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कालाजार से बचाव के लिये जिले के चिन्हित 188 गांवों के 2.60 लाख घरों में है छिड़काव का लक्ष्य

चिन्हित 125 गांवों के 1.89 लाख घरों में छिड़काव का कार्य संपन्न, 9.45 लाख लोग लाभान्वित

कालाजार के मामलों को खत्म करने के लिये जन जागरूकता व सामूहिक भागीदारी जरूरी

अररिया(बिहार)जिले में कालाजार के मामलों को खत्म करने के लिये स्वास्थ्य विभाग गंभीर है. इसके लिये हर स्तर पर जरूरी प्रयास किये जा रहे हैं. कालाजार का संक्रमण बालू मक्खी के काटने से होता है. इसके मुख्य लक्षणों में बुखार, वजन घटना, थकान, एनीमिया, लीवर व प्लीहा में सूजन शामिल हैं. पिछले कुल सालों से जिले में कालाजार के मामलों में कमी आयी है. जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ अजय सिंह ने बताया वर्ष 2019 में जहां जिले में कालाजार के कुल 83 मामले सामने आये थे तथा वर्ष 2020 में अब तक रोग के कुल 70 मामले सामने आ चुके हैं. कालाजार से बचाव को लेकर हर साल स्वास्थ्य विभाग द्वारा अलग-अलग चरणों में एसपी दवा का छिड़काव किया जाता है. ताकि रोग के कारक बालू मक्खी को मारा जा सके. जिले में छिड़काव का कार्य बीते 15 सितंबर से ही शुरू है. अब तक निर्धारित लक्ष्य की तुलना में 66.48 प्रतिशत छिड़काव का कार्य पूरा किया जा चुका है.
जिले के चिन्हित 188 गांवों में है छिड़काव का लक्ष्य:
डॉ अजय सिंह ने बताया वर्ष 2020 में रोग के लिहाज से संवेदनशील जिले के चिन्हित 188 गांवों में दवा के छिड़काव का लक्ष्य रखा गया है. लक्ष्य के मुताबिक कुल 02 लाख 60 हजार 594 घरों में छिड़काव का कार्य संपन्न कराया जाना है. इसमें 125 गांवों में छिड़काव का कार्य संपन्न हो चुका है. अब तक 01 लाख 89 हजार 92 घरों में छिड़काव संपन्न हो चुका है. निर्धारित लक्ष्य के आधार पर इस बार छिड़काव से जिले के कुल 12 लाख 95 हजार 200 लोग लाभान्वित होंगे. इसमें 09 लाख 45 हजार 460 लोगों तक इसका लाभ उपलब्ध करा दिया गया है.

कालाजार से बचाव के लिये एसपी दवा का होता है छिड़काव:
कालाजार संक्रमण के लिहाज से जिले का रानीगंज प्रखंड व फारबिसगंज प्रखंड के थरिया बखिया बेहद संवदनशील माना जा रहा है. हाल के दिनों में कालाजार के सबसे अधिक मामले इन्हीं जगहों से सामने आये हैं. लिहाजा वहां कालाजार से बचाव व इसके प्रति लोगों को जागरूक करने के लिहाज से विशेष अभियान का संचालन किया जा रहा है. जिला वीवीडी कंस्लटेंट सुरेंद्र बाबू ने बताया कि कालाजार के कारक बालू मक्खी को मारने के लिये एसपी दवा सिंथेटिक पाराथेराइड का छिड़काव किया जाता है. इसके लिये छिड़काव कर्मियों को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया गया है. दवा के छिड़काव के लिये खास कर उन गांवों को चिन्हित किया गया है. जो पहले से कालाजार से प्रभावित रहे हैं.
गरीब व कमजोर वर्ग के लोग होते हैं ज्यादा प्रभावित:
कालाजार का संक्रमण बालू मक्खी के काटने से होता है. समय पर इसका इलाज नहीं हो तो ये रोगी के मौत का कारण बन सकता है. संक्रमित मादा बालू मक्खियां इस रोग के जीवाणु को मनुष्यों तक पहुंचाती है. ये मक्खियां आमतौर पर ग्रामीण वातावरण में पनपती है. जहां घर की दीवारें व र्फश मिट्टी के होते हैं. जहां लोगों के आवास के पास मवेशियों का बसेरा होता है. इसलिये बीमारी से ज्यादातर गरीब व कमजोर वर्ग के लोगों प्रभावित होते हैं. बालू मक्खी के काटने के काफी समय पर रोग के लक्षण उजागर होते हैं. इसलिये अभियान के तहत लंबे समय से बुखार पीड़ित, भूख की कमी व पेट में सूजन जैसे लक्षण वाले रोगियों की पहचान कर उनके इलाज को प्राथमिकता दी जाती है. रोग की पहचान के लिये आरके 39 किट से जांच में रोग की पहचान होने पर सिंगलडोज मेडिसीन से इसका उपचार किया जाता है. साथ ही केंद्र व राज्य सरकारें मरीजों को अपने स्तर से आर्थिक मदद भी उपलब्ध कराती है.
रोगियों की खोज कर उनका उपचार कराना विभाग की प्राथमिकता:
सिविल सर्जन रूपनारायण कुमार ने कहा कि कालाजार के एक भी मरीज अगर इलाज से वंचित रह जाते हैं तो वे अगल बगल के लोगों के लिये घातक साबित हो सकते हैं. यह एक संक्रामक रोग है. इसलिये एक-एक मरीज को खोज कर उनका उपचार कराने पर स्वास्थ्य विभाग का पूरा ध्यान होता है. रोग से बचाव के लिये लोगों का जागरूक होना भी बेहद जरूरी है.