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मलेरिया से बचाव को रात में मच्छरदानी जरूरी: सिविल सर्जन

सिवान:मलेरिया से बचाव के लिए रात में सोते समय मच्छरदानी का उपयोग अनिवार्य है। यह बात सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद ने मलेरिया माह को लेकर आयोजित मीडिया कार्यशाला में कही। उन्होंने बताया कि मलेरिया एक संक्रामक रोग है, जो मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने से फैलता है। इसके लक्षणों में ठंड के साथ बुखार, सिरदर्द, उल्टी, पसीना आना और कमजोरी शामिल हैं। ऐसे लक्षण दिखें तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जांच कराएं।

डॉ प्रसाद ने बताया कि मलेरिया चार प्रकार का होता है। प्लास्मोडियम विवैक्स (पीवी), प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम (पीएफ), प्लास्मोडियम मलेरिया (पीएम) और प्लास्मोडियम ओवेल (पीओ)। बिहार में मुख्य रूप से पीवी और पीएफ मलेरिया के मामले मिलते हैं। इनमें पीएफ सबसे खतरनाक होता है, जबकि पीवी सबसे सामान्य। समय पर जांच और इलाज से मलेरिया से बचा जा सकता है।

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ ओम प्रकाश लाल ने बताया कि वर्ष 2024 में जिले में मलेरिया के 11 मामले सामने आए थे। वर्ष 2025 में अब तक 5 मामले मिले हैं। इनमें आंदर, दारौंदा, हसनपुरा, रघुनाथपुर और जिरादेई से एक-एक मामला सामने आया है। अधिकतर मरीज दूसरे राज्यों से लौटे लोग हैं।

उन्होंने बताया कि भारत सरकार हर साल जून को एंटी मलेरिया माह के रूप में मनाती है। इसका उद्देश्य लोगों को मलेरिया के प्रति जागरूक करना और बीमारी के नियंत्रण व उन्मूलन की दिशा में सामूहिक प्रयास को बढ़ावा देना है।

स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से अपील की है कि मानसून में मच्छरों की संख्या बढ़ जाती है। ऐसे में घर और आसपास सफाई रखें। जल जमाव न होने दें। अनुपयोगी बर्तन, कूलर, पानी की टंकी, टायर और पशु-पक्षियों के पानी पीने के बर्तन समय-समय पर साफ करें।

कार्यशाला में डीआईओ डॉ अरविंद कुमार, डीपीएम विशाल कुमार सिंह, डीवीबीडीसी नीरज कुमार सिंह, डीपीसी इमामुल होदा, वीडीसीओ विकास कुमार और कुंदन कुमार, डब्ल्यूएचओ के एसएमओ डॉ अमजद अली, सिफार के डीपीसी धर्मेंद्र रस्तोगी सहित कई अधिकारी और कर्मी मौजूद रहे।