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101 साल की उम्र में वीएस अच्युतानंदन का निधन

तिरुवनंतपुरम:केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और देश के वरिष्ठ वामपंथी नेता वीएस अच्युतानंदन का आज निधन हो गया। वे 101 साल के थे। अच्युतानंदन को उनके विचारों और कर्मों की एकरूपता के लिए जाना जाता था। आज के दौर में ऐसे नेता बहुत कम बचे हैं।

अप्रैल 2006 में केरल विधानसभा चुनाव के दौरान उनका एक इंटरव्यू लिया गया था। उस समय वे पालक्काड स्थित अपने किराये के अस्थायी कैंप कार्यालय में रह रहे थे। वहीं से इंटरव्यू शुरू हुआ और मालापुझा के रास्ते तक चला। उस समय वे चुनाव प्रचार में व्यस्त थे। इंटरव्यू के लिए सुबह 8 बजे बुलाया गया था। पहुंचने पर उन्होंने अपने घर में नाश्ता कराया। नारियल पानी, इडली और अन्य व्यंजन परोसे गए। नाश्ते के दौरान उन्होंने अपनी पत्नी श्रीमती के वासुमति से भी परिचय कराया। बताया कि वे स्वास्थ्य विभाग में अधिकारी थीं और अब रिटायर हो चुकी हैं। उन्हीं की सैलरी से घर चलता रहा।

नाश्ते के बाद कॉफी आई और इंटरव्यू शुरू हुआ। फिर वे चुनाव प्रचार के लिए निकले। टैक्सी से उनकी गाड़ी के पीछे चला गया। रास्ते में उनकी नुक्कड़ सभाएं भी देखीं। गाड़ी में बातचीत जारी रही।

केरल प्रवास के दौरान पता चला कि पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व उन्हें टिकट नहीं देना चाहता था। डर था कि वे विधायक बने तो मुख्यमंत्री पद के दावेदार बन जाएंगे। वे करीब 12 साल तक माकपा की केरल राज्य कमेटी के सचिव रहे। लेकिन हर बार केंद्रीय और राज्य नेतृत्व की रणनीति से कोई और मुख्यमंत्री बनता रहा। 2006 में देश-विदेश में माकपा समर्थकों ने अभियान चलाया कि अगर लेफ्ट फ्रंट जीता तो मुख्यमंत्री अच्युतानंदन ही बनेंगे। चुनाव जीतने के बाद वे 82 साल की उम्र में मुख्यमंत्री बने और पूरे पांच साल पद पर रहे।

अच्युतानंदन बेहद गरीब परिवार से आए थे। लेकिन उनके पास राष्ट्रीय और वैश्विक सोच थी। जन-प्रतिबद्धता और विचारों में स्पष्टता थी। वे सिर्फ केरल के नहीं, देश के बड़े नेता थे। इतिहास उन्हें ईएमएस नंबूदरीपाद, सी अच्युत मेनन और उम्मन चांडी जैसे मुख्यमंत्रियों की श्रेणी में याद रखेगा।

साथी अच्युतानंदन जिंदाबाद। सलाम और श्रद्धांजलि।