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लीची के फसल को किट बीमारी से बचाने के लिए किसान बाग की सिंचाई व दवा का उचित प्रयोग करें डॉ. आरपी प्रसाद

दरभंगा(बिहार)बसंतकालीन मौसम में फलों के में मंजर व फल लगते है। इसमें अनेकों तरह से फल के पेड़ में लगे मंजर व फल पर किट फ्टिंगे हमला करते है जिससे किसान को बहुत नुकसान होता है।इन किट बीमारी से बचाव के लिए केवीके दरभंगा के कृषि वैज्ञानिक डॉ. आरपी प्रसाद ने बातचीत के क्रम में बचाव के लिए आवश्यक सुझाव व दवा के प्रयोग बताए।

डॉ. आरपी प्रसाद


लीची का फल जब लौंग के आकार का हो जाए तो फलों को गिरने से बचाने के लिए नामक हार्मोस प्लानोफिक्स 2 मिलीलीटर दवा पांच लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करें।
बगीचा में पर्याप्त नहीं बनाए रखे तथा 200,250 ग्राम यूरिया तथा 100 ग्राम से 150 ग्राम पोटास प्रति पौधा डाले।
फल मटर से बड़े आकर के होने पर फल रोधक किट से रोकथाम के लिए नीम आधारित कीटनाशी जैसे
निमबासीडिन ,कामधेनु या वर्मीवास पांच मिलीलीटर दवा एक लीटर पानी में मिलाकर व्यवहार करें।
अगर फल फटने की समस्या हो तो बारेक्स 04 ग्राम एक लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें । आवश्यकतानुसार 15 15 दिनों के अंतराल पर दो तीन बार छिड़काव करें।
बाग में नमी बनाए रखने हेतु पेड़ के पास। बाग में सिंचाई करें तथा नीम आधारित दवा का उचित मात्रा में प्रयोग करें।यदि किट का अधिक प्रकोप हो तो फल बोधक किट से बचाव हेतु इमीडाक्लोप्रिड 17.8 एस एल आधा मिलीलीटर एक लीटर पानी में मिलाकर करें तथा 15 से 20 दिनों बाद दुबारा छिड़काव करें।