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शिशुओं के सर्वांगिक विकास के लिए अनुपूरक आहार जरूरी

  • 6 माह बाद से शिशुओं को दें अतिरिक्त ऊपरी आहार
  • पर्याप्त ऊपरी आहार शिशुओं के शारीरिक व मानसिक विकास में सहायक
  • आंगनवाड़ी सेविकाओं ने घर-घर जाकर कराया छः माह के शिशुओं का अन्नप्राशन

पूर्णिया(बिहार)शिशुओं के सर्वांगीण विकास के लिए स्तनपान के साथ ही उन्हें बेहतर अतिरिक्त ऊपरी आहार का दिया जाना जरूरी होता है। शिशुओं को पहले छः महीने केवल माँ का दूध देना चाहिए लेकिन इसके बाद उन्हें माँ के दूध के साथ ही पर्याप्त मात्रा में ऊपरी आहार दिया जाना चाहिए। पर्याप्त मात्रा में ऊपरी आहार के मिलने से शिशुओं के शारीरिक एवं मानसिक विकास में वृद्धि होती है। शिशुओं में कुपोषण की समस्या को कम करने के लिए सभी आंगनवाड़ी सेविका द्वारा हर महीने छः माह से ऊपर के शिशुओं को खीर खिलाकर अन्नप्राशन कराया जाता है। कोविड-19 के कारण आंगनवाड़ी केंद्र बन्द होने के कारण आंगनवाड़ी सेविकाओं ने घर-घर जाकर छः महीने से ऊपर के सभी बच्चों को अन्नप्राशन कराया और उनके परिवार को शिशु को ऊपरी आहार खिलाने की जानकारी दी।

छः माह बाद स्तनपान के साथ ही ऊपरी आहार भी जरूरी :
अन्नप्राशन दिवस पर राष्ट्रीय पोषण अभियान की जिला समन्यवक निधि प्रिया एवं परियोजना सहायक सुधांशु कुमार द्वारा संयुक्त रूप से आंगनवाड़ी क्षेत्रों का निरीक्षण किया गया। इस दौरान सुधांशु कुमार ने बताया कि छः महीने बाद से ही शिशुओं को स्तनपान कराने के साथ अतिरिक्त अनुपूरक आहार दिया जाना चाहिए। इस उम्र में शिशुओं का शारीरिक एवं मानसिक विकास तेजी से होता है इसलिए इस दौरान शिशुओं को ज्यादा आहार की जरूरत होती है। इसे ध्यान में रखते हुए सभी आंगनवाड़ी केंद्रों पर हर महीने 19 तारीख को अन्नप्राशन दिवस के रूप में मनाया जाता है जिसमें सेविकाएँ छः माह के शिशुओं को खीर खिलाकर उनका अन्नप्राशन करती हैं। इसके साथ ही अन्नप्राशन दिवस पर माता-पिता या परिजनों को सेविकाएँ शिशुओं को दिए जाने वाले अतिरिक्त आहार की जानकारी देती हैं । हर माह अन्नप्राशन दिवस सभी आंगनवाड़ी केंद्र पर आयोजित किया जाता है लेकिन वर्तमान में कोविड-19 संक्रमण के कारण सेविकाएँ घर-घर जाकर शिशुओं के अन्नप्राशन करा रही है और उनके परिजनों को अतिरिक्त आहार की जानकारी दे रही हैं ।

घर के खाद्य पदार्थों से करें अनुपूरक आहार का निर्माण :

अन्नप्राशन दिवस में राष्ट्रीय पोषण अभियान की जिला समन्यवक एवं परियोजना सहायक द्वारा जलालगढ़ प्रखंड के सरसोनी पंचायत वार्ड नम्बर 02 में क्षेत्र निरीक्षण किया व आंगनवाड़ी केंद्र संख्या 82 के क्षेत्रों का भ्रमण किया। इस दौरान जिला समन्यवक निधि प्रिया ने बताया कि शिशु के लिए प्रारंभिक आहार तैयार करने के लिए घर में मौजूद मुख्य खाद्य पदार्थों का उपयोग किया जा सकता है। सूजी, गेहूं का आटा, चावल, रागा, बाजरा आदि की सहायता से पानी या दूध में मिलाकर दलिया बनाए जा सकते हैं। बच्चे की आहार में चीनी अथवा गुड को भी शामिल करना चाहिए क्योंकि उन्हें अधिक ऊर्जा की जरूरत होती है। 6 से 9 माह तक के बच्चों को गाढे एवं सुपाच्य दलिया खिलाना चाहिए। वसा की आपूर्ति के लिए आहार में छोटा चम्मच घी या तेल डालना चाहिये। दलिया के अलावा अंडा, मछली, फलों एवं सब्जियों जैसे संरक्षक आहार शिशुओं के विकास में सहायक होते हैं।

शिशुओं के पोषाहार के लिए इन बातों का रखें ख्याल:

• 6 माह बाद शिशुओं को स्तनपान के साथ ही अनुपूरक आहार दें।
• स्तनपान के अतिरिक्त दिन में 5 से 6 बार शिशु को अतिरिक्त आहार सुपाच्य भोजन के रूप में दें।
• शिशु को मल्टिंग आहार(अंकुरित साबुत आनाज या दाल को सुखाने के बाद पीसकर) देना चाहिए।
• माल्टिंग से तैयार आहार से शिशुओं को अधिक ऊर्जा प्राप्त होती है।
• शिशु द्वारा अनुपूरक आहार नहीं खाने की स्थिति में भी उन्हें थोडा-थोडा करके कई बार अतिरिक्त भोजन खिलाना चाहिए।