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लॉकडाउन खुलने के बाद साइकिल से दार्जिलिंग पहुंचा हंगरियन

लॉक डाउन 01 से लेकर 04 तक सदर अस्पताल के कोरेन्टीन सेंटर में बिताया अपना कीमती लम्हा

सारण(बिहार)हंगरी से 11 देशों की यात्रा पर अपनी विशेष साइकिल से निकले हंगरियन टूरिस्ट/तीर्थयात्री विक्टर ज़िको को विगत 29 मार्च को छपरा पुलिस ने लॉकडाउन 1.0 के दौरान रिविलगंज में पकड़ कर सदर अस्पताल कोरोना जांच के लिए भेजा गया था। जहां उसका सैम्पल लेकर जांच के उपरांत सभी रिपोर्ट निगेटिव आई थी। इसके बाद भी विक्टर को 14 दिनों के लिए सदर अस्पताल छपरा में ही क्वारन्टीन कर दिया गया था।

लॉकडाउन 1.0 के बाद लगातार पूरे देश में कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन की मियाद बढ़ते बढ़ते 4.0 में पहुंच चुकी और विक्टर को आशा थी कि उसे सारण ज़िला प्रशासन द्वारा दार्जिलिंग जाने की इजाज़त मिल जाएगी, लेकिन इसे अपनी यात्रा शुरू करने की कोई इजाजत नहीं मिली थी।

इसी बीच बीते10 अप्रैल की सुबह विक्टर के कमरे से लैपटॉप, स्विस नाइफ, 4000 रुपया, पासपोर्ट, मोबाइल, कपड़ा सहित कीमती सामान चोरी हो गई थी, हलांकि इस घटना के बाद सारण पुलिस ने 3 दिनों के अंदर सभी चोरी किए सामानों सहित चोर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।लेकिन स्विस नाइफ की बरामदगी नहीं हो पाई, चोर ने विक्टर के पासपोर्ट को भी जला कर राख कर दिया था, इसके कपड़ो को और 2000 के दोनो नोट को भी जला दिया था।

विक्टर का पासपोर्ट उसके द्वारा अप्लाई करने के बाद बन गया, लेकिन लॉक डाउन के कारण कुरियर सेवा बन्द रहने के कारण उसे नहीं मिल पाया था, जो लॉक डाउन 4.0 के बाद मिला जब कई सेवाओं को खोलने की अनुमति मिली।

इसी बीच छपरा के hay chhapra पेज के माध्यम से विक्टर ने सहायता मांगी उसके बाद से पेज से जुड़े युवाओं ने प्रतिदिन खाने पीने के लिए जितना हो सकता था उतना किया। जिसको विक्टर ने ट्वीट कर जानकारी दी थी।

लगभग दो महीनों तक सदर अस्पताल के कोरेन्टीन सेंटर में रहने के बाद विक्टर तंग आ गया था, उसने सभी ऑथरिटी से अपने दार्जिलिंग की यात्रा पर जाने की अनुमति मांगी, लेकिन सभी जगहों से उसे निराशा ही हाथ लगी, थक हारकर उसने 24 मई की सुबह लगभग 3 बजे अपने साईकिल पर अपने सामानों को बांध कर चोरी छिपे अपनी यात्रा पर निकल गया और सदर अस्पताल के सुरक्षाकर्मी को भनक तक नहीं लगी, जब विक्टर के अस्पताल से भागने की सूचना सुबह में पुलिस को मिली तो आनन-फानन में कई जिलों की घेराबंदी के बाद उसे दरभंगा पुलिस ने पकड़कर वापस छपरा सदर अस्पताल पहुंचाया।

विक्टर से इसी दौरान बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने विक्टर से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बातचीत किया, मढ़ौरा विधायक जितेंद्र कुमार राय, छपरा विधायक डॉ सीएन गुप्ता, सदर अस्पताल प्रशासन, स्थानीय भगवान बाजार थानाध्यक्ष सहित कई गणमान्य लोगों ने कोरेन्टीन सेंटर आकर फ़ल या अन्य खाने का सामान लेकर अपनी-अपनी सहानुभूति बटोरने का काम कर चुके। हालांकि सारण के जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन ने इस मामले को लेकर कहा हैं कि नियमानुसार जितना हो सकता था उतना किया गया हैं।

कौन है विक्टर

विक्टर दार्जिलिंग के लेबांग कार्ट रोड स्थित एलेक्ज़ेंडर सीसोमा डी कोरोस के मकबरे पर जाना चाहते हैं, एलेक्ज़ेंडर सीसोमा तिब्बत भाषा और बौद्ध दर्शन के जानकार थे, वो एशियाटिक सोसायटी से भी जुड़े रहे थे, उन्होंने पहली तिब्बती-इंग्लिश डिक्शनरी लिखी थी और ऐसा माना जाता है कि उन्हें 17 भाषाएं आती थीं।

2012 में हिन्दुस्तान टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक दार्जिलिंग म्युनिसिपैलिटी ने कोवासजना (रोमानिया) जहां एलेक्ज़ेंडर का जन्म हुआ और दार्जिलिंग (भारत) जहां उनकी मृत्यु हुई, दोनों को ‘ट्विन सिटीज’ घोषित करने का प्रस्ताव दिया था और कार्ड रोड का नाम एलेक्ज़ेंडर सीसोमा डी कोरोस के नाम पर किया था।

विक्टर जिको को एडवेंचर और कलात्मक फोटोग्राफी का ऐसा जुनून जिसने युवक को हंगरी से भारत के दार्जिलिंग तक का सफर तय करने को मजबूर कर दिया, पर्वतारोही का शौक़ीन व बुडापोस्ट युनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी एंड इकोनॉमिक्स से इंजीनियरिंग का छात्र विक्टर जिको करीब 63 हजार किमी की दुरी तय कर भारत पहुंचा हैं।

विक्टर जिको एडवेंचर व फोटोग्राफी के साथ-साथ विश्व के कई पर्वत श्रृंखलाओं पर शोध भी करता है, उसका मानना है कि वह हर कठिनाई भरे रास्ते की यात्रा उनकी फोटोग्राफी और निरंतर यात्रा करना जीवन का अहम हिस्सा बन गया है. उन सभी उंची श्रृंखला वाली खूबसूरत पहाड़ों और पर्वतो पर चहलकदमी करना चाहते है इसके लिए सदैव प्रयासरत भी रहते है. इनका मानना है कि विश्वविद्यालय के उर्जा क्षेत्र में इंजीनियरिंग के छात्र के रूप में विश्वविद्यालय परिसर मे कई आयोजन कराया जा चुका है, वही बिना यात्रा किये एक भी सेमेस्टर की कल्पना हम नही कर सकते हैं. आगे वह बताते है कि हर चेहरे के पिछे एक कहानी निहित है. प्रोट्रेट फोटोग्राफी दुनिया के समक्ष उस छिपे चेहरे के रहस्य को दिखाने का एक शानदार तरीका है जो वास्तव में कलात्मक है और इसे गुप्त न रखकर दिखाया जाना चाहिए।

एक जून से अनलॉक होने के बाद विक्टर ने अपनी यात्रा शुरू कर आगे की ओर बढ़ गए है।