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सदर अस्पताल में अप्रैल से लेकर अक्टूबर महीने तक 4102 गर्भवती महिलाओं का कराया गया हैं संस्थागत प्रसव

  • संस्थागत एवं सुरक्षित प्रसव के कारण लोगों के बढ़ा सरकारी अस्पतालों के प्रति रुझान:
  • सरकारी अस्पतालों के प्रति मरीज़ों का बढा हैं लगाव:
  • सदर अस्पताल स्थित मॉडल प्रसव केंद्र में मिलती है बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं:

पूर्णियाँ(बिहार)बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी के साथ ही अस्पताल में आने वाले सभी तरह के मरीजों को किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं हो, इसके लिए भी सदर अस्पताल के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ ही अन्य कर्मियों की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। जिसमें गर्भवती महिलाओं के लिए संस्थागत व सुरक्षित प्रसव बेहद ज़रूरी होता है। क्योंकि संस्थागत प्रसव से शिशु व मातृ मृत्यु दर में काफी हद तक कमी की जा सकती है। अस्पतालों में सुरक्षित प्रसव कराने के लिए मेडिकल टीम की प्रतिनियुक्ति की जाती हैं जिसमें महिला चिकित्सक, प्रशिक्षित नर्स के अलावे अन्य कर्मचारी होते है। प्रसव के बाद जच्चा-बच्चा पूरी तरह से स्वास्थ्य हो और मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाना ही इसका मुख्य उद्देश्य होता हैं इसीलिए संस्थागत प्रसव कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग के अलावे आंगनबाड़ी सेविका, सहायिका, आशा कार्यकर्ता, ग्रामीण स्तर पर स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को जागरूक करने के लिए लगाया जाता हैं। वहीं स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए राज्य से लेकर ग्रामीण स्तर तक विभिन्न तरह की योजनाओं को चलाया जाता हैं। जैसे: संस्थागत प्रसव से जुड़े प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान, जननी सुरक्षा योजना सहित कई अन्य तरह की जानकारियां स्थानीय स्तर पर आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी सेविकाओं के माध्यम से चिन्हित गर्भवती महिलाओं व उनके परिजनों को दी जाती हैं।

संस्थागत एवं सुरक्षित प्रसव के कारण लोगों के बढ़ा सरकारी अस्पतालों के प्रति रुझान:
सिविल सर्जन डॉ उमेश शर्मा ने बताया की अस्पताल परिसर स्थित मॉडल प्रसव केंद्र में संस्थागत प्रसव को लेकर सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध हैं क्योंकि गर्भवती महिलाओं का सुरक्षित प्रसव कराना स्वास्थ्य विभाग की पहली प्राथमिकताओं में शामिल है। इसके लिए स्थानीय स्तर पर आशा कार्यकर्ता एवं  आंगनबाड़ी सेविकाओं के माध्यम से संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए चिह्नित गर्भवती महिलाओं को संस्थागत प्रसव के लिए डोर टू डोर भ्रमण कर चिन्हित कर उन्हें प्रोत्साहित किया जाता है। सरकारी अस्पतालों में महिला एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम के साथ प्रशिक्षित नर्सो की प्रतिनियुक्ति पहले से की जाती हैं ताकि सुरक्षित प्रसव कराने में कोई दिक्कत नही हो। आने वाली हर गर्भवती महिलाओं को पहले तो नार्मल तरीके से प्रसव कराने का प्रयास किया जाता हैं लेकिन ऐसा नही होने की स्थिति में उसे सिजेरियन कराया जाता हैं जिसकी सुविधा सदर अस्पताल में मौजूद है। संस्थागत प्रसव के दौरान कोविड-19 से जुड़ी हर तरह से आवश्यक गाइडलाइन का पालन भी किया जाता है।

सरकारी अस्पतालों के प्रति मरीज़ों का बढा हैं लगाव:
सदर अस्पताल के स्वास्थ्य प्रबंधक सिंपी कुमारी ने बताया कि वैश्विक महामारी कोविड-19 संक्रमण काल के दौर में सबसे ज्यादा मरीज़ों लगाव सरकारी अस्पतालों में बढ़ा हैं क्योंकि केवल सदर अस्पताल की बात करें तो अप्रैल 2010 से लेकर अक्टूबर महीने तक 4102 गर्भवती महिलाओं का संस्थागत एवं सुरक्षित प्रसव कराया गया हैं। जिसमें अप्रैल महीने 390, मई में 419, जून में 463, जुलाई में 497, अगस्त में 704, सितंबर में 813 प्रसव कराया गया हैं जबकि अक्टूबर महीने में 816 संस्थागत व सुरक्षित प्रसव कराया गया हैं। सदर अस्पताल में जितनी भी महिला चिकित्सक, प्रशिक्षित नर्स को मॉडल प्रसव गृह में प्रतिनियुक्ति की गई हैं उन्हें खासकर कोविड-19 से जुड़े हर तरह की जानकारियां भी दी जा चुकी हैं क्योंकि प्रसव कराने आने वाली हर गर्भवती महिलाओं को सबसे पहले कोविड-19 की जांच करानी पड़ती हैं इसके बाद ही हर तरह की जांच कराया जाता हैं ताकि प्रसव के दौरान हर तरह की चुनौतियों का सामना किया जा सकें।

सदर अस्पताल स्थित मॉडल प्रसव केंद्र में मिलती है बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं:
मॉडल प्रसव केंद्र की प्रभारी सह प्रशिक्षित जीएनएम अंशु कुमारी ने बताया कि सदर अस्पताल में 8 बेड वाले मॉडल प्रसव केंद्र में आने वाली गर्भवती महिलाओं का संस्थागत प्रसव कराने के बाद नवजात शिशुओं के वजन ढाई किलोग्राम से कम होता हैं तो उसे कंगारू मदर केयर में 48 घंटे तक रखा जाता हैं। साथ ही नवजात शिशुओं को उसके मां के सीने के साथ सुलाया जाता हैं ताकि वह स्तनपान करा सकें और माँ का स्नेह बच्चा को मिलता रहे। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए हर तरह की जानकारी के साथ आवश्यक वस्तुओं को भी लाने को कहा जाता हैं जिसमें ठंढ के मौषम में गर्म कपड़े भी शामिल है। साथ ही प्रसव कराने आई महिलाओं की एचआईवी, एचबीएससी, ब्लडशुगर, हीमोग्लोबिन तथा कोविड-19 जांच कराई जाती हैं और प्रसव के बाद भी जच्चा-बच्चा स्वस्थ रहे इसके लिए हर तरह की जांच के बाद उपचार कराये जाने के लिए भी सलाह दी जाती हैं। साथ ही गर्भ निरोधक उपायों को अपनाने के लिए सलाह भी दिया जाता हैं।

कोविड-19 के संक्रमण काल में उचित व्यवहारों का करें पालन:
-एल्कोहल युक्त सैनिटाइजर का प्रयोग करें।

-सामुदायिक स्थलों पर हमेशा फेस कवर या मास्क का प्रयोग करें।

-अपने हाथों को साबुन व पानी से लगातार धोएं।

  • आंख, नाक और मुंह को छूने से बचें।
  • छींकते या खांसते समय मुंह को रूमाल से ढकें।