Homeदेशबिहारस्वास्थ्य

राष्ट्रीय डॉक्टर्स डे :”फ्रंट लाइन पर फैमिली चिकित्सक” थीम के तहत मनाया जाएगा डॉक्टर्स डे

मरीज़ों के प्रति समर्पित भावना से डॉ विजय ने बनाई अपनी अलग पहचान:
विगत वर्ष सबसे अधिक बंध्याकरण होने के कारण हुए थे सम्मानित: एमओआईसी
दो-दो कार्यक्रमों को छोड़ पीड़िता के साथ एम्बुलेंस में बैठकर लाए थे सदर अस्पताल: डॉ विजय कुमार
मरीज़ों के साथ सहज एवं सुलभ तरीक़े से रहते हैं उपलब्ध: प्रफुल्ल

पूर्णिया(बिहार)चिकित्सकों को समाज में उच्च दर्जा दिया गया है। जिस कारण उन्हें जिंदगी देने वाले उद्धारकर्ता के रूप में भी जाना जाता है। विगत दो वर्षों की बात करें तो वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण काल के दौरान दुनिया भर के चिकित्सकों ने अपनी जान की परवाह किए बग़ैर संक्रमित मरीज़ों का उपचार एवं सलाहकार के रूप में कार्य किया है। चिकित्सकों के इसी योगदान और बलिदान के सम्मान में पूरे विश्व में अलग-अलग तरीक़े से चिकित्सक दिवस मनाया जाता है। देश के जानेमाने प्रख्यात चिकित्सक डॉ. विधानचंद्र राय के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि देने एवं देश के सभी चिकित्सकों के सम्मान में प्रत्येक वर्ष चिकित्सक दिवस मनाया जाता है। प्रति वर्ष अलग-अलग थीम रखा जाता है लेकिन इस बार “फ्रंट लाइन पर फैमिली चिकित्सक” थीम रखा गया है। क्योंकि वैश्विक महामारी से अब हमलोग उबर चुके हैं। जिसमें चिकित्सकों ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हालांकि राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाए जाने की घोषणा केंद्र सरकार द्वारा एक जुलाई 1991 में की गई थी। कुछ इसी तरह का योगदान ज़िले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बायसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ विजय कुमार का है। उन्होंने मरीजों के प्रति समर्पित रह कर अपनी अलग पहचान बनाई है।

विगत वर्ष सबसे अधिक बंध्याकरण होने के कारण हुए थे सम्मानित: एमओआईसी
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बायसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ विजय कुमार ने बताया कि अप्रैल 2021 से मार्च 2022 तक परिवार नियोजन के तहत 980 बंध्याकरण कराया गया है। प्रसव के बाद एक सप्ताह के अंदर 26 बंध्याकरण कर ज़िले में कीर्तिमान स्थापित करने के बाद सिविल सर्जन द्वारा सम्मानित होने का गौरव भी हासिल हो चुका है। हालांकि मेरे योगदान करने से पहले उतनी अच्छी व्यवस्था या सुविधाएं नहीं थी। इसके बावजूद बेहतरीन तरीके से कार्य करने में सभी लोग एकजुट होकर मरीज़ों की सेवाएं उपलब्ध करा रहे थे। बायसी प्रखंड मुख्य रूप से टापू जैसा दिखता है क्योंकि नदियों से घिरा हुआ है। पश्चिम बंगाल के उत्तरी दिनाजपुर एवं कटिहार ज़िले के तेलता व बलरामपुर प्रखंड क्षेत्र के सीमावर्ती क्षेत्रों के निवासी भी बायसी पीएचसी आकर अपना इलाज़, प्रसव के साथ ही टीकाकरण भी कराते हैं। क्योंकि हमारे यहां स्वास्थ्य से संबंधित सभी तरह का सलाह एवं उपचार किया जाता है जिस कारण सभी लोग स्वस्थ एवं ख़ुश होकर जाते हैं। सीमित संसाधन एवं प्रशिक्षित एएनएम के सहयोग से हमारे यहां हर तरह की सुख सुविधाएं उपलब्ध रहती हैं।

दो-दो कार्यक्रमों को छोड़ पीड़िता के साथ एम्बुलेंस में बैठकर लाए थे सदर अस्पताल: डॉ विजय कुमार
जिस तरह सैनिक देश की रक्षा करते है। ठीक उसी तरह हम जैसे चिकित्सक भी देशवासियों के स्वास्थ की रक्षा करते है। जिसका उदाहरण विगत 30 दिसंबर 2021 को देखने को मिला। स्थानीय प्रखंड के अमीरगंज गांव निवासी बीरबल बोसाक की 27 वर्षीय पत्नी भारती देवी का बंध्याकरण 26 दिसंबर को स्थानीय अस्पताल परिसर में हुआ था। लेकिन 30 की सुबह में अचानक टांका के पास से अत्यधिक रक्तस्राव होने लगा तो जल्दबाज़ी में परिजनों द्वारा पीएचसी लाया गया। उस समय स्थानीय स्तर पर केयर इंडिया द्वारा टीका लगाओ ईनाम पाओ के तहत पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया गया था जिसमें स्थानीय एसडीओ सहित कई अन्य अधिकारी मौजूद थे। इसके अलावा प्रखंड मुख्यालय में विश्वान की बैठक भी अयोजित की गई थी। लेकिन इनदोनों कार्यक्रम को छोड़ कर पीड़ित महिला का अपने स्तर से इलाज कर ठीक करने की भरपूर कोशिश की गई लेकिन ठीक नहीं होने कारण बैसा सीएचसी से सरकारी एम्बुलेंस मंगाकर पीड़ित महिला एवं परिजनों के साथ उसी एम्बुलेंस में बैठ कर सदर अस्पताल आए थे। जब तक रक्तस्राव नहीं रुका तब तक खुद उक्त पीड़िता के साथ मौजूद रहे। वे कहते हैं कि क्योंकि मेरे लिए इससे बेहतर कोई सेवा थी ही नहीं।

मरीज़ों के साथ सहज एवं सुलभ तरीक़े से रहते हैं उपलब्ध: प्रफुल्ल
वहीं केयर इंडिया के तत्कालीन बीएम प्रफुल्ल कुमार ने बताया कि पीएचसी बायसी के एमओआईसी डॉ विजय कुमार ने वैश्विक महामारी कोविड-संक्रमण काल के दौरान जागरूकता के साथ ही टीकाकरण कार्य में अपनी महत्ती भूमिका निभाई है। जिस कारण शत प्रतिशत लक्ष्य को पूरा किया गया है। अपने तो ख़ुद काम करने में विश्वास करते ही है लेकिन दूसरे के द्वारा किए जाने वाले कार्यो को भी अपने से करते रहते हैं या सहयोग कर उस कार्य को पूरा कराने में हर संभव प्रयास करते। क्योंकि टीम वर्क के साथ सभी के साथ समन्वय स्थापित कर मुश्किल से मुश्किल कार्यो को निबटाते हुए ऐसा माहौल बना देते हैं कि मरीज़ों की आधी बीमारी ख़त्म हो जाती है। यही कारण है कि बंगाल एवं कटिहार के सीमावर्ती क्षेत्रों के मरीजों की संख्या रहती है। सहज एवं सुलभ व्यवहार अपनाते हुए क्षेत्र में हर समय उपस्थित दर्ज करते हैं। शायद यही कारण है कि कोई भी मरीज या अभिभावक इनसे उपचार के लिए सलाह मशवरा लेने के साथ ही पूरी तरह से आश्वस्त होकर ही जाते हैं।