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विश्व एनटीडी दिवस विशेष : एनटीडी रोग में शामिल हैं 20 बीमारियां

लसिका फाइलेरिया एवं मलेरिया जैसी बीमारी भी एनटीडी में हैं शामिल:
गत वर्ष अभियान चलाकर 83 प्रतिशत लोगों को खिलाई जा चुकी है फाइलेरिया से बचाव की दवा:

मधेपुरा(बिहार)कालाजार और फाइलेरिया जैसी परजीवी रोगों समेत देश में कम-से-कम 20 उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग मौजूद हैं। जिससे देश भर में लाखों लोग प्रभावित होते हैं। इनमें प्रायः अधिकतर लोग गरीब एवं संवेदनशील वर्ग से होते हैं। आज विश्व में हर पांच में से एक व्यक्ति एनटीडी रोगों से पीड़ित है। दुनिया में इन 11 बीमारियों का भारी बोझ भारत पर भी है। इन रोगों से रोगी में दुर्बलता तो आती ही है, कई स्थितियों में ये पीड़ित व्यक्ति की मौत का कारण भी बनती हैं। एनटीडी रोगों के उन्मूलन की दिशा में गहन प्रयासों के हिस्से के रूप में वर्ष 2018 में ‘लिम्फेटिक फाइलेरिया रोग के तीव्र उन्मूलन की कार्य-योजना शुरू की गई थी। इसी क्रम में गत 2 वर्षों से मेगा ड्रग एडमिनस्ट्रेशन अभियान चलाकर लोगों को फाइलेरिया से बचाव के लिए डीईसी एवं अल्बेंडाजोल की दवा खिलाई जा रही है।

जन जागरूकता लाने के लिए 30 जनवरी को मनाया जाता है विश्व एनटीडी दिवस:
30 जनवरी, 2021 को विश्व उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (एनटीडी) दिवस के रूप में चिह्नित किया गया है। दुनिया में सबसे ज्यादा हाशिए पर रहने वाले समुदायों के जीवन में कष्ट लाने वाली इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने के रूप में यह दिन मनाया जाता है। साथ ही इन उपेक्षित उष्णकटिबंधीय बीमारियों को समाप्त करने के लिए वैश्विक समुदाय की प्रतिबद्धता को भी यह दिन उजागर करता है।

कालाजार के लक्षण दिखने पर आरके 39 किट से की जाती है जांच:
जिले के जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी (डी. भी. बी. डी. सी. ओ.) डॉ मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि किसी व्यक्ति ने कालाजार का इलाज पूर्व में कराया हो फिर भी उन में बुखार के साथ कालाजार के लक्षण पाये जाएं तो उन्हें आरके-39 किट से जॉच न करते हुए बोन मैरॉव या स्पिलीन जॉच के लिए आशा द्वारा उन मरीजों को सदर अस्पताल रेफर किया जाय तथा उनके नाम की प्रविष्टी रेफरल पर्ची में की जायेगी। वैसे व्यक्ति जिन्हें बुखार न हो लेकिन उनके शरीर के चमड़े पर चकता अथवा दाग हो किन्तु उसमें सूनापन न हो तथा वे पूर्व में कालाजार से पीड़ित रहे हो, वैसे व्यक्तियों को भी आरके-39 किट से जाँच हेतु प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र को रेफर किया जाता है। कालाजार के रोगियों के इलाज की सुविधा जिले के सभी पीएचसी में नि:शुल्क उपलब्ध है।रोगियों को सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने पर श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में सरकार द्वारा 7100 रुपये की राशि दी जाती है। पीकेडीएल मरीजों को पूर्ण उपचार के बाद सरकार द्वारा 4000 रुपये श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में दिये जाने के प्रावधान की जानकारी उन्होंने दी ।

15 दिनों से अधिक समय तक बुखार का होना कालाजार के लक्षण:
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ मुकेश कुमार सिंह कहते हैं कि 15 दिनों से अधिक समय तक बुखार का होना कालाजार के लक्षण हो सकते हैं। भूख की कमी, पेट का आकार बड़ा होना, शरीर का काला पड़ना कालाजार के लक्षण हो सकते हैं। वैसे व्यक्ति जिन्हें बुखार नहीं हो लेकिन उनके शरीर की त्वचा पर सफेद दाग व गांठ बनना पीकेडीएल के लक्षण हो सकते हैं।

जिले में 83 प्रतिशत लोगों को खिलाई गई फाइलेरिया उन्मूलन की दवा:
जिले को फाइलेरिया मुक्त करने की दिशा में सर्वजन दवा सेवन यानी एमडीए अभियान गत वर्ष 20 सितंबर को शुरू किया गया था, जो दिसंबर में खत्म हुआ। अभियान में जिले में 21.76 लाख लोगों को फाइलेरिया उन्मूलन के लिए डीईसी एवम् अल्बेंडाजोल की गोली खिलाई जानी थी। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी ने बताया गत 20 सितंबर को फाइलेरिया उन्मूलन अभियान ने जिले को दिए गए लक्ष्य के सापेक्ष लगभग 83 प्रतिशत लोगों को फाइलेरिया उन्मूलन की दवा का सेवन कराया जा चुका है। डॉ मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि पूर्व की तरह है तय मानकों के अनुसार आशा कार्यकर्ता पात्र लाभुकों को घर घर जाकर दवा का सेवन करवाया। दवा सेवन के दौरान कोविड प्रोटोकॉल का भी ध्यान रखा जा गया था।

एनटीडी को लेकर लोगों में जागरूकता बहुत जरूरी:
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी ने बताया कि फाइलेरिया एवम् कालाजार सहित एन टी डी की सूची में शामिल सभी 20 रोगों की जानकारी एवम् जागरूकता होना बहुत जरूरी है। इसमें कई ऐसे रोग शामिल हैं जिसमें जान तो नहीं जाती, लेकिन जिंदा आदमी को मृत के समान बना देती है। फाइलेरिया भी ऐसी ही एक बीमारी है जिसे हाथीपांव के नाम से भी जाना जाता है। फाइलेरिया के प्रमुख लक्षण हाथ या पैर या हाइड्रोसिल में सूजन का होना होता है। बताया कि फाइलेरिया क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होने वाली एक गंभीर बीमारी है । अगर समय पर फाइलेरिया की पहचान कर ली जाए तो जल्द इलाज शुरू किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि लोगों में इसको लेकर जागरूकता बहुत जरूरी है। इसलिए लोग अपने घर के आस – पास गंदा पानी नहीं जमा होने दे एवं सोते समय मच्छरदानी का रोजाना उपयोग करें।