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वैविध्य की परम्परा भारत की पहचान: कुलपति प्रो. संजीव कुमार शर्मा

फ्रांस के गन्नत फेस्टिवल में बोले कुलपति

मोतिहारी(बिहार)यूनेस्को के सहयोग से वर्ल्ड फोकलोर फेस्टिवल ऑफ गन्नत फ्रांस, 2020 का आयोजन हो रहा है। इस अंतरराष्ट्रीय समारोह के अंतर्गत स्टोरी टेलिंग थ्रू मास्क विषय पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी यूनेस्को, यूनिवर्सिटी ऑफ मांट्रियल कनाडा, डीकीन यूनिवर्सिटी ऑस्ट्रेलिया एवं मीडिया अध्ययन विभाग महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हुई । भारत की ओर से विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व करते हुए कुलपति प्रो. संजीव कुमार शर्मा ने महोत्सव में उपस्थित सभी प्रतिभागियों को अपने उद्घाटन वक्तव्य में भारत की महानतम संस्कृति से परिचित कराया। सर्वे भवन्तु सुखिनः की वैश्विक मानवता के कल्याण की भारतीय अवधारणा एवं दर्शन पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि मैं एक ऐसे देश का प्रतिनिधित्व कर रहा हूं जिसका हजारों वर्ष का गौरवशाली इतिहास रहा है। जिसकी विशिष्टता वैविध्य की परंपरा में है परंतु एकात्मता का एक विशिष्ट सांस्कृतिक बंधन संपूर्ण राष्ट्र को आपस में जोड़ें है। इसे दुनिया भारत या भारतवर्ष के रूप में जानती है। कुलपति प्रो. शर्मा ने आगे कहा कि भारतवर्ष एक ऐसी भूमि है जिसका एक बहुत ही विस्तृत सांस्कृतिक इतिहास है और हमारी संस्कृति शांतिपूर्ण सह अस्तित्व के लिए संपूर्ण विश्व मानस को प्रेरित करती रही है। इस राष्ट्र के इसी वैविध्य पूर्ण संस्कृति की परंपरा भारत को विश्व का पथ प्रदर्शक भी बनाती है और इसे ही समेकित रूप में हम सनातन दर्शन और सनातन धर्म के रूप में जानते हैं।
इससे पूर्व संयोजक डिकीन विश्वविद्यालय ऑस्ट्रेलिया के डॉ विक्रांत किशोर ने संगोष्ठी की रूपरेखा रखी एवं सहसंयोजक यूनिवर्सिटी ऑफ मांट्रियल कनाडा के एटिनी रौजियर ने सभी का स्वागत किया। मीडिया अध्ययन विभाग, महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय की ओर से विभागाध्यक्ष डॉ प्रशांत कुमार, डॉ अंजनी कुमार झा, डॉ साकेत रमण, डॉ परमात्मा कुमार मिश्र, डॉ सुनील दीपक घोड़के, डॉ उमा यादव समेत पीएचडी, एम फिल एवं एम.ए. पत्रकारिता एवं जनसंचार के सभी विद्यार्थियों ने संगोष्ठी में सक्रिय सहभागिता की। फेस्टिवल में फ्रांस, भारत, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, मेक्सिको, बोलीविया समेत विश्व के 15 से अधिक देशों के प्रतिनिधि सम्मिलित हुए।