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अररिया जिले के सभी आंगनवाड़ी केंद्रों पर हुआ अन्नप्राशन दिवस का आयोजन

छह माह से अधिक उम्र के बच्चों को कराया गया पूरक पोषाहार का सेवन
आंगनवाड़ी केंद्रों पर पोषक क्षेत्र की महिलाओं को दी गयी पोषण के महत्व की जानकारी

अररिया(बिहार)जिले के सभी आंगनवाड़ी केंद्रों पर मंगलवार को अन्नप्राशन दिवस का आयोजन किया गया।इस मौके सभी आंगनवाड़ी केंद्रों पर छह माह के बच्चों को पूरक पोषाहार दिया गया। साथ ही छह माह पूरे होने के बाद बच्चों के बेहतर पोषण से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी पोषक क्षेत्र की महिलाओं के बीच साझा किया गया।जानकारी अनुसार जिले के कुल 2714 केंद्रों पर अन्नप्राशन दिवस का आयोजन किया गया है।

छह माह से अधिक उम्र के बच्चों के लिये पूरक आहार का सेवन जरूरी:
आईसीडीएस डीपीओ सीमा रहमान ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि छह माह तक के बच्चों को बेहतर पोषण के लिये मां का दूध पिलाना जरूरी है। छह माह पूरा होने के बाद बच्चों को मां के दूध के साथ ऊपरी आहार दिया जाना बेहद जरूरी है।ताकि बच्चों का सर्वांगीण विकास संभव हो सके।इसे लेकर प्रत्येक महीने के 19 तारीख को सभी आंगनवाड़ी केंद्रों पर अन्नप्राशन दिवस का आयोजन किया जाता है।इस दौरान केंद्र संचालिकाओं के माध्यम से पोषक क्षेत्र की लाभुकों को आंगनवाड़ी केंद्रों द्वारा संचालित होने वाले अन्य महत्वपूर्ण योजनाओं की जानकारी दी जाती है।ताकि लोग इसका समुचित लाभ उठा सकें।

सीडीपीओ की अगुआई में हुआ अन्नप्राशन दिवस का आयोजन:
इस क्रम में शहर के आंगनवाड़ी केंद्र संख्या 341, आश्रम रोड स्थित केंद्र संख्या 340 पर सीडीपीओ अररिया तनूजा साह, पिरामल स्वास्थ्य की बीटीएम रेणु कुमारी व महिला सुपरवाइजर परमजीत कौर की अगुआई में अन्नप्राशन दिवस का आयोजन किया गया।इस क्रम में छह माह पूरा कर चुके शिशुओं को खीर खिलाकर ऊपरी आहार देने की शुरुआत की गयी।इस दौरान धात्री महिलाओं को उबाली हुई सब्जी, दलिया पोषाहर के रूप में दिया गया। सीडीपीओ तनूजा साह ने बच्चों को कुपोषण से बचाने लिये पूरक पोषाहार के महत्व की विस्तृत जानकारी दी।इस दौरान केंद्र संख्या 341 की सेविका आरती कुमारी व केंद्र संख्या 340 की सेविका पूनम कुमारी सहित पोषक क्षेत्र की दर्जनों महिलाएं मौजूद थी।

बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिये ऊपरी आहार जरूरी:

पूरक पोषाहार के महत्व की जानकारी देते हुए जिला पोषण समन्वयक कुणाल कुमार ने कहा कि छह माह तक के बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए मां के दूध का सेवन बेहद जरूरी है।इससे अधिक उम्र के बच्चों को बेहतर पोषण के लिये स्तनपान के साथ पूरक पोषाहार की जरूरत होती है। छह माह से 23 माह तक के बच्चों के लिये ये बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि छह से आठ माह तक के बच्चों को दिन में दो से तीन बार व नौ माह से 11 माह तक के बच्चों को तीन से चार बार पूरक पोषाहार का सेवन कराया जाना चाहिये।

कुपोषण के कारण प्रभावित होता बच्चों का शारीरिक व मानसिक विकास:

पूरक पोषाहार के महत्व पर चर्चा के दौरान पिरामल की बीटीएम रेणु कुमारी ने कहा कि पूरक पोषाहार के विषय में सामुदायिक जागरूकता के अभाव में बच्चे कुपोषण के शिकार हो रहे हैं। कुपोषण की वजह से बच्चों का शारीरिक व मानसिक विकास प्रभावित होता है।अति कुपोषित होने पर शिशु मृत्युदर में बढ़ोतरी होती है। इस पर प्रभावी नियंत्रण के लिये छह से आठ माह तक के बच्चों को पूरक पोषाहार के रूप में नरम दाल, दलिया, दाल-चावल, दाल-रोटी को आपस में मसलकर, मसले हुए साग व फल दिन में दो से तीन बार देना जरूरी है।नौ से 11 महीना तक के बच्चों को प्रतिदिन तीन से चार बार व 12 माह से 02 साल तक के बच्चों को घर पर पका हुआ खाना व धुले व कटे फल का हर दिन सेवन करना जरूरी है।