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टीबी को नियंत्रित नहीं अब इसके उन्मूलन का हो रहा प्रयास

  • वैश्विक लक्ष्य के मुताबिक वर्ष 2025 तक देश को क्षय रोग से मुक्त करने का है लक्ष्य
  • टीबी उन्मुलन की दिशा में कई सरकारी योजनाओं का हो रहा संचालन

अररिया(बिहार)जिले में टीबी को नियंत्रित करने की जगह अब इसके उन्मूलन की दिशा में सार्थक प्रयास किये जा रहे हैं. वर्ष 2025 तक देश को पूरी तरह क्षय रोगों से मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित है. इसको लेकर जिला यक्ष्मा विभाग द्वारा प्रयास तेज कर दिए गए हैं. टीवी मरीजों की पहचान से लेकर निःशुल्क दवा वितरण एवं निक्षय योजना के तहत लोगों को मिलने वाले लाभ को सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है.

क्षय रोग उन्मूलन की दिशा में हो रहा सार्थक प्रयास:
जिले को क्षय रोग मुक्त बनाने के लिये जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा अलग अलग स्तरों पर कई कार्य किये जा रहे हैं. टीबी रोगियों की पहचान के लिये जहां ग्रामीण स्तर पर सघन अभियान का संचालन किया जा रहा है. टीबी रोगियों के लिये सरकार द्वारा विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का संचालन किया जा रहा है. इस संबंध में जानकारी देते हुए जिला टीबी व एचआईवी कॉर्डिनेटर दामोदर शर्मा ने बताया टीबी रोगियों की पहचान के लिये छह माह के समयांतराल पर एसीएफ एक्टिव केस फाइडिंग अभियान का संचालन किया जाता है. इसमें टीबी उन्मूलन की दिशा में काम करने वाले एनजीओ व विभाग के एसटीएस व एसटीआईएस के माध्यम से ग्रामीण इलाकों का सर्वे कर रोगियों की पहचान का प्रयास किया जाता है. चिन्हित रोगियों को उपचार के लिये नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क स्थापित करने के लिये प्रेरित व जागरूक किया जाता है.

डॉट प्रोवाइडर को प्रोत्साहन राशि देने का है प्रावधान:
टीबी रोगियों को दवा की खुराक खिलाने व इसे लेकर जरूरी परामर्श व सलाह उपलब्ध कराने वाले डॉट प्रोवाइडर को 6 से 9 माह तक रोगी को दवा खिलाने के लिये बतौर प्रोत्साहन राशि एक हजार रुपये का भुगतान किया जाता है. इस संबंध में जानकारी देते हुए टीबी व एचआईवी के जिला समन्वयक दामोदर शर्मा ने बताया टीबी के जटिल एमडीपी रोगियों को डेढ़ साल तक दवा खिलानी होती है. इसके लिये डॉट प्रोवाइडर को प्रोत्साहन राशि के रूप में पांच हजार रुपये के भुगतान का प्रावधान है. इतना ही नहीं पोषण अभियान के तहत टीबी रोगियों के बेहतर पोषण के लिए प्रति माह 500 रुपये की सहायता राशि उपलब्ध करायी जाती है.ताकि वह अपने खान-पान का समुचित ख्याल रख सकें.

हर माह होता है निक्षय दिवस का आयोजन:
सीडीओ डॉ वाईपी सिंह ने बताया हर माह के दूसरे सोमवार को जिले के सभी चिकित्सा केंद्र व ग्रामीण इलाकों में टीबी रोग के प्रति लोगों को जागरूक करने व इसके उपचार संबंधी उपायों के लिये लोगों को प्रेरित करने के उद्देश्य से निक्षय दिवस का आयोजन किया जाता है. इस दौरान लोगों को टीबी रोग के लक्षण, इससे बचाव के उपायों के प्रति लोगों को समुचित जानकारी दी जाती है. इसके साथ ही संदेहास्पद मरीजों को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में अपना बलगम जांच कराने के लिये प्रेरित किया जाता है. ताकि रोग की पहचान होते ही इसका समुचित इलाज कराया जा सके.

बीते साल की तुलना में इस बार टीबी के मामलों में आयी है कमी:
एमओ डॉ मोईज जिले में टीबी उन्मूलन की दिशा में किये जा रहे प्रयासों की जानकारी देते हुए बताया वर्ष 2019 में जिले में एमडीआर के 76 मामले सामने आये थे. इसमें सबका उपचार कराया गया. चालू वित्तीय वर्ष 2020 के दौरान जिले में एमडीआर के 54 मामले सामने आये हैं. जिनका उपचार चल रहा है. उन्होंने बताया कि इस साल सरकारी चिकित्सा संस्थानों के माध्यम से कुल 1396 टीबी रोगियों की पहचान की गयी. तो प्राइवेट चिकित्सा संस्थानों के माध्यम से 613 रोगियों की पहचान सुनिश्चित करायी गयी है.
जाने एमडीआर-टीबी को:
एमडीआर यानी मल्टीप्ल ड्रग रेजिस्टेंस टीबी में टीबी उपचार की प्रथम लाइन मेडिसिन बेअसर हो जाती है. यह सामान्य टीबी की तुलना में अधिक गंभीर होता है. इसके उपचार में अधिक समय लग सकता है एवं सही समय में उचित उपचार नहीं मिलने की दशा में रोगी की हालत ख़राब भी हो सकती है. एमडीआर होने के पीछे टीबी रोग की सम्पूर्ण ख़ुराक नहीं खाना एवं बिना चिकित्सक की सलाह की दवा खाना जैसे कारण हो सकते हैं.