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एमसीयू में मनाया गया डॉ. भीमराव अंबेडकर का महापरिनिर्वाण दिवस

पूरे देश एवं समाज के हैं डॉ. अम्बेडकर : कुलपति प्रो. के.जी.सुरेश

बाबा साहब का दर्शन व दृष्टि अलग थी : अतुल तारे

भोपाल : माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में बुधवार को संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। माखनपुरम परिसर में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. के.जी.सुरेश ने की, जबकि मुख्य अतिथि महापरिषद के मान. सदस्य अतुल तारे थे । अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेश ने कहा कि बाबा साहब पूरे देश एवं समाज के थे । प्रो. सुरेश ने कहा कि बाबा साहब ने कहा था कि वह पहले भारतीय एवं अंत में भी भारतीय हैं । उन्होंने कहा था कि मेरी पहली पहचान भारतीय है । प्रो. सुरेश ने कहा कि बाबा साहब ने संविधान लिखते समय उसमें प्रावधान किया था जिससे अनुसूचित जाति जनजाति के लोग आगे बढ़ सके । प्रो. सुरेश ने कहा कि बाबा साहब की समरसता की बात करते हुए कहा कि बाबा साहेब के जीवन में कई चुनौतियां आई, जिसका उन्होंने डटकर सामना किया, उन्होंने बाबा साहब को पथ प्रदर्शक बताया । कुलपति प्रो. सुरेश ने कहा कि हमारा विश्वविद्यालय पत्रकारिता विश्वविद्यालय है इस कारण हमारी जिम्मेदारी और भी ज्यादा बढ़ जाती है । बाबा साहब के व्यक्तित्व को अनुकरणीय बताते हुए प्रो.सुरेश ने कहा कि वह हमारे रोल मॉडल होना चाहिए । कुलपति प्रो. सुरेश ने कहा कि बाबा साहब के नाम पर विश्वविद्यालय में ट्रांजिट हॉस्टल बनाया गया है, जिसका नाम भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर जी के नाम पर है । प्रो. सुरेश ने कहा कि उनकी सोच, विचार, दर्शन को विश्वविद्यालय के कार्यों में क्रियान्वित किया जाएगा। उन्होंने पूरे विश्वविद्यालय परिवार की ओर से बाबा साहेब को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
विश्वविद्यालय की महापरिषद के मान. सदस्य एवं मुख्य अतिथि श्री अतुल तारे ने कहा कि बाबा साहब का दर्शन और व्यक्तित्व विराट था। उन्होंने कहा कि बाबा साहब की दृष्टि अलग थी। अपने व्याख्यान में उन्होंने फ्रांस की क्रांतिस महाभारत के रचियता वेदव्यास, रामायण के रचियता महर्षि वाल्मिकी आदि का उदाहरण देते हुए बाबा साहेब के महान कार्यों के बारे में बताया। श्री तारे ने कहा कि अब भारतीय परिपक्व हो रहे हैं और वह सही को सहीं और गलत को गलत कहने लगे हैं। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब जैसे महापुरुषों से हमें बहुत कुछ सीखना चाहिए। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. अविनाश वाजपेयी,अनुसूचित जाति-जनजाति प्रकोष्ठ के संयोजक श्री प्रदीप डेहरिया, सह-संयोजक श्री ज्ञानेश्वर ढोके, सेल के पदाधिकारी, विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, शिक्षक, अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे ।