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पोषण परामर्श केंद्र में विभिन्न गतिविधियों का हुआ आयोजन, दी गई पोषण सम्बंधित जानकारी

  • पोषक तत्त्वों से कुपोषण दूर करने की दी गयी जानकारी
  • जीविका कार्यकर्ता को मिला घर-घर सही पोषण की जानकारी देने का निर्देश
  • जागरूकता के लिए आयोजित हुई मेहंदी प्रतियोगिता

कटिहार(बिहार)जिले में पोषण अभियान की जानकारी लोगों तक पहुँचाने के लिए आईसीडीएस द्वारा विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है. सभी प्रखंडों में पोषण परामर्श केन्द्र खोले गए हैं. केन्द्रों में लोगों को सही पोषण की जानकारी देने के साथ ही उसके प्रति जागरूक भी करवाया जा रहा है. ऐसा ही एक कार्यक्रम जिले के प्राणपुर प्रखंड के परामर्श केंद्र में भी आयोजित किया गया, जहां लोगों को पोषण परामर्श देने के साथ ही अन्य आकर्षक गतिविधियाँ जैसे कि रंगोली, मेहंदी प्रतियोगिता, पोषण थाली आदि आयोजित की गई. साथ में घर-घर पोषण सम्बंधित जानकारी देने के लिए पोषण रथ भी रवाना किया गया. कार्यक्रम में प्रखंड सीडीपीओ माधवी लता, महिला पर्यवेक्षिकाओं के साथ ही क्षेत्र की जीविका दीदियाँ व पिरामल फाउंडेशन के बीटीओ भी उपस्थित रहे.

आयोजित हुई विभिन्न गतिविधियाँ :

पोषण परामर्श केंद्र पर लोगों को जागरूक करने के लिए विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया गया. घर-घर पोषण जागरूकता फैलाने के लिए पोषण रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया. इसके बाद उपस्थित महिलाओं के साथ मेहंदी प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया, जिसमें महिलाओं के हाथों में मेहंदी लगाई गई जिसमें पोषण के संदेश लिखे गए. परामर्श केंद्र पर विभिन्न खाद्य पदार्थों का उपयोग कर रंगोली भी बनाई गई.

नवजात शिशुओं के लिए उनके पहले हजार दिन महत्वपूर्ण :

इस अवसर पर सीडीपीओ माधवी लता ने कहा कुपोषण पर लगाम लगाने के लिए लोगों का जागरूक होना जरूरी है. लोगों के जागरूकता के लिए जिले में पोषण रथ, परामर्श केंद्र के अलावा विभिन्न गतिविधियाँ आयोजित कर पोषण के संदेश को जन-जन तक पहुंचाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि बच्चे के सही पोषण के लिए उनके पहले हजार दिन महत्वपूर्ण हैं, जिसमें गर्भावस्था के 270 दिन, उसके बाद 2 वर्ष तक लगभग 730 दिन होते हैं. इसी समय बच्चे को सही आहार दिया जाना चाहिए जिससे उसका मस्तिष्क तेजी से विकास कर सके. पौष्टिक आहार के रूप में 6 माह तक बच्चे को केवल मां का दूध एवं उसके बाद ऊपरी आहार दिया जाना चाहिये.

गर्भवती महिला और किशोरियों को एनीमिया का रहता है खतरा :

सीडीपीओ ने कहा कि हमारे देश की बहुत सी महिलाएं और किशोरी को एनीमिया की शिकायत है. गर्भवती महिलाओं के एनीमिया ग्रसित होने का असर उनके होने वाले बच्चों में भी पड़ सकता है. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा गर्भवती महिलाओं को आईएफए टेबलेट, कैल्शियम टैबलेट, आयरन की गोलियां दी जाती है. छोटे बच्चों में आयरन की कमी रोकने के लिए सीरप दिया जाता है. छोटे बच्चों में डायरिया की शिकायत होती है जिसके लिए ओआरएस घोल दिया जाता है. डायरिया की स्थिति में भी बच्चों का स्तनपान करना बंद नहीं करना चाहिए. उन्होंने पोषण के साथ ही स्वच्छता को भी स्वास्थ्य रहने के लिए महत्वपूर्ण बताया. उन्होंने कहा कि लोगों को हाथ सफाई को बच्चों की आदत में शामिल करना चाहिए.

दी गई पौष्टिक आहार की जानकारी :

परामर्श केंद्र में उपस्थित जीविका कार्यकर्ताओं को घर-घर जाकर पौष्टिक आहार की जानकारी देने का निर्देश दिया गया. जीविका कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए सीडीपीओ माधवी लता ने कहा कि कुपोषण से बचने के लिए किसी भी व्यक्ति के आहार में पोषक तत्वों की सही मात्रा होनी चाहिए. भोजन में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन और खनिज सहित पर्याप्त पोषक तत्वों का सेवन करना चाहिये. आँगनबाड़ी केन्द्रों में शिशुओं के लिए स्वादिष्ट व पौष्टिक पोषाहार का वितरण कराया जाता है. इसके अलावा गर्भवती महिलाओं व धात्री महिलाओं को भी पौष्टिक आहार दिया जाता है, ताकि कोख में पलने वाला बच्चा कुपोषण का शिकार न हो सके.