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पूर्णिया में टीबी मुक्त पंचायत पहल कार्यक्रम की सफ़लता को लेकर जिला स्तरीय बैठक आयोजित

टीबी मरीज़ों का टीबी नोटिफिकेशन बढ़ाने की आवश्यकता: सिविल सर्जन

एक हजार जनसंख्या पर दो से कम मरीज मिलने पर पंचायत को टीबी मुक्त माना जाएगा: सीडीओ

टीबी के प्रति समुदाय में फैली भ्रांतियों एवं भेदभाव को दूर करना पहली प्राथमिकता: डब्ल्यूएचओ

पूर्णिया(बिहार)राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत “टीबी मुक्त पंचायत पहल” कार्यक्रम की सफ़लता को लेकर जिलास्तरीय बैठक राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय सह अस्पताल परिसर के जीएनएम सभागर में सिविल सर्जन डॉ अभय प्रकाश चौधरी की अध्यक्षता में आयोजित की गई। बैठक के दौरान जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ मिहिरकान्त झा, जिला टीबी एड्स समन्वयक राजेश कुमार शर्मा, जिले के एसडीएच, रेफ़रल अस्पताल, सीएचसी एवं पीएचसी के एमओआईसी, जिले के सभी प्रखंडों के पंचायती राज पदाधिकारी, बीएचएम, बीसीएम, एसटीएस एवं एसटीएलएस सहित डब्ल्यूएचओ के डॉ मेजर अवकाश कुमार, केएचपीटी के डीएल अरुणेंदु झा, रीच इंडिया के डीएल चंदन कुमार, वर्ल्ड विजन इंडिया के डीएल अभय श्रीवास्तव, सिफार के धर्मेंद्र रस्तोगी सहित कई अन्य अधिकारी एवं कर्मी उपस्थित थे।

टीबी मरीज़ों का टीबी नोटिफिकेशन बढ़ाने की आवश्यकता: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ. अभय प्रकाश चौधरी ने कहा कि जिले के सभी क्षेत्रों में टीबी मरीज़ों का नोटिफिकेशन अधिक से अधिक बढ़ाया जाना चाहिए। मालूम हो कि आगामी 2025 तक देश को टीबी मुक्त करना है। किसी भी व्यक्ति में टीबी बीमारी से संबंधित लक्षण की जानकारी मिलती है तो उसे अविलंब स्थानीय  हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर (एचडब्ल्यूसी) पर ले जाएं और जांच कराकर संपूर्ण उपचार कराएं। वहीं बैठक के दौरान सभी एसटीएस को निर्देश दिया गया कि टीबी रोग की पहचान होते ही एसटीएस उसके घर का भ्रमण जरूर करें। गृह भ्रमण के दौरान छह वर्ष उम्र तक के बच्चों को जेएनएच की गोली देना सुनिश्चित करें। वहीं अगर गृह भ्रमण के दौरान उनके घर के किसी व्यक्ति में भी टीबी के लक्षण पाए जाते हैं तो शीघ्र ही उनके बलगम जांच की व्यवस्था सुनिश्चित की जाय।

एक हजार जनसंख्या पर दो से कम मरीज मिलने पर पंचायत को टीबी मुक्त माना जाएगा: सीडीओ
जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ मिहिरकान्त झा ने बताया जिले के चयनित प्रखंड के चयनित पंचायत के वार्ड एवं ग्राम को टीबी मुक्त ग्राम पंचायत के लिए कई प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना है। रोगियों के इलाज के साथ ही आमजनों के बीच जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। जिसको लेकर अभियान की शत प्रतिशत सफलता के लिए प्रक्रिया तेज कर दी गई है। टीबी मुक्त पंचायत बनाने के लिए संबंधित पंचायत जनप्रतिनिधि, चिकित्साकर्मी, टीबी चैंपियन, आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी सेविका, जीविका समूह से जुड़ी दीदी और स्थानीय स्तर के सामाजिक कार्यकर्ताओं की ओर से सामुदायिक स्तर पर बैठक का आयोजन किया जाएगा।

टीबी के प्रति समुदाय में फैली भ्रांतियों एवं भेदभाव को दूर करना पहली प्राथमिकता: डब्ल्यूएचओ
डब्ल्यूएचओ के डॉ मेजर अवकाश कुमार ने कहा कि दूरस्थ एवं चिह्नित कठिन क्षेत्रों में आशा एवं अन्य सामुदायिक उत्प्रेरक की दो सदस्यीय टीम के द्वारा डोर टू डोर भ्रमण कर प्रतिदिन कम से कम 50 घर का भ्रमण करने के साथ ही संभावित टीबी रोगियों की पहचान करने का निर्देश दिया गया है। सबसे निचले पायदान के लोगों में जागरूकता पैदा कर टीबी के प्रति समुदाय में फैली भ्रांतियां एवं भेदभाव को कम करना, टीबी रोगियों को शीघ्र निदान एवं उपचार दिलवाना, टीबी की बीमारी को लेकर जागरूक कर संभावित टीबी रोगी को जांच के लिए प्रेरित करना, टीबी रोगियों और उनके परिवारों को परामर्श आदि सहायता उपलब्ध करवाना ही टीबी मुक्त पंचायत पहल अभियान का मुख्य उद्देश्य है।