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कोरोना संक्रमण काल में मानसिक स्वास्थ्य की महत्ता पर हुई चर्चा

• “आस्क द डॉक्टर” सीरीज के तहत यूनिसेफ, विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं इंदिरा गाँधी आयुर्विज्ञान संसथान के तत्वावधान में वेबिनार का हुआ आयोजन
• देश की 15 करोड़ आबादी है मानसिक बिमारियों से ग्रसित- डॉ. राजेश कुमार
• बच्चे, महिलाएं और हाशिए पर रहने वाली आबादी सबसे ज्यादा प्रभावित- नफीसा शफीक
• कोविड संक्रमण से निपटने में राज्य सरकार पूरी तरह सक्षम- डॉ. राजेश वर्मा

छपरा(बिहार)“ संक्रमण काल में मानसिक रूप से मजबूत रहना इस कठिन समय से निकलने के लिए आवश्यक है।जरुरी है की आमजन मानसिक अवसाद की स्थिति से बचें और इसके लक्षणों को समझे।अपनों से संपर्क में रहना, दिमाग को अपने कार्यों में व्यस्त रखना और सकारात्मक सोच बनाये रखना, इस संक्रमण काल से सकुशल निकलने में सभी के लिए सहायक सिद्ध होगा”, उक्त बातें डॉ. राजेश कुमार, विभागाध्यक्ष, मानसिक स्वास्थ्य विभाग, इंदिरा गाँधी आयुर्विज्ञान संस्थान ने वेबिनार में मानसिक स्वास्थ्य की महता के बारे में जानकारी देते हुए कही।“आस्क द डॉक्टर” सीरीज के तहत यूनिसेफ, विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं इंदिरा गाँधी आयुर्विज्ञान संसथान के तत्वावधान में वेबिनार का आयोजन किया गया जिसमे चिकित्सकों, स्वास्थ्य विशेषज्ञों एवं UN agencies के कार्यकर्ताओं और सहयोगी संस्थानों स्वायसेवी संस्थाओं के करीब 400 प्रतिभागियों ने वेबिनार में अपनी उपस्थिति दर्ज करायी और विशेषज्ञों द्वारा अपने सवालों के जवाब पाया।

बच्चे,महिलाएं और हाशिए पर रहने वाली आबादी सबसे ज्यादा प्रभावित:नफीसा शफीक
वेबिनार के शुभारंभ यूनिसेफ की राज्य पदाधिकारी नफीसा शफीक ने बताया कि संक्रमणकाल ने सभी को प्रभावित किया है और इस समय बच्चे,महिलाएं और समुदाय के वंचित वर्ग के लोग सबसे ज्यादा ग्रसित हैं।ससमय उपचार की व्यवस्था एवं समुदाय को मानसिक/सामाजिक सहारे की जरुरत है। उन्होंने बताया कि एक शोध के अनुसार करीब 28 प्रतिशत किशोरियां मानसिक अवसाद की स्थिति से गुजर रहीं हैं और सभी को इसपर ध्यान देने की आवश्यकता है।

देश की 15 करोड़ आबादी है मानसिक बिमारियों से ग्रसित: डॉ. राजेश कुमार
डॉ. राजेश कुमार, विभागाध्यक्ष, मानसिक स्वास्थ्य विभाग, इंदिरा गाँधी आयुर्विज्ञान संस्थान ने वेबिनार में मानसिक स्वास्थ्य की महता के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि कोविड संक्रमण का दौर सभी के लिए कई चुनौतियाँ लेकर आया है और इस समय मानसिक रूप से स्वस्थ और मजबूत रहकर संक्रमण काल का मुकाबला किया जा सकता है. मानसिक अवसाद की स्थिति उत्पन्न न हो इसके लिए इसके लक्षणों की पहचान जरुरी है।
डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य पर 2015-16 में निमहांस बंगलुरु द्वारा सर्वे में यह पाया गया की देश की लगभग 15 करोड़ की आबादी किसी न किसी तरह के मानसिक रोग से ग्रसित है।देश की अनुमानित करीब 40 लाख की आबादी को तत्काल अस्पताल में भर्ती होकर चिकत्सीय प्रबंधन की आवश्यकता है।उन्होंने बताया कि संक्रमण काल में स्वास्थ्यकर्मियों को मानसिक रूप से स्वस्थ रहना जितना जरुरी है वहीँ सभी को मानसिक एवं सामाजिक सहारे की जरुरत है ताकि लोग मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकें।
कोविड संक्रमण से निपटने में राज्य सरकार पूरी तरह सक्षम:डॉ. राजेश वर्मा
वेबिनार को संबोधित करते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन के डॉ. राजेश वर्मा ने बताया कि राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग कोरोना की चुनौती से सफलतापूर्वक निपटने को प्रतिबद्ध है।संस्थागत ढांचे से लेकर मरीजों को त्वरित उपचार उपलब्ध कराना विभाग का लक्ष्य है और इसके लिए सभी जरुरी इंतजाम किये गए हैं। उन्होंने बताया कि 12 हजार से अधिक ऑक्सीजनयुक्त बेड एवं 502 आईसीयू बेड अस्पतालों में उपलब्ध हैं।राज्य में 6.5 लाख से अधिक लोगों की कोरोना जांच की गयी है और राज्य में ओमिक्रोन वैरिएंट से संक्रमित 67 मरीज पाए गए हैं।

वेबिनर को संबोधित करते हुए यूनिसेफ के डॉ. सिद्धार्थ रेड्डी ने बताया कि ओमिसंक्रमण का प्रसार तेजी से जरुर हुआ है लेकिन यह डेल्टा वैरिएंट की तरह घटक साबित नहीं हुआ है।ज्यादातर कोरोना संक्रमित मरीजों को होम आइसोलेशन में रहने की सलाह दी जा रही है और वे स्वस्थ हो रहे हैं।इस समय टीकाकरण, कोविड अनुरूप आचरण का पालन संक्रमण से सुरक्षा का सबसे सशक्त तरीका है।

वेबिनार का संचालन निपुण गुप्ता, संचार विशेषग्य, यूनिसेफ और डॉक्टर सरिता वर्मा ने किया।निपुण ने कहा संक्रमण से लड़ाई में उपचार एवं सहयोग के साथ उम्मीद की अलख समुदाय तक पहुंचाने की जरुरत है। इंदिरा गाँधी आयुविज्ञान संस्थान के मानसिक रोग विभाग की क्लिनिकल साइकोलोजिस्ट डॉ. प्रिया कुमार ने बताया मानसिक समस्याओं की स्थिति में प्रारंभिक लक्षणों को पहचानकर मानसिक प्राथमिक उपचार करना एवं गंभीर मरीजों के लिए तत्काल चिकित्सीय प्रबंधन की जरुरत है।