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विशेष:राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस

सुनीता कुमारी(प्राध्यापक हिंदी विभाग
ज़िला स्कूल पूर्णिया)

आज के भौतिकवादी युग में रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करते-करते सुबह से शाम कब हो जाती है पता ही नहीं चलता हैं। दिन, महीने, साल दर साल बीतते चले जाते है। लेकिन लोगों को फूरसत के दो पल नसीब नहीं हो पाते हैं। सामाजिक स्तर के अनुसार पारिवारिक जरूरतों को पूरा करते-करते लोग अनुशासित एवं स्वास्थ्य के नियमानुसार जीवन नहीं जी पाते हैं। जिसके कारण एक उम्र गुज़र जाने के बाद बहुत से लोग बीमार होने लग जाते है। पर्यावरण दोहन के कारण भी स्वास्थ्य समस्याएं बढ गई हैं। कुछ प्रकृति जनित तो कुछ मानवजनित रोगों से हमारा जीवन घिरा हुआ हैं।

हमारा आज का भौतिकतावादी जीवनशैली भी हमारे कमजोर स्वास्थ का कारण बना हुआ हैं। स्वास्थ्य से संबंधित समस्याएं हमारे रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा बन चुका हैं। इसी जरूरत ने हमारे जीवन में चिकित्सक की उपयोगिता कई गुणा बढा दी हैं। आए दिन हमें चिकित्सक की अवश्यकता पड़ती हैं। चिकित्सक को यदि भगवान का दर्जा दिया गया है तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं हैं। क्योंकि चिकित्सक की इसी महत्ता को ध्यान में रखकर राष्ट्रीय स्तर पर चिकित्सक दिवस मनाया जाता है। ताकि हम दिवस विशेष पर विचार करते हुए उसे अपने जीवन में आत्मसात कर सके।

भारत में चिकित्सकों के सम्मान के लिए 1 जुलाई को राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस के रूप में मनाया जाता हैं। भारत में इसकी शुरुआत 1991 में महान चिकित्सक एवं पश्चिम बंगाल के द्वितीय मुख्यमंत्री डॉ विधान चंद्र राय के जन्म दिवस के अवसर पर मनाया जाता है। डॉ विधान चंद्र राय को सम्मान देने के लिए चिकित्सक दिवस मनाने की परंपरा की शुरुआत भारत में हुई है। वर्तमान समय में प्रासंगिक है की 1 जुलाई के दिन ही डॉ विधान चंद्र राय का जन्म दिवस एवं पुण्यतिथि दोनों ही है। भारत में चिकित्सकों को सम्मान देने का यह पहला प्रयास नहीं है।

प्राचीन काल से ही भारत में वैद्य को सम्मान देने की परम्परा रही है जिसके प्रमुख उदाहरण महान वैद्य धनवंतरी है। जिन्होंने आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति की शुरुआत किया था। इन्हें देवता का स्थान भी प्राप्त है और दिवाली से पहले धनतेरस के दिन इनकी पूजा अर्चना की जाती हैं। इनके वंशज दिवोदास नामक व्यक्ति हुए। जिन्होंने काशी में विश्व का पहला शल्य चिकित्सा विद्यालय स्थापित किया था। भारत में प्राचीन काल से ही चिकित्सक तथा चिकित्सा पद्धति को सम्मान दिया जाता रहा है। जिस कारण भारत में कई चिकित्सा पद्धति प्रचलित है। चिकित्सक दिवस की महत्ता वर्तमान परिपेक्ष में और भी बढ़ गई है।

वर्ष 2020 की शुरुआत से ही अब तक पूरी दुनिया कोविड-19 से परेशान है। भारत ही नहीं पूरे विश्व के चिकित्सक कर्तव्य निष्ठा के साथ इस कोरोना संक्रमण वायरस से लोगों की जान बचाने में दिन रात एक कर के पूरी लगन के साथ जुड़े हुए हैं। लोगों की सेवा करने के लिए यह चिकित्सक अपना घर परिवार, नाते रिश्तेदार सभी को त्याग कर 24 घंटा ड्यूटी में लगे हुए है। जिस कारण कम से कम क्षति हो रही हैं। लाखों लोगों की जान बचाने के लिए अस्पताल या मेडिकल कॉलेज में रहना खाना पीना सब कुछ करना पड़ रहा है।

चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े लोग रात दिन मेहनत करने में जुटे हुए हैं। नई-नई तकनीक के साथ जुड़ कर शोध कार्य करते हुए नई तरक़ीब खोजने में लगे हुए हैं। जिससे इस कोरोनावायरस से लड़ते हुए मुक्ति पाया जाए। समाज के इन्ही प्रत्यक्ष दिखने वाले भगवान की वजह से कोविड- 19 का टीकाकरण कार्य चल रहा हैं। कई तरह की दवा बाजार में उपलब्ध है। जो लोगों की जान बचाने में कारगर साबित हो रहे हैं। दुनियाभर के चिकित्सक कोरोनाकाल में मिशाल पर मिशाल पेश कर रहे हैं। हमें भी इनके सम्मान में आवश्यक रूप से नतमस्तक होना चाहिए। इनके द्वारा सुझाये गए स्वास्थ्य नियमो का पालन करना चाहिए। इनके सहयोग में हमेशा तत्पर रहना चाहिए।