Home

पूर्णिया में “जीवन भर सुनें, ध्यान से सुनें” की थीम पर सदर अस्पताल में मनाया गया विश्व श्रवण दिवस

ध्वनि प्रदूषण से बिगड़ रही हैं जीवनशैली: डॉ वीपी अग्रवाल

गर्भावस्था के दौरान हेडफोन लगाकर गाने सुनना शिशुओं के लिए हो सकता है नुकसानदेह: डॉ नेहा कुमारी

तेजगति से गाना सुनने से समय से पहले प्रसव का बढ़ जाता है खतरा: डॉ नेहा

पूर्णिया(बिहार)आधुनिकता और भागमभाग वाली दौर में ध्वनि प्रदूषण की समस्या से निजात पाना मुश्किल हो गया है।आजकल हर तरफ किसी न किसी मशीन, गाड़ी या डीजे पर चल रहे गाने की तेज ध्वनि सुनी जा सकती है जो लोगों के सुनने की क्षमता को कम कर रही है।नियमित रूप से तेज ध्वनि के सुनने या नजदीक रहने के कारण हम सभी बहरेपन का शिकार हो सकते हैं। लोगों को बहरेपन की जानकारी देने एवं ध्वनि तरंगों के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से सदर अस्पताल परिसर स्थित ओपीडी में विश्व श्रवण दिवस मनाया गया। इस कार्यक्रम के तहत ओपीडी में आने वाले मरीज़ों को सुनने की समस्या के लक्षणों की जानकारी देने के साथ ही बहरेपन से रोकथाम की भी जानकारी दी गई। विश्व श्रवण दिवस के अवसर पर आने वाले सभी मरीज़ों से अपील की गई कि लोगों के व्यवहार में बदलाव लाने के लिए सामाजिक संगठनों, माता-पिता, शिक्षकों और चिकित्सकों की भी जिम्मेदारी बनती है कि युवाओं को श्रवण से संबंधित सुरक्षित आदतों के लिए शिक्षित के साथ ही प्रेरित भी करते रहें। ताकि युवा वर्ग इस तरह की बीमारियों से सुरक्षित रह सके।

ध्वनि प्रदूषण से आधुनिकता के इस दौर में बिगड़ रही हैं जीवनशैली: डॉ वीपी अग्रवाल
जिला गैर संचारी रोग पदाधिकारी सह नोडल अधिकारी डॉ. विष्णु प्रसाद अग्रवाल ने बताया विगत दो वर्षों से वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण की मार झेल रहे पूरे विश्व में इस वर्ष विश्व श्रवण दिवस की थीम “जीवन भर सुनें, ध्यान से सुनें” रखा गया है। क्योंकिं कोरोना संक्रमण काल के दौरान घर में रहते हुए बहुत से लोगों में चिड़चिड़ापन जैसी शिकायतें सुनने को मिल रही हैं। जिस कारण बहरेपन या श्रवण दोष से बचाव एवं सुनने की क्षमता का ध्यान में रखने के लिए आमलोगों के बीच जागरूकता लाने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 03 मार्च को विश्व श्रवण दिवस (वर्ल्ड हियरिंग डे) का आयोजन किया जाता है। विश्व की एक बड़ी आबादी इस बीमारी से ग्रसित है। जिसमें बच्चों से लेकर वयस्क एवं बुजुर्ग भी शामिल हैं। बहरेपन की समस्या से निपटने के लिए समय रहते इस बीमारी का उपचार किया जाना अतिआवश्यक है। आधुनिक युग में लोगों की लगातार बिगड़ रही जीवनशैली के साथ ही ध्वनि प्रदूषण जैसे कारकों के कारण बहरापन एवं कम सुनाई देने जैसी शिकायतें बहुत ज़्यादा देखने को मिल रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में लगभग 5 प्रतिशत ऐसे लोग हैं, जिन्हें कम सुनाई देता है या फिर वह पूरी तरह से बहरेपन का शिकार हैं। हालांकि इस तरह के मामले 65 वर्ष की आयु से ऊपर के बुजुर्गो में है।

गर्भावस्था के दौरान हेडफोन लगाकर गाने सुनना शिशुओं के लिए हो सकता है नुकसानदेह: डॉ नेहा कुमारी
पूर्णिया पूर्व पीएचसी के अंतर्गत माधोपारा स्थित शहरी स्वास्थ्य केंद्र की प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ नेहा कुमारी ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाओं को तेज आवाज में गाने सुनने से गर्भस्थ शिशुओं के दिमाग पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। जिससे बहरेपन का खतरा मंडराने लगता हैं। गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाओं की हर तरह की गतिविधियों का असर होने वाले बच्चे पर पड़ता है। जिस कारण मां के खान-पान, व्यायाम सहित भ्रूण की सेहत प्रभावित होती है। इसलिए महिलाओं को गर्भावस्था के दिनों में अपना खास ख्याल रखना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान हेडफोन लगाकर गाने सुनना भी आपके बच्चे के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। सिर्फ गाने सुनना ही नहीं बल्कि उस दौरान तेज आवाजों से बच्चे के शारीरिक विकास पर बुरा असर पड़ता है। इससे उनमें बहरापन भी आ सकता है। गर्भावस्था के 20 वें सप्ताह के दौरान शिशु के कान के अंदर का मध्य और बाहरी भाग विकसित होने लगता हैं। ऐसे में अगर महिलाएं 85 डेसीबेल से अधिक तेज आवाज में 8 घंटे तक रहती है तो बच्चे को सुनने से संबंधित समस्याएं उत्पन्न हो जाती है जो नवजात शिशुओं के लिए हानिकारक होती है।

तेजगति से गाना सुनने से समय से पहले प्रसव का बढ़ जाता है खतरा: डॉ नेहा
डॉ नेहा ने बताया कि अगर तेज आवाज में लंबे समय तक लगातार रहा जाए तो इससे शिशु में कोर्टिसोल का स्तर बढ़ जाता है। कोर्टिसोल एक स्ट्रेस हार्मोन होता है। इसके कारण बच्चा जन्म के बाद से ही चिड़चिड़ा हो जाता है। वहीं बहुत ज्यादा तेज आवाज में गाने सुनने से बर्थ डिफेक्ट होने का खतरा बढ़ जाता है। इससे भ्रूण का प्राकृतिक विकास धीमा हो जाता है साथ ही इससे गर्भवती महिलाओं को भी तनाव, हाइपरटेंशन जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। बहुत तेज आवाज में गाने सुनने या ज्यादा देर तक शोर में रहने से बच्चा जन्म के बाद चीजों को तेजी से नहीं सीख पाता है। गर्भावस्था के अंतिम महीनों में तेज आवाज में गाने सुनने से बच्चा जरूरत से ज्यादा एक्टिव और लेबर पेन जल्दी होना शुरू हो जाता है जिससे प्रीमैच्योर डिलीवरी का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए बच्चे के जन्म से पहले तेज आवाज में गाने सुनने, डीजे की आवाज से बचना चाहिए। अगर गर्भवती महिलाएं लंबे समय तक तेज आवाज में गाने सुनती हैं तो यह बच्चे के दिमागी विकास के लिए भी हानिकारक होता है। यह भ्रूण के साधारण विकास को रोकता है साथ ही बच्चा दिमागी रुप से भी कमजोर बन जाता है।

Mani Brothers

Leave a Comment

Recent Posts

अपना किसान पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए राहुल राठौड़

पटना:अपना किसान पार्टी के संस्थापक सह राष्ट्रीय अध्यक्ष जयलाल प्रसाद कुशवाहा ने मंगलवार को वैशाली…

4 days ago

सरायरंजन विधानसभा क्षेत्र में अपना किसान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने जन संपर्क कर समर्थन मांगा

समस्तीपुर:जिले में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर राजनितिक पार्टियां अपने पक्ष में गोलबंद करने के…

7 days ago

जनता को तय करना हैं की नौवी पास चाहिए की इंजिनियर:मनीष वर्मा

भोजपुर(बिहार)जिले के संदेश विधानसभा के पियनिया में आयोजित एनडीए विधानसभा कार्यकर्ता सम्मेलन में जनता दल…

1 week ago

स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार अभियान के तहत महिलाओं को किया गया जागरूक: अंशु सिंह

छपरा:जिले की महिलाओं विशेष रूप से युवतियों को स्वास्थ्य, स्वच्छता, आत्मनिर्भरता और सामाजिक जागरूकता के…

1 week ago

बिहार के छपरा में स्टेट चैंपियनशिप सेपक टकरा- 2025 का होगा आयोजन, युवाओं को खेल के प्रति प्रेरित करने का प्रयास: विजय शर्मा

छपरा:राज्य के युवाओं को खेलकूद की ओर आकर्षित करना, उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से…

1 week ago

लूट कांड का पर्दाफाश, 06 अपराधी अवैध आग्नेयास्त्र एवं लूट की राशि के साथ गिरफ्तार

बिहार :जमुई जिले के झाझा थाना क्षेत्र में शुक्रवार को रात्रि में सूचना प्राप्त हुई…

1 week ago