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जल है बहुमूल्य, जल बचाएं, कल बचाएं- प्रो. आर.सी. कुहाड़

हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ में विश्व जल दिवस के अवसर पर वेबिनार के माध्यम से जल के महत्त्व पर विस्तार से चर्चा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.सी. कुहाड़ कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे और उन्होंने कहा कि जल बहुमूल्य है, जल बचाएं, कल बचाएं। कुलपति ने इस अवसर पर पानी को जीवन के लिए महत्त्वपूर्ण बताया और कहा कि इसका प्रयोग बेहद सावधानी से करना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियों को पेयजल संकट से बचाया जा सके। इस अवसर पर राष्ट्रीय जल मिशन के अंतर्गत कुलपति सहित सभी प्रतिभागियों ने जल शपथ ली। इसमें सभी ने पानी बचाने और उसके विवेकपूर्ण उपयोग का प्रण लिया। सभी ने इस शपथ में कैच द रेन अभियान को बढ़ावा देने में सहयोग देने और पानी को अनमोल सम्पदा मानते हुए इसका उपयोग करने की बात कही।

शपथ में सभी ने कहा कि यह ग्रह हमारा है और हम इसे बचाकर अपना भविष्य सुरक्षित कर सकते हैं। विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित वेबिनार में विशिष्ट वक्ता के रूप में आईआईटी रूड़की के पूर्व प्रोफेसर डॉ. जी.एल. असावा तथा डॉ. बृजेश कुमार यादव उपस्थित रहे।
अपने उद्बोधन में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.सी. कुहाड़ ने रहीम के दोहे रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सुन के साथ पानी के महत्त्व पर प्रकाश डाला और कहा कि यह सर्वविदित है कि 22 मार्च को समूचे विश्व में जल दिवस मनाया जाता है और इसके माध्यम से पानी के महत्त्व के प्रति जागरूकता तथा इसे बचाने के लिए आमजन को प्रेरित करने का प्रयास किया जाता है। कुलपति ने कहा कि पानी मानव सभ्यता के विकास में सबसे महत्त्वपूर्ण योगदान अदा करता आ रहा है।

ऐसे में हमें पृथ्वी पर मौजूद पेय योग्य जल को बचान के लिए विशेष प्रयास करने होंगे। प्रो. कुहाड़ ने इस अवसर पर प्रधनमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए विशेष जल संरक्षण अभियान कैच द रेन का भी उल्लेख किया और इस प्रयास में सक्रिय भागीदारी के लिए सभी को प्रेरित किया। कुलपति ने इस मौके पर सभी को कुछ छोटे उपायों के माध्यम से पानी बचाने के विषय में जागरूक किया और कहा कि प्रण ले कि अब शावर की जगह बाल्टी का इस्तेमाल करेंगे। ब्रश करते और बर्तन धोते समय नल बंद रखेंगे। वर्षा का जल संचयन करेंगे और पाइपों के माध्यम से होने वाली लीकेज को दूर करेंगे। कुलपति ने इस अवसर पर कहा कि इस दुनिया के देवता तीन। बचा लो जल, जंगल और जमीन।


इससे पूर्व विश्वविद्यालय के पर्यावरण अध्ययन विभाग व सिविल इंजीनियरिंग विभाग द्वारा आयोजित इस वेबिनार के संयोजक अंतःविषयी एवं अनुप्रयुक्त विज्ञान पीठ के अधिष्ठाता प्रो. सतीश कुमार ने सर्वप्रथम स्वागत भाषण प्रस्तुत किया और विश्व जल दिवस के संदर्भ में विस्तार से मौजूदा स्थिति पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि किस तरह से पानी की आवश्यकता मानव जीवन में है और हमारे लिए धरती पर जीवन की सुरक्षा हेतु पानी आवश्यक है। उन्होंने कहा बिना पानी के जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती। इसलिए पानी को बचाना हमारी जिम्मेदारी भी है और जरूरत भी। वेबिनार में शामिल विशेषज्ञ वक्ता डॉ. बृजेश कुमार यादव ने जल संसाधनों के विकास और प्रबंधन पर अपना मत प्रस्तुत किया और इस दिशा में जारी प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने पानी के शुद्धिकरण पर विस्तार से जानकारी दी और इस संबंध में एक प्रस्तुतीकरण भी सभी प्रतिभागियों से साझा किया। उन्होंने पानी शुद्धिकरण की विभिन्न तकनीकों की जानकारी भी प्रस्तुत की और उनकी उपयोगिता से भी अवगत कराया। इसी कड़ी में डॉ. जी.एल. असावा ने भी जल संरक्षण और उसकी उपयोगिता पर चर्चा की। डॉ. असावा ने अपने सम्बोधन में पानी के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि मानव के लिए पानी बेहद महत्त्वपूर्ण है। मानव शरीर का साठ प्रतिशत हिस्सा पानी का है।

मस्तिष्क का सत्तर प्रतिशत पानी है। इसी तरह रक्त में अस्सी प्रतिशत पानी है। उन्होंने कहा कि हम बिना खाना खाए महीनों जीवित रह सकते हैं परंतु पानी के बिना जी पाना संभव नहीं है। उन्होंने बताया कि पृथ्वी पर पानी की उपलब्धता सर्वाधिक है लेकिन स्वच्छ पानी की बात करें तो यह कुल उपलब्धता का मात्र तीन प्रतिशत है। इसमें भी एक प्रतिशत ही प्रयोग योग्य है। शेष बर्फ के रूप में उपस्थित है। डॉ. असावा ने इस अवसर पर अपने सम्बोधन में पानी की बर्बादी से जुड़े पक्षों को भी प्रस्तुत किया और जल संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हम इस दिशा में वैज्ञानिक सोच व दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ ठोस प्रयास करें।

कार्यक्रम के दौरान जल की बहुमूल्यता पर केंद्रित नवाचार सुझावों पर भी चर्चा हुई। इस कार्यक्रम के आयोजन में सिविल इंजीनियरिंग विभाग के डॉ. विकास गर्ग, पर्यावरण अध्ययन विभाग के डॉ. मनोज कुमार, मनीषा ने महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की। आयोजन के दौरान पर्यावरण अध्ययन विभाग की सहायक आचार्य मनीषा ने कार्यक्रम का संचालन किया तथा कार्यक्रम के अंत में डॉ. कल्प भूषण ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। इस अवसर पर विभिन्न विभागों के शिक्षक, शोधार्थी, विद्यार्थी व शिक्षणेतर कर्मचारी ऑनलाइन उपस्थित रहे।