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प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना के क्रियान्वयन के मामले में अररिया का राज्य में ग्यारवां स्थान

संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने व मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाना योजना का मुख्य उद्देश्य

अररिया(बिहार)प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना के क्रियान्वयन के मामले में अररिया राज्य में ग्यारहवें स्थान पर है. जिले में संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने व मातृ-शिशु मृत्यु दर के मामलों में कमी लाने के लिये केंद्र व राज्य सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं में प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना खासा महत्वपूर्ण है. योजना के तहत मातृत्व व बाल स्वास्थ्य से जुड़ी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये गर्भवती महिला व स्तनपान करने वाली महिलाओं को आर्थिक सहायता प्रदान करना है. ताकि प्रसव संबंधी जटिलताओं को कम किया जा सके. साथ ही गर्भवती महिला स्वस्थ व सेहतमंद बच्चे को जन्म दे सके. इस संबंध में जानकारी देते हुए प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना के जिला समन्वयक शोएब रूमी ने कहा कि यह योजना स्वस्थ भारत की परिकल्पना का बुनियाद है. जिले में उक्त योजना के क्रियान्वयन के मामले में तेजी से सुधार हो रहे हैं. यही कारण है कि इस मामले में राज्य स्तर पर जारी रैकिंग में अररिया ग्यारवें पौदान पर जा पहुंचा है.

वित्तीय वर्ष के दौरान 52 हजार 338 महिलाएं हुई लाभान्वित:
प्रधानमंत्री मातृत्व योजना से संबंधित जानकारी देते हुए योजना के जिला समन्वयक शोएब रूमी ने बताया चालू वित्तीय वर्ष के दौरान अब तक जिले की 52 हजार 338 महिलाएं योजना लाभ से लाभान्वित हुई हैं. जिले के सभी नौ प्रखंडों के कुल 2811 आंगनाबड़ी केंद्रों के माध्यम से इस योजना का संचालन किया जा रहा है. योजना के तहत जिला का निर्धारित लक्ष्य 42 हजार 150 की तुलना में अब तक 52 हजार 338 महिलाओं को इसका लाभ प्रदान किया गया है. मामले में जिले की उपलब्धि 124 प्रतिशत है. प्रखंडवार योजना के लाभुकों की बात करें तो अररिया प्रखंड में कुल 7238, भरगामा प्रखंड में 5695, फारबिसगंज प्रखंड में 9357, जोकीहाट प्रखंड में 4941, कुर्साकांटा प्रखंड में 3365, नरपतगंज प्रखंड में 6923, पलासी प्रखंड में 3226, रानीगंज प्रखंड में 7811 व जिले के सिकटी प्रखंड में अब तक 3785 महिलाओं को योजना लाभ उपलब्ध कराया जा चुका है.
तीन किश्तों में दी जाती है पांच हजार की सहायता राशि:
प्रधानमंत्री मातृत्व योजना से संबंधित जानकारी देते हुए योजना के जिला समन्वयक शोएब रूमी ने कहा कि ग्रामीण इलाकों के काममाजी महिलाएं प्रसव के दौरान समुचित आराम के साथ-साथ गर्भस्थ शिशु व अपने सेहत की बेहतर देखभाल व पोषण संबंधी आवश्यकतओं को पूरा कर सके इसके लिये योजना के तहत तीन अलग अलग किस्तों में पांच हजार की सहायता राशि गर्भवती महिलाओं को प्रदान की जाती है. इसके लिये गर्भधारण करने के तीन माह के दौरान गर्भवती महिलाओं को नजदीकी आंगनबाड़ी केंद्र के माध्यम से अपना पंजीकरण कराना होता है. पंजीकरण के उपरांत उन्हें एक हजार रूपये की सहायता राशि प्रदान की जाती है. गर्भधारण के छह माह से पूर्व प्रसव पूर्ण जांच के उपरांत उन्हें 2000 राशि की दूसरी किश्त प्रदान की जाती है. तीसरे किश्त के रूप में शेष 2000 रुपये का भुगतान नवजात के जन्म पंजीकरण व प्रथम चक्र का टीकाकरण पूर्ण होने उपरांत प्रदान किया जाता है.
संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिहाज से योजना महत्वपूर्ण:
प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना जिले में संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने में बेहद मददगार साबित हो रहा है. आईसीडीएस डीपीओ सीमा रहमान ने बताया कि योजना के सफल क्रियान्वयन को लेकर जिला से लेकर प्रखंड स्तर पर जरूरी प्रयास किये जा रहे हैं. इसका साकारात्मक असर दिख रहा है. इस कारण लोगों में संस्थागत प्रसव से होने वाले फायदों को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ी है. वीएचएसएनडी के दौरान खासतौर पर गर्भवती महिलाओं केा प्रसव पूर्ण संपूर्ण जांच कराने के लिये प्रेरित किया जाता है. इसके अलावा आंगनबाड़ी सेविका अपने पोषक क्षेत्र में गृह भ्रमण के दौरान गर्भवती महिलाओं को इसके लिये लगातार प्रेरित करती है. साथ ही उन्हें संस्थागत प्रसव के फायदों के प्रति भी जागरूक करती है. संस्थागत प्रसव के बाद महिलाओं को अतिरिक्त 14 सौ रूपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है.
संस्थागत प्रसव के हैं कई लाभ:
मातृ-शिशु मृत्यु दर के मामलों को कम करने व सुरक्षित प्रसव को बढ़ावा देने के लिहाजा से संस्थागत प्रसव बेहद महत्वपूर्ण है. केंद्र व राज्य सरकार के माध्यम से इसके लिये सभी सरकारी अस्पतालों में उचित प्रबंध किये गये हैं. प्रसव पीड़िता को सुरक्षित उनके घर से अस्पताल लाने व प्रसव के उपरांत उन्हें घर छोड़ने का इंतजाम किया गया है. इससे प्रसव से जुड़ी चुनौतियां व जटिलताएं काफी कम हो जाती है. विशेषज्ञ चिकित्सक व प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों की देखरेख में प्रसव होने से जच्च बच्चा की सेहत का समुचित ध्यान रखना आसान होता है. सभी जरूरी दवा व उपकरण आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं.
संक्रमण काल में प्रसव के दौरान बरते ये सावधानियां:
गर्भवती महिलाएं मास्क का उपयोग नियमित रूप से करें
थोड़े-थोड़े समयांतराल के बाद अपने हाथों की सफाई सैनिटाइजर व साबुन से करते रहे
अस्पताल आने से पूर्व प्रशिक्षित नर्स व चिकित्सक से लगातार संपर्क में रहे
आपस में बातचीत के दौरान हमेशा शारीरिक दूरी का ख्याल रखें
अपने आंख, कान, नाक मूंह आदि को बार-बार छूने से बचे