कोरोना को मात दे फिर सेवा में जुटे, कहा-हिम्मत से हारता है कोरोना
- सदर अस्पताल पूर्णिया में सेवा दे रहे 64 वर्षीय डॉक्टर वी.पी. अग्रवाल ने पेश की मिसाल
- संक्रमित हुए पर नहीं हारा हौसला, मजबूत इरादों के साथ स्वस्थ हो दोबारा लौटे कार्य पर
- आउटडोर में इलाज कराने आने वाले मरीजों को इलाज के साथ दे रहे जागरूकता के संदेश
पूर्णियाँ(बिहार)कोरोना संक्रमण के दौर में आज जब अपने भी साथ छोड़ दे रहे हैं, ऐसे में चिकित्सक धूप में छांव की तरह लोगों की सेवा कार्य में लगे हुए हैं। कई तो संक्रमण की चपेट में भी आए, लेकिन इसे मात देकर दोबारा अपने कर्तव्य निवर्हन के कार्य में लग गए। चिकित्सक को धरती पर ईश्वर का दूसरा रूप क्यों कहा जाता है, यह आज सभी को समझ में आ गया है। अगर संक्रमण काल में आम लोगों की तरह ये भी घर पर बैठ जाते तो मानव जीवन संकट में पड़ सकता था। ऐसे में अपने कर्तव्य और मानव जीवन की रक्षा के लिए चिकित्सक वैश्विक महामारी के दौर में मरीजों का हर कदम पर साथ दे रहे हैं।
पेश की सेवा भाव की मिसाल:
कोरोना काल में सदर अस्पताल पूर्णिया में गैर संचारी रोग (एनसीडी) अधिकारी के रूप में सेवा दे रहे डॉक्टर वी.पी. अग्रवाल ने अनूठी मिसाल पेश की है। संक्रमण के भय से जब लोग घर में बैठ जाते हैं, ऐसे में इन्होंने अस्पताल आकर मरीजों का उपचार किया। इसी क्रम में ये संक्रमण की चपेट में भी आ गए, लेकिन हार नहीं मानी। इन्होंने अपने बुलंद हौसले से कोरोना को मात दिया और आज स्वस्थ होकर दोबारा ड्यूटी पर लौट चुके हैं। करीब 17 दिन के होम क्वारेंटाइन में रहने और रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद ये इस बीमारी को भली-भांति महसूस कर चुके हैं और अब धीरे-धीरे खुद को पहले से ज्यादा मजबूत महसूस कर रहे हैं। इनका लक्ष्य पहले की ही भांति संक्रमण काल में अस्पताल आने वाले और बीमार लोगों की सेवा करना है। ये अस्पताल के कर्मियों के साथ-साथ आम लोगों को लगातार जागरूक भी कर रहे हैं। इनका कहना है कि भय की जगह लोग बचाव और सतर्कता के नियमों का पालन करें और अपने साथ दूसरों को भी सुरक्षित रखें। डॉक्टर वीपी अग्रवाल के पास गैर-संचारी रोग जिसमें उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग, कैंसर के मरीज शामिल हैं इलाज के लिए आते हैं।
आत्मविश्वास और जज्बा हो तो जीत सकता है कोई भी जंग :
डॉक्टर वी.पी. अग्रवाल को अब पता है कि यदि वे दोबारा संक्रमण की चपेट में आते हैं तो उन्हें कैसे स्वस्थ होना है और दूसरों को स्वयं का अपना उदाहरण देते हुए कैसे प्रेरित करना है। सेवा के भाव और स्वस्थ होने के बाद आत्मविश्वास से भरपूर इन्होंने सबसे महत्वपूर्ण बात यह कही कि ‘इस बीमारी से ग्रस्त होने के बाद व्यक्ति को हिम्मत नहीं हारनी चाहिए, अगर व्यक्ति में आत्मविश्वास और किसी भी कठिनाई से लड़ने का जज्बा हो तो वह बड़े से बड़े जंग को जीत सकता है। साथ ही कहा परिजनों का साथ इस वक्त सबसे ज्यादा जरूरी होता है, मानसिक मजबूती। इससे ही बहुत से समसयाओं का हल हो जाता है।
समाज के साथ घुलना -मिलना जरूरी:
डॉक्टर वी.पी. अग्रवाल कहते हैं कि इस वक्त चिकित्सकों, नर्सों, आशा कर्मियों और अन्य रूप से स्वास्थ्य कार्य में लगे कोरोना वारियर्स को समाज का साथ मिलना सबसे ज्यादा जरूरी है। ये या इनका परिवार संक्रमण के प्रभाव में आता है तो इन्हें हीन भावना से न देखें। यह ऐसा समय है जब कोई भी कभी भी संक्रमण की चपेट में आ सकता है, तब उनके प्रति अन्य लोगों का सकारात्मक नजरिया का होना भी जरुरी है। इसके साथ ही सरकार द्वारा बताए गयी प्रर्याप्त सतर्कता और सावधानी बरतने की भी जरूरत है। यह वक्त भय में रहने और घबराने का नहीं है बल्कि एक दूसरे का साथ देने का है।
किसी भी तरह की बीमारी को न करें अनदेखी:
डॉक्टर वी.पी. अग्रवाल कहते हैं कि जैसे-जैसे वक्त बदल रहा है कोविड-19 के कई लक्षण निकल कर सामने आ रहे हैं। हालांकि बदलते मौसम में यह जरूरी नहीं है कि आपको कोरोना हो गया हो। ये सामान्य फ्लू के भी लक्षण हो सकते हैं। लेकिन अगर समस्या बढ़ती है या आप ऐसे किसी व्यक्ति के संपर्क में आए है तो तुंरत जांच करवा लें। नियमों का सही से पालन करने, जागरूकता बरतने, सावधानी और सुरक्षित माहौल में रहने से आप सदैव सुरक्षित और स्वस्थ रहेंगे। यही मूल मंत्र है स्वयं के साथ सामाज को सुरक्षित रखने का।