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लंबी अवधि के धान का बिचड़ा तैयार करने के लिए अनुकूल समय:कृषि वैज्ञानिक

सीवान(बिहार)खरीफ की फसल में धान की खेती प्रमुखता से की जाती है। इसके लिए किसान धान का बिचड़ा तैयार करते है। नर्सरी में धान का बिचड़ा तैयार करके धान की रोपाई की जाती है। कृषि विज्ञान केन्द्र भगवानपुर हाट की वरिष्ठ वैज्ञानिक सह अध्यक्ष डॉ. अनुराधा रंजन कुमारी ने बताया कि भारत कृषि प्रधान देश होने के नाते देश में अनेक तरह की धान की किस्में उगाई जाती हैं, जिनमें से कुछ खास हैं राजेन्द्र भगवती,राजेन्द्र मसूरी, राजेन्द्र श्वेता, सहभागी, आईआर 64, इंप्रूव्ड पूसा बासमती 1 (पी 1460), जया, तरावरी बासमती, पीएचबी 71, पीए 6201, पूसा आरएच 10, पूसा बासमती 1, पूसा सुगंध 2, पूसा सुगंध 3, पूसा सुगंध 4 (पी 1121), पूसा सुगंध 5 (पी 2511), माही सुगंधा, रतना और विकास। उन्होंने बताया कि धान बिचड़ा नर्सरी में तैयार करते समय कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना पड़ता है। धान की नर्सरी लगाने के लिए चिकनी दोमट या दोमट मिट्टी का चुनाव करें। खेत की 2 से 3 जुताई कर के खेत को समतल व खेत की मिट्टी को भुरभुरी कर लें। खेत से पानी निकलने का उचित प्रबंध करें। मध्यम व देर से पकने वाली किस्मों की रोपाई जून के दूसरे हफ्ते तक करें और – जल्दी पकने वाली किस्मों की बोआई जून के दूसरे से तीसरे हफ्ते तक करें। इसके लिए 25 मई से बिचड़ा गिराने व सीधी बुआई भी शुरू कर दें। वहीं कम अवधि की प्रजाति के लिए 10 जून से बिचड़ा डालना शुरू करें। बीजजनित रोगों से हिफाजत करने के लिए बीजों का उपचार किया जाता है। बीज उपचार के लिए केप्टान, थाइरम, मेंकोजेब, कार्बंडाजिम व टाइनोक्लोजोल में से किसी एक दवा को 20 से 30 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से काम में लिया जा सकता है। थोथे (फरहा) बीजों को निकालने के लिए, बीजों को 2 फीसदी नमक के घोल में डाल कर अच्छी तरह से हिलाएं और ऊपर तैरते हलके बीजों को निकाल दें। नीचे बैठे बीजों को बोआई के लिए इस्तेमाल करें। बीजों को अंकुरित करने के बाद ही बिजाई करें। अंकुरित करने के लिए बीजों को जूट के बोरे में डाल कर 16 से 20 घंटे के तक पानी में भिगो दें। इस के बाद पानी से निकाल कर बीजों को सुरक्षित जगह पर सुखा कर बिजाई के काम में लें।