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क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधन इकाई ने आयोजित की शिशु स्वास्थ्य से संबंधित समीक्षात्मक बैठक

नवजात शिशुओं का उचित देखभाल करना हम लोगों की नैतिक जिम्मेदारी: आरएडी डॉ. विजय कुमार

शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम को शत प्रतिशत धरातल पर उतराने में कार्यक्रमों की अहम भूमिका: आरपीएम

पूर्णिया(बिहार)नवजात शिशुओं का सही देखभाल उसके स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। क्योंकि जन्म के बाद कुछ छोटी- छोटी बातों का ध्यान रखने से हम सभी नवजात शिशुओं को पर्याप्त एवं रोगमुक्त विकास सुचारु रूप से सुनिश्चित कर सकते हैं। उक्त बातें प्रमंडल स्तरीय शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम के दौरान उपस्थित प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए क्षेत्रीय स्वास्थ्य अपर निदेशक डॉ. विजय कुमार ने कही। समीक्षात्मक बैठक के दौरान क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक कैसर इक़बाल, राज्य स्वास्थ्य समिति की ओर से सामुदायिक स्वास्थ्य के राज्य सलाहकार राकेश शर्मा, पोषण पुनर्वास के राज्य सलाहकार कुमार राजेश और यूनिसेफ के राज्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. तारिक के द्वारा विस्तारपूर्वक शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम के बारे में बताया गया।

क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधन इकाई द्वारा शिशु स्वास्थ्य से संबंधित समीक्षात्मक बैठक का आयोजन शहर के निजी होटल में किया गया। इस अवसर पर क्षेत्रीय स्वास्थ्य अपर निदेशक डॉ. विजय कुमार, कटिहार के सिविल सर्जन डॉ.जितेंद्रनाथ सिंह, क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक कैसर इक़बाल, क्षेत्रीय आशा समन्वयक प्रियंका कुमारी, क्षेत्रीय अनुश्रवण एवं मूल्यांकन पदाधिकारी सपना कुमारी, बायोमेडिकल इंजीनियर विभूति रंजन, क्षेत्रीय लेखापाल सौरभ कुमार हमदम, यूनिसेफ के शिवशेखर आनंद और देवाशीष घोष, पिरामल के डॉ. सनोज कुमार यादव, सिफार के धर्मेंद्र रस्तोगी सहित पूर्णिया प्रमंडल के अंतर्गत आने वाले कटिहार, किशनगंज, अररिया और पूर्णिया जिले के सभी एसीएमओ, डीपीएम, डीएमएनई, डीसीएम, डीपीसी, एनआरसी और एसएनसीयू के नोडल अधिकारी सहित कई अन्य अधिकारी और कर्मी उपस्थित थे।

नवजात शिशुओं का उचित देखभाल करना हम लोगों की नैतिक जिम्मेदारी: आरएडी डॉ. विजय कुमार
क्षेत्रीय स्वास्थ्य अपर निदेशक डॉ. विजय कुमार ने कहा कि शिशु पृथ्वी पर किसी भी मानव की सबसे पहली अवस्था होती है। क्योंकि जन्म से एक महीने  तक की आयु का शिशु नवजात कहलाता है, जबकि एक महीने से तीन साल तक के बच्चे को सिर्फ शिशु कहते हैं। आम बोलचाल की भाषा में हम लोग नवजात और शिशु दोनों को ही बच्चा कहते हैं। इनकी उचित देखभाल करना हम लोगों की जिम्मेदारी है। उन्होंने यह भी कहा कि गर्भवती महिलाओं को गर्भधारण के बाद महिला रोग विशेषज्ञ द्वारा नियमित रूप से जांच कराना अतिमहत्वपूर्ण होता है। क्योंकि गर्भस्थ नवजात शिशुओं को स्वास्थ होने के लिए गर्भवती माताओं को पोषणयुक्त आहार लेने, समय-समय पर विभिन्न तरह की जांच कराने को लेकर विशेष रूप ध्यान देने की आवश्यकता होती है।

शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम को शत प्रतिशत धरातल पर उतराने में कार्यक्रमों की अहम भूमिका: आरपीएम
क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक कैसर इक़बाल ने कहा कि
शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम को शत प्रतिशत धरातल पर उतराने के लिए पूर्णिया प्रमंडल के सभी जिलों यथा – पूर्णिया, किशनगंज, कटिहार और अररिया जिले में शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए सरकार द्वारा तरह – तरह के कार्यक्रमों का क्रियान्वयन कराया जाता है। जिसमें विशेष नवजात देखभाल इकाई (एसएनसीयू), गृह आधारित नवजात देखभाल (एचबीएनसी), छोटे बच्चों के लिए गृह आधारित देखभाल (एचबीवाईसी) और पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) के माध्यम से शिशु को आसानी से स्वस्थ्य रखा जा सकता है। किसी कारणवश आपका बच्चा निरोग नहीं हुआ है तो उसको पोषण पुनर्वास केन्द्र में पोषित करने के रखा जाता है। क्योंकि बच्चों के साथ उनकी माताएं रहकर देखभाल करती हैं। सबसे अहम बात यह है कि महिलाओं के कार्य का नुकसान नहीं हो। इसके लिए विभागीय स्तर पर प्रतिदिन के हिसाब से राशि देने का प्रावधान है।