कोरोना संक्रमण की चपेट में आये प्रसिद्ध न्यूज़ चैनल के पत्रकार ने बतायी अपनी आपबीती
अररिया(बिहार)जनसमस्यों पर आधारित एक रिपोर्ट तैयार करने के दौरान पिछले दिनों अररिया में एक प्रसिद्ध न्यूज़ चैनल के पत्रकार कोरोना से संक्रमित हो गये. मूल रूप से दरभंगा जिला निवासी पत्रकार आरिफ इकबाल ने बताया कि एक न्यूज स्टोरी कवर करने के दौरान उनका बदन अचानक से बहुत गर्म हो गया. सर में दर्द व भारीपन महसूस हो रहा था. गले में खराश व जलन की अनुभूति हो रही थी. आरिफ बताते हैं कि अचानक से सब कुछ अटपटा महसूस होने लगा. अपनी सेहत की फिक्र सताने लगी. उन्होंने बताया, स्टोरी करने के दौरान बहुत से लोगों के संपर्क में आना होता है. स्टोरी छोड़ तत्काल जांच कराने अस्पताल पहुंच गया. जांच के सैम्पल दिया. और वहीं बैठ रिपोर्ट का इंतजार करने लगा.
सारा खेल आत्मविश्वास का है, इसे बनाये रखें
आरिफ बताते हैं कि रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद तो जैसे उनके होश उड़ गये. हर तरफ निराशा व तनाव था. फिर उन्हें मेडिकल टीम की निगरानी में एएनएम सेंटर फॉरबिसगंज स्थित क्वारेंटाइन सेंटर ले जाया गया. जहां उन्हें आइसोलेट होना था. सेंटर पर पहले से ही कोविड संक्रमित 30 मरीज़ थे, पहली रात तो आंखों से नींद पूरी तरह गायब थी, रूम में वह और उनके साथ कोरोना था बस और कोई नहीं, इस महामारी के डर ने रात भर बेचैन रखा. जब डॉक्टर चेकअप के लिए आए तो उन्होंने आत्मविश्वास बढ़ाते हुए कहा कि “सारा खेल आत्मविश्वास का है, इसे बनाए रखो, तुम्हें इस कोरोना से लड़ना है और जंग जीतना है, मुझे विश्वास है तुम जरूर जीतोगे.”
चुनौती के वक्त दोस्त व परिवार वालों ने दी हिम्मत
आरिफ बताते हैं, दोस्त व परिवार वाले समय समय पर फोन पर उनका आत्मविश्वाश बढाते रहे. बकौल आरिफ 24 घंटे एक बंद कमरे में अकेले समय बिताना उनके लिये किसी चुनौती से कम नहीं था. इस दौरान मन में चल रहे असंख्य नाकारत्मक विचारों को हराने के लिये उन्होंने उपयोगी किताबें पढ़ना शुरू कर दिया. लिखने का शौक तो था ही, छोटी छोटी कहानी लिखना शुरू कर दिया. मानसिक रूप से खुद को स्वस्थ रखने का एक यही जरिया था. गुजरते वक्त के साथ आत्मविश्वास बढ़ता गया. जैसे तैसे 10 दिन बीत गये. दूसरा रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद जान में जान आयी. ऐसा लगा मेरा खोया जहां मुझे फिर से मिल गया हो.
आत्मविश्वास व सकारात्मक सोच से जीती जा सकती है कोई भी जंग
क्वारेंटाइन अवधि के दौरान मेरे साथ मेरी तन्हाई के साथ अगर कुछ था तो वो था कोरोना. मुश्किल से बिताये गये इन दस दिनों ने मुझे सिखाया की आत्मविश्वास व साकारात्मक सोच के दम पर मुश्किल से मुश्किल चुनौती को भी मात दिया जा सकता है. कोविड सेंटर से लौटने के बाद एक नई जिंदगी महसूस कर रहा हूं. बस लोगों से यही गुजारिश है कि जब तक कोरोना का कोई पुख्ता इलाज नहीं आ जाता तब तक अधिक से अधिक समय घर पर अपने परिवार के लोगों के साथ बितायें. और हां, नियमित रूप से मास्क का उपयोग करें. बार बार हाथों को सैनिटाइज करते रहें. सोशल डिस्टेंस का ध्यान रखें. ताकि आप और आपका परिवार इस वैश्विक महामारी की चपेट से बचा रहे.
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