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बच्चे को निमोनिया से सुरक्षित रखने के लिए घरेलू प्रदूषण से बचायें

घर में होने वाले धुंए व प्रदूषण से बच्चों को हो सकता है निमोनिया:
मच्छर भगाने वाला अगरबत्ती का धुंआ और दूसरे प्रदूषण खतरनाक:
सांस कार्यक्रम के तहत बच्चों को निमोनिया से बचाव की कवायद:
आकांक्षी जिलों में गया जिला सहित 13 अन्य जिले भी हैं शामिल:

गया(बिहार)घरेलू प्रदूषण से बच्चे निमोनिया से ग्रसित हो सकते हैं. कई बार यह देखा जाता है कि लोग मच्छर भगाने के लिए घरों में धुआँ करते है. वहीं ठंड के मौसम में भी शिशुओं को गर्मी देने के लिए आग का इस्तेमाल करते हैं. आग जलाने से काफ़ी मात्रा में धुआं होता है जो बच्चों में निमोनिया का कारण भी बनता है. बच्चे को निमोनिया से सुरक्षित रखने के लिए घरेलू प्रदूषण करने से बचना चाहिए. इस बात की जानकारी बाल स्वास्थ्य के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ वीपी राय ने दी है. अध्ययन इस बात की पुष्टि भी करते हैं कि 5 तक के बच्चों में निमोनिया मृत्यु का एक प्रमुख कारण है. इस लिहाज से निमोनिया पर प्रभावी नियंत्रण कर बच्चे में होने वाली मृत्यु दर को कम किया जा सकता है.

आकांक्षी जिला में निमोनिया से बचाव के लिए सांस कार्यक्रम:
बच्चों को निमोनिया से बचाव के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से सोशल अवेयरनेस एंड एक्शन प्लान टू नयूट्रीलाइज निमोनिया सक्सेसफुली (सांस) कार्यक्रम का शुरुआत की गयी है. कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य सभी स्वास्थ्य केंद्रों में निमोनिया प्रबंधन को सुदृढ़ करना है. बिहार में 14 जिलों में सांस कार्यक्रम संचालित की जा रही है. इनमें गया सहित 13 अन्य जिला शामिल हैं. इसको लेकर फ्रंट लाइन वर्कर्स को ट्रेनिंग भी दी गयी है. जिसमें उन्हें रोग की पूर्व में ही पहचान करने एवं मरीज की स्थिति को देखकर उनका उचित रेफेरल के विषय में जानकारी दी गयी है. यह एक अच्छी पहल है. जिससे आने वाले समय में निमोनिया पर प्रभावी नियंत्रण में सफलता मिलेगी.

निमोनिया से बचाव के लिए पीसीवी का टीकाकरण जरूरी:
डॉ राय ने जानकारी दी है कि निमोनिया से बच्चे को बचाने के लिए पीसीवी का टीका दिया जाता है. सभी लोगों को अपने बच्चे को यह टीका जरुर लगवाना चाहिए. साथ ही पेंटावेलेंट एवं मीजिल्स का भी टीका निमोनिया रोकथाम में सहायक होता है. इसलिए बच्चों को सभी टीके समय पर लगवाना चाहिए. उन्होंने कहा कि बेहतर पोषण भी निमोनिया रोकथाम में कारगर होता है. शिशु जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान की शुरुआत जरुर करनी चाहिए. इसके बाद 6 माह तक केवल शिशु को स्तनपान कराना चाहिए. इस दौरान ऊपर से पानी भी नहीं देना चाहिए. साथ ही 6 महीने के बाद स्तनपान के साथ बच्चों को संपूरक आहार शुरू कर देना चाहिए. इससे बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है एवं बच्चा निमोनिया सहित कई अन्य रोगों से भी सुरक्षित रहता है.

ऐसे बचाएं बच्चे को निमोनिया से:
• घर के अंदर किसी भी तरह से धुआं करने से परहेज करें
• बच्चे को धुएं वाली जगहों से दूर रखें
• हाथों की सफाई एवं आस-पास की सफाई पर ध्यान दें
• बच्चे में सर्दी और खांसी के लक्षण दिखने पर आशा या नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें
• सर्दी के मौसम में बच्चों को स्वेटर एवं टोपी जरुर लगायें
• धात्री माताएं शिशु को 6 माह तक नियमित तौर पर केवल स्तनपान कराएँ