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नीतीश सरकार के जातिगत गणना कराने के फैसले को सही

पटना हाई कोर्ट ने जातिगत गणना के खिलाफ दायर सभी याचिकाओं को खारिज किया

पटना: सूबे में नीतीश कुमार की सरकार को बड़ी कामयाबी मिली है।बिहार में अब जातिगत जनगणना करने को लेकर पटना हाईकोर्ट ने लगी रोक को हटा दिया है। पटना हाई कोर्ट ने जातिगत जणगणना के खिलाफ दायर सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। उच्च न्यायालय ने नीतीश सरकार के जातिगत गणना कराने के फैसले को सही बताया है।चाचा भतीजे की सरकार को बड़ी राहत मिल गई है। हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद बिहार में जातिगत जनगणना फिर से शुरू हो पाएगा।

पटना हाईकोर्ट ने जातीय गणना के खिलाफ दायर याचिका पर जुलाई में लगातार पांच दिन सुनवाई की। दोनों ओर के पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने 7 जुलाई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अगस्त के पहले ही दिन अपने फैसले में हाई कोर्ट ने करीब 100 पन्नों का आदेश जारी किया।

नीतीश सरकार ने पिछले वर्ष बिहार में जातिगत गणना कराने का नोटिफिकेशन जारी किया था। इसके बाद जनवरी 2023 में इस पर काम शुरू हुआ। जातिगत गणना को दो चरणों में आयोजित किया गया। पहला चरण जनवरी में तो दूसरा अप्रैल में शुरू हुआ। दूसरे चरण के दौरान पटना हाईकोर्ट ने जातिगत गणना पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी। जिससे बिहार में इस पर काम रुक गया। साथ ही कोर्ट के आदेश पर तब तक इकट्ठा किए गए आंकड़ों को संरक्षित रखा गया।

इस पूरी बहस में सबसे बड़ी बात यह रही कि कोर्ट ने उन सभी अर्जियों को खारिज कर दिया है, जिनमें यह दलील देते हुए जातिगत जनगणना पर रोक लगाने की मांग की गई थी कि जनगणना का काम सिर्फ केंद्र का है राज्य का नहीं। यानी अब अन्य राज्य भी जाति जनगणना को लेकर अपने फैसले ले सकते हैं और पटना हाई कोर्ट का यह फैसला आने वाले दिनों में देश के राजनीति में जाति आधारित गणना का माहौल बनेगा।