस व्याख्यानमाला में महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के गाँधी भवन परिसर के निदेशक प्रो.राजीव कुमार (अध्यक्ष,राजनीतिविज्ञान विभाग), विभिन्न विभागों के अध्यापक एवं शोधार्थीगण,मानविकी एवं भाषा संकाय के अध्यक्ष प्रो. राजेन्द्र प्रसाद आदि उपस्थित रहे। संस्कृत विभाग के अन्य अध्यापक डॉ.अनिल प्रताप गिरि,डॉ. विश्वेश, डॉ.बबलू पाल, एवं छात्रगण उपस्थित रहे। इस एकदिवसीय अंतराष्ट्रीय वेबिनार का समापन राष्ट्रगान से किया गया।
बेकरी कार्य में रोजगार की असीम संभावनाएं- नेहा दास लक्ष्मीकांत प्रसाद- कटिहारआधुनिकता के दौर में…
2023 में रूस-यूक्रेन युद्ध, इज़राइल-हमास युद्ध और कई अंतरराष्ट्रीय विवादों जैसे संघर्षों में 33,000 से…
भगवानपुर हाट(सीवान)बीडीओ डॉ. कुंदन का तबादला समस्तीपुर के शाहपुर पटोरी के बीडीओ के पद पर…
सीवान(बिहार)जिले के भगवानपुर हाट थाना क्षेत्र के हिलसर पेट्रोल पंप के पास एनएच 331 पर…
On 17th February, the international peace organization, Heavenly Culture, World Peace, Restoration of Light (HWPL),…
20 जनवरी को, विभिन्न अफ्रीकी देशों में अंतर्राष्ट्रीय शांति संगठन, HWPL द्वारा '2024 HWPL अफ्रीका…
Leave a Comment