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भारतीय त्यौहार की महत्ता पर लिखी पुस्तक का हुआ विमोचन

जय प्रकाश विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. फारूक अली के द्वारा किया गया विमोचन

सारण(बिहार)छपरा की धरा को एक बार फिर गौरवान्वित होने का मौका मिला जब जय प्रकाश विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. फारूक अली के द्वारा भारत में विभिन्न पर्व एवं त्यौहारों की महत्ता पर आधारित पुस्तक भारतीय त्यौहार और सामाजिक संवाद का विमोचन किया गया। जिसे डॉ. पवन सिंह तथा डॉ अमरेन्द्र कुमार आर्य द्वारा संपादित किया गया है।

किताब का विमोचन करते कुलपति

पुस्तक विमोचन के दौरान कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया इसके बाद मंच पर सभी अतिथियों का स्वागत सम्मान के साथ पुस्तक के संपादक डॉ अमरेन्द्र आर्य के द्वारा स्वागत उद्बोधन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता रामकृष्ण मिशन आश्रम छपरा के सचिव स्वामी अतिदेवानंद जी महाराज ने किया। इस दौरान सीनेट हॉल में छपरा शहर और आसपास के सैकड़ों साहित्य प्रेमी, शिक्षक, सामाजिक कार्यकर्ता एवं प्रबुद्धजन मौजूद रहें।

कार्यक्रम के दौरान मंच पर विशिष्ट अतिथि के रूप में बिहार विधान पार्षद सदस्य प्रो डॉ वीरेन्द्र नारायण यादव, राजनीति विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ लालबाबू यादव, सारण जिला पार्षद के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष राजेन्द्र प्रसाद, प्रसिद्ध साहित्यकार शंभू कमलाकर, बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष विद्यासागर विद्यार्थी मौजूद रहे। मंच संचालन जय प्रकाश विश्वविद्यालय के जन संपर्क अधिकारी प्रो हरिश्चंद्र के द्वारा किया गया वही धन्यवाद ज्ञापन पुस्तक के सह संपादक के पिता राजेन्द्र प्रसाद राय ने किया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सर्वप्रथम कुलपति प्रो. अली द्वारा दोनों संपादकों को उनकी पुस्तक के लिए शुभकामनाएं दी। कुलपति प्रो. फारुक अली ने कहा कि पुस्तक के संपादक सारण के लाल जय प्रकाश विश्वविद्यालय के पूर्ववर्ती छात्र भी है जिनके द्वारा भारतीय पर्व एवं त्यौहारों की महत्ता पर आधारित पुस्तक प्रकाशित करने की पहल को सराहनीय बताया। उन्होंने कहा कि सामाजिक एवं सांस्कृतिक विविधता के बावजूद भारतीय त्यौहार ही है जो समाज में समता, समानता, सद्भाव और भाईचारे को प्रोत्साहित करते है और विविधता में एकता के रूप में राष्ट्रीय अखंडता का मूल आधार बने हुए है।

अपने संबोधन के दौरान बिहार विधान पार्षद सदस्य प्रो डॉ वीरेन्द्र नारायण यादव ने पुस्तक में समाहित भारतीय पर्व पर आलेखों के साथ सारण की लोक संस्कृति विरासत की चर्चा की उन्होंने कहा कि सारण जिले वासियों को यह गौरवान्वित होने का पल है। जहा हम संस्कार और संस्कृति की बात करते है वही भारतीय त्यौहारों की चर्चा होना लाजमी है। हमारे भारतीय तीज त्यौहार का धार्मिक सांस्कृतिक सामाजिक और आध्यात्मिक हर एक दृष्टि से विशेष महत्व है। ये हमारी संस्कृति विरासत और हमारा गौरव है। आशा ही नही पूर्ण विश्वास है इस पुस्तक में समाहित सारगर्भित जानकारियों से आने वाली पीढ़ीयों को वैज्ञानिक संस्कृति से परिचित होने का अवसर मिलेगा।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जय प्रकाश विश्वविद्यालय के राजनीति विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ लालबाबू यादव ने पुस्तक के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि साहित्यिक क्षेत्र में विशेष रूप से लिखी पुस्तक पुस्तिकाएं समाज में बदलाव लाने में अहम भूमिका निभा सकती हैं। भारतीय त्यौहारों का विविध परंपराओं को सामाजिक अवधारणाओं के साथ कैसे संवाद स्थापित किया गया है इसकी विस्तृत जानकारी दी गई है। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक में सारबद्ध भारतीय पर्व एवं त्यौहारों की महत्ता का संदेश, आने वाली पीढ़ी को भारत की सांस्कृतिक विरासत से अवगत करवायेगा।

बताते चले कि इस पुस्तक के संपादन में अपनी महती भूमिका निभाने वाले दोनो शख्स मीडिया क्षेत्र में लगभग 15 वर्षों का अनुभव रखने वाले डॉ. पवन सिंह जे.सी. बोस विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर है तथा मीडिया एवं संचार प्रौद्योगिकी विभाग के अध्यक्ष है। इससे पूर्व, नागरिक पत्रकारिता विषय पर उनकी पुस्तक प्रकाशन हो चुकी है। राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित शोध पत्रिताओं में उनके 30 से ज्यादा शोध पत्र एवं आलेख प्रकाशित है। वही सारण जिले के सदर प्रखंड के सिंगही में जन्मे डॉ अमरेन्द्र कुमार आर्य वर्तमान में दिल्ली कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड कॉमर्स, दिल्ली विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर है। सक्रिय पत्रकारिता के साथ-साथ अकादमिक क्षेत्र में काफी अनुभव रखने वाले डॉ आर्य ने बिहार ही नहीं बल्कि पूरे भारत देश में मशहूर भोजपुरी लोकगीतों में सामाजिक समरसता विषय पर शोध किया है।