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डीएम ने जागरूकता रैली को हरी झंडी दिखा किया रवाना

विश्व ऑटिज्म दिवस पर जागरूकता संबंधी कई कार्यक्रम आयोजित

शुरुआती दौर में रोग की पहचान व समुचित इलाज से ऑटिज्म की चुनौती से निजात पाना संभव

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के पोषण व स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना जरूरी

किशनगंज(बिहार)विश्व स्वपरायणता (ऑटिज़्म) जागरूकता दिवस के अवसर पर समाहरणालय परिसर से डीएम डॉ आदित्य प्रकाश के नेतृत्व में हरी झंडी दिखाकर जागरूकता रैली को रवाना किया गया। इस अवसर पर भूमि सुधार उप समाहर्त्ता, निदेशक डीआरडीए, सहायक निदेशक, सामाजिक सुरक्षा कोषांग, सहायक निदेशक, जिला बाल संरक्षण इकाई, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, माध्यमिक शिक्षा एवं साक्षरता, जिला पंचायत राज पदाधिकारी, उप निर्वाचन पदाधिकारी, जिला कल्याण पदाधिकारी एवं अन्य जिला स्तरीय पदाधिकारीगण एवं विभिन्न विभागों के कर्मी व अन्य भी मौजूद थे। रैली को रवाना करने के क्रम में जिलाधिकारी, डॉ प्रकाश ने कहा आज विश्व स्वपरायणता (ऑटिज्म) जागरूकता दिवस पर इस रैली के माध्यम से ऑटिज्म पीड़ित के प्रति भेदभाव मिटाने,ऑटिज्म से आने वाली पीढ़ी पीड़ित ना हो,लोगों में जागरूकता लाने का प्रयास है। जागरूकता रैली में भारत स्काउट एंड गाइड एवं स्कूल के बच्चों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। यह रैली समाहरणालय से रवाना होकर डे मार्केट होते हुए मातृ मंदिर में जाकर समाप्त की गई।

जन-जन जागरूकता की ऐसी बनाये सीढ़ी. ऑटिज्म से पीडित ना हो आने वाली पीढ़ी।
मानसिक विकलांगता या ऑटिज्म किसी भी शिशु के लिये अभिशाप साबित हो सकती है। ऑटिज्म एक मानसिक रोग है। अधिकांश बच्चे इस रोग के शिकार होते हैं। आम लोगों को ऑटिज्म के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल दो अप्रैल को विश्व ऑटिज्म दिवस मनाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इस साल विश्व ऑटिज्म दिवस का थीम “इन्क्लुशन इन द वर्कप्लेस: चैलेंजेस एंड ओपोरचुनिटी इन अ पोस्ट पैनडेमिक वर्ल्ड”रखा गया है। विश्व ऑटिज्म दिवस पर शुक्रवार को जिलाधिकारी के निर्देश पर जागरूकता संबंधी कई कार्यक्रम आयोजित किये गये। इस क्रम में सामाजिक सुरक्षा व बुनियाद केंद्र सहित संबंधित अन्य विभागों के माध्यम से शहर में जागरूकता रैली निकाली गयी।

कई कारणों से बच्चों को होती है ऑटिज्म से ग्रसित होने की संभावना:
ऑटिज्म के लक्षणों का समय पर पहचान कर इसका इलाज जरूरी है विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक अमूमन रोग का कारण अनुवांशिक होता है, लेकिन रोग के लिये बच्चे का घरेलू माहौल भी जिम्मेदार हो सकता है माता-पिता की अधिक उम्र के कारण भी बच्चों के ऑटिज्म की चपेट में आने की संभावना होती है। इसके अलावा प्रसव संबंधी जटिलता, समय पूर्व प्रसव, जन्म के समय नवजात का वजन कम होना सहित गर्भावस्था के दौरान बेहतर पोषण व उचित देखभाल की कमी भी शिशुओं में ऑटिज्म रोग की संभावनाओं को मजबूती देता है।

शुरूआती दौर में रोग की पहचान जरूरी:
ऑटिज्म रोग से संबंधित जानकारी देते हुए सिविल सर्जन डॉ श्री नंदन ने बताया 12 से 13 माह के बच्चों में ऑटिज्म के लक्षण उजागर होने लगते हैं। रोग से पीड़ित व्यक्ति या बच्चा दूसरे लोगों से आंख मिलाने से कतराने लगता है। दूसरे व्यक्ति की बात को न सुनने का बहाना करता है। आवाज देने पर कोई जवाब नहीं देना या अव्यवाहरिक रूप से जवाब देने के साथ-साथ माता-पिता की बातों से अहसमति रखना रोग के लक्षण हो सकते हैं। रोग से पीड़ित बच्चा दूसरों के पास अपनी बात रखने में असहज मजसूस करता है। शारीरिक संकेतों को समझने में असमर्थता, हकलाहट, अधिक समय अकेला में बिताना रोग के प्रारंभिक लक्षणों में शुमार हैं।

गर्भावती महिलाओं के स्वास्थ्य व पोषण पर विशेष ध्यान देना जरूरी:
सिविल सर्जन डॉ श्री नंदन ने बताया बच्चा स्वस्थ व सेहतमंद हो इसके लिये गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के स्वास्थ्य व पोषण का विशेष ध्यान रखना जरूरी है। इस दौरान उचित देखभाल के अभाव में गर्भस्थ शिशु के मानसिक व शारीरिक विकास प्रभावित होने की संभावना नही होती है। इससे रोगग्रस्त शिशु के जन्म लेने की संभावना रहती है। इसलिये गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को प्रोटीन,आयरन,फॉलिक एसिड व प्रचुर मात्रा में कैल्शियम युक्त आहार लेने के लिये प्रेरित किया जाता है। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान रखना जरूरी है। गर्भावस्था के दौरान फॉलिक एसिड के नियमित सेवन से नवजात को ऑटिज्म से काफी हद तक बचाया जा सकता है।

विश्व आत्मकेंद्रित जागरूकता दिवस को मनाये, ऑटिज्म से पीड़ित के प्रति मन में कोई भेदभाव न आये।

अपने बच्चे की कमजोरियों को उसकी ताकत बना दो ऑटिज़्म वापस ना आये इतनी बुरी तरह से उसे हरा दो।

ऐसे अनेक प्रेरणादायक वाक्यों का उच्चारण करते हुए एवं प्ले कार्ड के माध्यम से प्रदर्शन कर एक सौ से अधिक भारत स्काउट एवं गाइड और +2 बालिका उच्च विद्यालय, किशनगंज के गाइड्स एवं बालिकाओं ने रैली के माध्यम से किशनगंज जिला अंतर्गत लोगों के बीच जागरूकता लाने को रैली में अपनी सहभागिता दी।

कार्यक्रम के आयोजक वरीय उप समाहर्त्ता -सह- सहायक निदेशक, सामाजिक सुरक्षा कोषांग, श्वेतांक लाल ने बताया लोगों को जागरूक बनाने के लिए यह प्रभातफेरी / रैली निकाली गई। इस दिन उन बच्‍चों और बड़ों के जीवन में सुधार के कदम उठाए जाते हैं, जो ऑटिज़्म ग्रस्‍त होते हैं और उन्‍हें सार्थक जीवन बिताने में सहायता दी जाती है। ऑटिज़्म या आत्मविमोह एक मानसिक रोग या मस्तिष्क के विकास के दौरान होने वाला विकार है जिसके लक्षण जन्म से या बाल्यावस्था (प्रथम तीन वर्षों में) में ही नज़र आने लगते है और व्यक्ति की सामाजिक कुशलता और संप्रेषण क्षमता पर विपरीत प्रभाव डालता है। विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को ऑटिज्म के प्रति जागरूक बनाने का प्रयास किया जाता है। विदित हो कि इसी के क्रम में 3 अप्रैल एवं 4 अप्रैल को बुनियाद केंद्र में दिव्यांगजन एवं सामान्य बच्चों के लिए निबंध व चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया जाना है। प्रतियोगिता में अव्वल आने वाले प्रथम तीन प्रतिभागियों को जिलाधिकारी के द्वारा पुरस्कृत भी किया जाना निर्धारित है।