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बदलते मौसम में बुजुर्ग और बीमार व्यक्ति रहें सतर्क, सतर्कता ही है बचाव का बेहतर उपाय

•पर्व के मौके पर कोरोना के प्रति जरा सी भी लापरवाही पर सकती है भाड़ी

•कोरोना बचाव के लिए जारी मानकों का करें पालन

छपरा(बिहार)बदलते मौसम में कोरोना संक्रमण को लेकर सतर्क रहना बहुत जरूरी है। मौसम बदलने के बाद बच्चे एवं बुर्जुगों की सेहत पर विशेष ध्यान देने की जरुरत है। इस दौरान रक्तचाप और मधुमेह के मरीजों को भी विशेष सावधानी की जरुरत है। इस दौरान सर्दी, जुकाम को अनदेखा करना परेशानी का सबब बन सकता है। इसको लेकर हर आयुवर्ग के लोगों को विशेष सतर्कता की आवश्यकता होती है। बुजुर्ग और बीमार व्यक्तियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। इसलिए उनमें कोरोना संक्रमण की संभावना ज्यादा रहती है। लापरवाही के कारण संक्रमण दर बढ़ सकता है। इसलिए कोरोना के प्रति सावधानी हर कदम पर जरूरी है।

सीएस सारण

कोरोना के प्रति सावधानी ही समाधान :
कोरोना के प्रति सावधानी ही अभी इसका एकमात्र समाधान है। जरा सी भी लापरवाही पूरे समुदाय के लिए भारी पड़ सकती है। खासकर तब, जब छठ व दीपावली को लेकर बाजारों में चहल पहल बढ़ गई है। ऐसे में जहां तक हो सके, भीड़ में जाने से बचना चाहिए। ऐसे में कोरोना के प्रति जरा सी भी लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। कोरोना से बचे रहने के लिए मास्क को अनिवार्य रूप से पहनना है। एक-दूसरे से मिलते वक्त दो गज की दूरी जरूरी हो। पर्व-त्यौहारों के कारण ज्यादा लोग दुकानों पर खरीदारी करने आएंगे। ऐसे में दुकानदारों को ग्राहक के साथ निश्चित दूरी रखते हुए सामान देना और कोरोना संक्रमण ना फैले, इसके लिए यत्र-तत्र थूकने से परहेज करना है। इसके अलावा अनावश्यक रूप से किसी चीज को छूने से बचना। दिन में कई बार अच्छी तरह से साबुन से हाथों को धोते रहना।

योग-व्यायाम को बनाएं जिंदगी का हिस्सा :
सिविल सर्जन डॉ माधवेश्वर झा ने बताया कि सतर्कता के साथ-साथ योग-व्यायाम और पौष्टिक आहार भी अभी के समय में बहुत जरूरी है। जाड़े में कोरोना संक्रमण से बचे रहने के लिए योग-व्यायाम और पौष्टिक आहार बहुत जरूरी है। शरीर को निरोग रखने में योग-व्यायाम का बहुत महत्व है। साथ ही जाड़े में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में दिन में 1 या 2 बार हल्दी दूध, तुलसी पत्ता, दालचीनी, अदरक, लौंग और गर्म पानी का सेवन भी लाभदायक होता है। प्राणायाम, अनुलोम-विलोम जैसे योगासन बुजुर्ग व्यक्ति घर पर रहकर भी कर सकते हैं। डॉ झा ने कहा कि समुदाय की जागरूकता से ही जिले में संक्रमण दर घटने के साथ-साथ बेहतर रिकवरी दर हासिल हुई है। सतर्क रहकर इसे बनाए रखने की जरूरत है।

कोरोना के प्रति सतर्कता को व्यवहार में उतारें :
डॉ झा के मुताबिक जाड़े में सतर्कता को अपने व्यवहार में उतार कर हम कोरोना को मात दे सकते हैं। जिला प्रशासन की ओर से ‘सजग रहें, सतर्क रहें, परंतु भयभीत न हों’ का जो मंत्र दिया गया है, लोग उसका पालन करें। जिला प्रशासन की ओर से लोगों से अपील भी की जा रही है कि जैसे ही कोरोना के लक्षण महसूस हों तो तुरंत अपने नजदीकी सरकारी अस्पताल में संपर्क करें।

कोरोना काल में इन उचित व्यवहारों का करें पालन :

  • एल्कोहल आधारित सैनिटाइजर का प्रयोग करें।
  • सार्वजनिक जगहों पर हमेशा फेस कवर या मास्क पहनें।
  • अपने हाथ को साबुन व पानी से लगातार धोएं।
  • आंख, नाक और मुंह को छूने से बचें।
  • छींकते या खांसते वक्त मुंह को रूमाल से ढकें।