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संचारीभावों में छिपा है भावाभिव्यक्ति का पूरा रहस्य

मगाकेंविः भरतमुनि संचार शोध केंद्र में संचार सूत्रों की उपादेयता पर वेब संगोष्ठी

संचार का आशय गतिशीलता और प्रवाह से-प्रो. श्रीप्रकाश पांडेय

कुलपति ने मीडिया के छात्रों के कौशल विकास पर दिया जोर, विभाग की सराहना की

मोतिहारी(बिहार) महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के मीडिया अध्ययन विभाग से संबद्ध आचार्य भरत मुनि संचार शोध केंद्र द्वारा भरत मुनि के संचार सूत्र की वर्तमान में उपादेयता विषय पर वेब संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता महात्मा केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी के कुलपति प्रोफेसर संजीव कुमार शर्मा ने की। प्रति कुलपति प्रो जी गोपाल रेड्डी का विशेष सान्निध्य भी प्राप्त हुआ।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सह विशेष वक्ता बी.आर.ए बिहार विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के प्रो श्रीकाश पांडेय ने अपने उद्बोधन के दौरान भरतमुनि के संचार सूत्रों पर प्रकाश डालते हुए संचारी भावों को भावाभिव्यक्ति के संदर्भ में महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा स्थाई भाव से ही रसास्वादन होता है अलौकिक आनंद का हेतु भी यही है। उन्होंने कहा कि संचरण का आशय गति से है और व्याकरण में संचरण करने के भाव को ही संचार कहते हैं। कालिदास, तुलसीदास एवं महर्षि पतंजलि जैसे आचार्यों के साथ उन्होंने नाट्यशास्त्र के व्याख्याकार आचार्य अभिनवगुप्त और अन्य विद्वानों की सम्मतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि अभिव्यक्ति के संदर्भ में भाषा, शब्द और प्रतीकों और भावभंगिमाओं की महत्ता सर्वविदित है। वर्णों तथा शब्दों के उच्चारण के सही तरीके को समझाते हुए उन्होंने पाठक के 6 गुणों की चर्चा की।

मुख्य अतिथि प्रोफेसर श्री प्रकाश पांडेय ने अपने उद्बोधन के दौरान संचार क्षेत्र के विभिन्न व्याख्यानों एवं रसों पर चर्चा की। उन्होंने कहा स्थाई भाव ही रस के रूप में परिणत्व होते हैं तथा अलौकिक आनंद प्रदान करते हैं। संचार के भाव पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा व्याकरण में संचरण करने के भाव को संचार करते हैं और संचार के क्षेत्र में यथार्थ का ज्ञान होना आवश्यक है । कालिदास, तुलसीदास एवं महर्षि पतंजलि जैसे आचार्य तथा विद्वानों के रचित अभिज्ञान शकुंतलम जैसे काव्य पाठ के संस्कृत छंदों से मुख्य अतिथि ने विद्यार्थियों का ज्ञान वर्धन किया। वर्णों तथा शब्दों के उच्चारण के सही तरीके को समझाते हुए उन्होंने पाठक के 6 गुणों की चर्चा की।
अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. संजीव कुमार शर्मा ने शोघ केंद्र से अन्य विभागों को जोड़ने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि मीडिया अध्ययन विभाग के शिक्षक, विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों की सक्रियता से विवि की अलग पहचान बनेगी। उन्होंने मीडिया के विद्यार्थियों के कौशल विकास को लेकर विश्वविद्यालय के विभिन्न प्रयासों पर भी प्रकाश डाला।
प्रति कुलपति प्रोफेसर जी गोपाल रेड्डी ने वर्तमान समय में भरत मुनि के संचार सूत्रों को महत्वपूर्ण बताते हुए विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों का मार्गदर्शन किया ।

स्वागत उद्बोधन मीडिया अध्ययन विभाग के अध्यक्ष सह शोधकेंद्र के समन्वयक डॉ अंजनी कुमार झा ने दिया। अपने स्वागत उद्बोधन में डॉ. झा ने कहा कि आचार्य भारत मुनि संचार केंद्र प्राचीन संचार शोध और विकास के लिए प्रतिबद्ध है। भविष्य में केंद्र का संचार से संबंधित शोध पत्रिका तथा पुस्तकों के प्रकाशन की योजना है। उन्होंने कहा कि आचार्य भारत मुनि के संचार सूत्र पर अध्येताओं और शोधार्थियों को विस्तृत कार्य करने की आवश्यकता है।
संचालन मीडिया अध्ययन विभाग के सहा. आचार्य एवं केन्द्र के सह समन्वयक डॉ. साकेत रमण ने किया। धन्यवाद ज्ञापन सहायक आचार्य डॉ परमात्मा कुमार मिश्रा ने किया।
कार्यक्रम में विभाग के सहायक आचार्य डॉ सुनील दीपक घोडके व डॉ उमा यादव भी उपस्थित रहीं।
कार्यक्रम के आखिरी पड़ाव में विवि की जनसंपर्क अधिकारी शेफालिका मिश्रा ने आभासी मंच पर विवि की गतिविधियों पर केंद्रित डॉक्यूमेंट्री का प्रदर्शन किया। कार्यक्रम के अध्यक्ष तथा मुख्य अतिथि सहित अन्य अधिकारियों का परिचय विभाग की शोधार्थी गुंजन शर्मा और प्रमोद पांडेय तथा एमजेएमसी की प्रकृति ने कराया। इस अवसर पर विवि के संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो.प्रसून दत्त सिंह, हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो,राजेंद्र सिंह बड़गूजर, चौधरी चरण सिंह मेरठ विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग के अध्यक्ष प्रो. प्रशांत कुमार, संस्कृत विभाग के सह आचार्य डॉ. श्यामकुमार झा व अन्य प्राध्यापक तथा विवि के अधिकारी और शोधार्थी व अन्य छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।