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फाइलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम की रूपरेखा को लेकर कार्यशाला का हुआ आयोजन

  • 28 सितंबर से 12 अक्टूबर तक चलेगा 14 दिवसीय कार्यक्रम
  • 40 लाख से अधिक लोगों को खिलाई जाएगी दवा
  • आशा, एएनएम घर-घर जाकर खिलाएगी एल्बेंडाजोल और डी.ई.सी. की दवा
  • कालाजार नियंत्रण के लिए कार्यरत है स्वास्थ्य विभाग

पूर्णियाँ(बिहार)जिले में 28 सितम्बर से फायलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम की शुरुआत की जाएगी. कार्यक्रम की तैयारी को लेकर जिला प्रतिरक्षण सभागार में सिविल सर्जन डॉ. उमेश शर्मा द्वारा जिला मलेरिया पदाधिकारी व अन्य अधिकारियों के साथ बैठक की गई एवं कार्ययोजना की जानकारी ली गई. इस दौरान सिविल सर्जन ने कहा कि इस अभियान को हमें शत प्रतिशत सफल बनाना है. इसके लिए सभी आशा व एएनएम को प्रशिक्षण दिया गया है. उनके द्वारा घर -घर जाकर लोगों को फाइलेरिया से बचाव के लिए एल्बेंडाजोल व डीईसी की दवा खिलाई जाएगी. कार्यक्रम में सिविल सर्जन के साथ डीएमओ डॉ. आर.पी. मंडल, भीडीसीएम रवि नन्दन सिंह, डब्लूएचओ से डॉ. दिलीप कुमार झा, केयर डिटीएल आलोक पटनायक, डीपीओ चंदन कुमार, एपिडेमियोलॉजिस्ट नीरज कुमार निराला आदि उपस्थित रहे.

40.86 लाख से अधिक लोगों को खिलाई जाएगी दवा :

आयोजित कार्यक्रम में सिविल सर्जन डॉ. उमेश शर्मा ने बताया कि फाईलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम में 14 दिनों तक चलाया जाएगा जिसमें जिले के 14 प्रखंड 1249 गांवों में 40. 86 लाख लोगों को आशा व एएनएम द्वारा दवा खिलाई जाएगी. इसके लिए जिले के दो लोगों की 1950 टीम बनाई गई है. एक टीम में दो लोग होंगे. अतः दवा वितरण के लिए जिले में 3900 लोगों को लगाया जाएगा जिसकी निगरानी के लिए 195 सुपरवाइजर भी बनाए गए हैं. टीम द्वारा घरों में जाकर 2 वर्ष से ऊपर के लोगों को फाइलेरिया से बचाव के लिए डी.ई.सी./एल्बेंडाजोल की खुराक देंगे. एल्बेंडाजोल को चबाकर खाना है. 2 से 5 वर्ष के बच्चों को डीईसी की एक गोली, 5 से 14 वर्ष को 2 गोली व उससे ऊपर उम्र के लोगों को 3 गोली दिया जाना है. साथ में सभी लक्षित वर्ग को एल्बेंडाजोल की एक दवा चबाकर खानी है। सिविल सर्जन डॉ. शर्मा ने कहा कि ये खुराक लोगों को टीम के सामने ही खानी है. ये दवा लोगों को खाना खाने के बाद लेना है. 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चे, गर्भवती महिला व गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को इस दवा का सेवन नहीं करना है. कार्यक्रम को घर-घर तक पहुँचाने के लिए सहयोगी संस्था डब्लूएचओ व केअर इंडिया द्वारा महत्वपूर्ण सहयोग किया जा रहा है. केयर के द्वारा सभी प्रखंडों में सुपरविजन व मोनिटरिंग के लिए दो सदस्यों की नियुक्ति की गई है. कोरोना के बचाव का ध्यान रखते हुए लोगों के नाखून में निशान नहीं लगाएंगी. दीवार पर मार्किंग की जाएगी जिसमें टीम नम्बर, परिवार संख्या व दिनांक लिखा जाएगा. कार्यक्रम के बाद फाइलेरिया के मरीजों की लिस्ट बनाकर फाइलेरिया, हाइड्रोसिल आदि के मरीजों की ऑपरेशन की व्यवस्था भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा करवाई जाएगी. सिविल सर्जन डॉ. उमेश शर्मा ने कहा कि कार्यक्रम का शत प्रतिशत सफलता हासिल करना हमारा लक्ष्य है. अगर किसी कारणवश कोई कमी रह जायेगी तो कार्यक्रम को 14 दिन से और आगे बढ़ाया जाएगा और शत प्रतिशत लक्ष्य जरूर हासिल किया जाएगा.

कालाजार नियंत्रण के लिए कार्यरत है स्वास्थ्य विभाग :
आयोजित कार्यशाला में डब्लूएचओ के जिला समन्यवक डॉ. दिलीप कुमार ने कहा कि जिले में कालाजार से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग कार्यरत है. कालाजार उन्मूलन के लिए भी 60 दिवसीय अभियान 16 सितंबर से जिले में चल रहा है. जिले के 14 प्रखंडों के 402 गांवों में छिड़काव करवाया जा रहा है जिसमें आवासित जनसंख्या 40.86 लाख है. जिला में छिड़काव के लिए लिए 17 हजार 402 कि.ग्रा. सिंथेटिक पयरेथोरिड का उपयोग किया जा रहा है. इसके लिए 102 टीम बनाई गई है. वर्ष 2016 में जिला में 237 कालाजार के मरीज थे, पर वर्तमान में केवल 50 मरीज ही कालाजार ग्रसित हैं. उनमें से 33 मरीज केवल बनबनखी, धमदाहा और केनगर में हीं है. कालाजार छिड़काव को भी हर घर मे करवाना सुनिश्चित किया गया है और इसमें भी स्वास्थ्य विभाग शत प्रतिशत सफलता हासिल करेगी.

लोगों को जागरूक रहना जरुरी :

डीएमओ डॉ. आर.पी. मंडल ने कहा कि फाइलेरिया, कालाजार आदि बीमारियों को जड़ से खत्म करने के लिए लोगों को जागरूक रहना जरूरी है. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा नियमित कार्यक्रम चलाया जाता है. लोगों को उसका लाभ उठाना चाहिए. लोगों को जागरूक करने में मीडिया की भूमिका भी महत्वपूर्ण है. मीडिया द्वारा नियमित चल रहे कार्यक्रमों की जानकारी लोगों तक पहुँचाती है. इससे लोग चल रही योजनाओं के साथ ही बचाव सम्बंधि उपायों का ध्यान रख सकते हैं. तभी इन सब बीमारियों को समाप्त किया जा सकता है.