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मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति और जरूरतों का विश्लेषण करना आवश्यक-प्रो. एस. खादीरावन

मोतिहारी(बिहार)स्वामी विवेकानंद सीरीज के अंतर्गत चिंतनशील संवाद आत्म निर्भर भारत के द्वितीय चरण में शैक्षिक अध्ययन विभाग महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी बिहार , शिक्षाशास्त्र विभाग उत्तर पूर्वीय पर्वतीय विश्वविद्यालय(NEHU) मेघालय तथा शिक्षा विद्यापीठ केन्द्रीय विश्वविद्यालय तमिलनाडु के संयुक्त तत्वाधान में पांच दिवसीय सार्वजनिक नीति विमर्श – 2020 का आयोजन किया गया है।आज तृतीय दिवस “मानसिक स्वास्थ्य एवं कल्याणकारी नीतियां:राष्ट्रीय सार्वजनिक नीति विमर्श ” उप विषय पर कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ कनिका दास ( शिक्षाशास्त्र विभाग, नेहु विश्वविद्यालय मेघालय) के अतिथि परिचय एवं स्वागत से हुआ। ततपश्चात प्रो० सुजाता श्रीवास्तव ( शिक्षा संकाय, एम०एस०विश्वविद्यालय बड़ौदा) का सानिध्य प्राप्त हुआ, जिसमे उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य संज्ञानात्मक अथवा मानसिक विकार की अनुपस्थिति को दर्शाता है ।

इसके बाद प्रो० एस० खादीरावन (विभागाध्यक्ष, मनोविज्ञान विभाग पेरियार विश्वविद्यालय तमिलनाडु) के अनुभवों को सुनने का अवसर मिला जिसमे उन्होंने कहा कि देश को यथा संभव व्यापक तरीके से मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति और जरूरतों का विश्लेषण करना चाहिए तथा मानसिक स्वास्थ्य की समस्या तथा उपलब्ध संसाधन का ध्यान रखना चाहिए । इसके बाद डॉ गोपाल कृष्ण ठाकुर (विभागाध्यक्ष, शिक्षाशास्त्र विभाग म०ग०अ०हि०वी० वर्धा महाराष्ट्र ) के अनुभवों को सुनने का अवसर प्राप्त हुआ जिसमें उन्होंने कहा कि एक शिक्षक कक्षा में जबाब देही और अनुसरण करे ,लेकिन उन तरीकों से नही जो तनाव और परेशानी को बढ़ावा दे । ततपश्चात डॉ संजय शर्मा (शिक्षाविद्यापीठ, हरि सिंह गौर विश्वविद्यालय) ने कहा कि स्कूल में मानसिक स्वास्थ्य की जरूरतों को संबोधित करना महत्वपूर्ण है , बच्चों एवं युवाओं के भावनात्मक या मानसिक विकार है , परन्तु सनद रहे बच्चे की समस्या बच्चे की तरह ले न कि वयस्कों की तरह । अंतिम विशेषज्ञ डॉ शिल्पी घोष ( शिक्षाशास्त्र विभाग , विश्वभारती शांतिनिकेतन ) के अनुभव सुनने का मौका मिला। उन्होंने उदबोधन में कहा कि मानसिक स्वास्थ्य समस्या आम है और अक्सर बचपन और किशोरावस्था के दौरान विकसित होती है । धन्यवाद ज्ञापन संयोजक डॉ मनीषा रानी तथा सफल संचालन डॉ रश्मि श्रीवास्तव ने किया । इस मौके पर प्रो० आशीष श्रीवास्तव, डॉ मुकेश कुमार प्रो०एस ०सी०मोमिन , प्रो० प्रशान्त पांडा, डॉ गीतम छेत्री , तथा शोधार्थी गणेश शुक्ल , इंदुबाला, अंगद सिंह, अलोकिता विशाल, रंजय पटेल, सविता, मनीष, सुनिल दुबे,रंजन विद्यार्थी नवीन , अंकिता, संजीव, तूलिका, नूतन, कंचन आदि तकनीकी माध्यमो से जुड़े हुए थे ।