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जागरूकता फाइलेरिया से बचाव का सबसे बेहतर विकल्प : डॉ. आरपी मंडल

फाइलेरिया के मरीजों को दिया गया किट

क्यूलेक्स फैंटीगंस मादा मच्छरों के काटने से होती है फाइलेरिया

पूर्णियाँ (बिहार)क्यूलेक्स फैंटीगंस मादा मच्छरों के काटने से फाइलेरिया रोग होता है। फाईलेरिया होने के कारण बड़े पैमाने पर लोग विकलांगता के भी शिकार हो जाते हैं। इससे बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा निःशुल्क दवाओं का वितरण भी किया जाता है। दवाओं के सेवन से रोग से आसानी से बचा जा सकता है। लोगों में फाइलेरिया के प्रति जागरूकता ही इसके मरीजों की संख्या को कम करने में सहायक है. उक्त बातें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कसबा में फाइलेरिया रोग से ग्रसित ग़रीब व असहाय महिलाओं को देख-भाल कीट का वितरण करते हुए ज़िला मलेरिया पदाधिकारी डॉ आरपी मंडल ने कही.

क्षेत्र में फाइलेरिया के मरीजों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा फाइलेरिया ग्रसित अंगों की देखभाल के लिए किट प्रदान किए जा रहे हैं। कीट के रूप में एक टब, एक मग, कॉटन बंडल, तौलिया, डेटॉल साबुन, एंटीसेप्टिक क्रीम दिया गया. साथ ही उन्हें फाईलेरिया संबंधित जानकारी भी दी जा रही है कि कैसे लोग इस बीमारी से बच सकते हैं.

बचाव ईलाज से है कारगर:

ज़िला फाइलेरिया पदाधिकारी डॉ आरपी मंडल ने बताया फाइलेरिया मच्छरों द्वारा फैलता है। खासकर परजीवी क्यूलैक्स फैंटीगंस मादा मच्छर के जरिए. जब यह मच्छर किसी फाइलेरिया से ग्रस्त व्यक्ति को काटता है तो वह संक्रमित हो जाता है. फिर जब यह मच्छर किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटता है तो फाइलेरिया के विषाणु रक्त के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर उसे भी फाइलेरिया से ग्रसित कर देता हैं. फाइलेरिया बीमारी का कोई कारगर इलाज तो नहीं हैं लेकिन इसका रोकथाम ही इसका समाधान है. फाइलेरिया न सिर्फ व्यक्ति को विकलांग बनाता है बल्कि इससे मरीज की मानसिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है.

कसबा प्रखंड में 94 फाइलेरिया के हैं मरीज़ :

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कसबा के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ एके सिंह ने बताया स्थानीय प्रखंड में 94 फाइलेरिया के मरीजों की पहचान की गई है। जिसका ईलाज किया जा रहा हैं. यह एक ऐसी गंभीर बीमारी है जो किसी की जान तो नहीं लेती है, लेकिन जिंदा आदमी को मृत समान बना देती है. संक्रमित मच्छर के काटने से बहुत छोटे आकार के कृमि शरीर में प्रवेश करते हैं. ये कृमि लसिका तंत्र की नलियों में होते हैं और उन्हें बंद कर देते हैं. इस बीमारी को हाथीपांव के नाम से भी जाना जाता है. अगर समय रहते फाइलेरिया की पहचान कर ली जाए तो जल्द ही इसका इलाज शुरू कर इसे खत्म किया जा सकता है.

इस अवसर पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कसबा के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ एके सिंह व आयुष चिकित्सक डॉ विभा कुमारी, प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक उमेश पंडित, केयर इंडिया के शाहिल, बुनियादी स्वास्थ्य कार्यकर्ता पप्पू कुमार, बिनोद कुमार सहित कई स्वास्थ्य कर्मी मौजूद थे.