Home

निमोनिया से लोगों को सतर्क रहने की जरूरत, समय रहते समुचित इलाज जरूरी

  • सर्दी में सांस सम्बंधित बीमारियों से बचाव को रहन सहन व खान-पान का रखें ध्यान-सीएस
  • नवजात शिशुओं को 12 तरह की बीमारियों से बचाने के लिए संपूर्ण टीकाकरण जरूरी
  • जन्म के समय भी शिशुओं को संक्रमण से बचाव को प्रसव कक्ष में रखते हैं 25 से 28 सेल्सियस तापमान

पूर्णियाँ(बिहार)निमोनिया सांस से जुड़ी हुई एक गंभीर बीमारी है। इसके वजह से फेफड़ों में संक्रमण फैल जाता है। लेकिन आम तौर पर यह देखा जाता हैं कि निमोनिया बच्चे, युवा या बुजुर्गों को सर्दी, खांसी या बुखार होने के बाद हीं होता है। दरअसल सर्दी के मौसम में बच्चों व बुजुर्गों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है जिससे उन्हें इस तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ता है। निमोनिया होने के बाद सबसे पहले एक्स-रे व किसी अच्छे फिजिशियन से दिखाने के बाद ही इसका उपचार किया जाता है। वैसे निमोनिया बीमारी होने के मुख्य कारणों में बैक्टीरिया, माइक्रोबैक्टेरिया, वायरल, फंगल और पारासाइट की वजह से उत्पन्न संक्रमण शामिल हैं। समय रहते इसका समुचित इलाज नहीं कराया गया तो इसका असर आसपास के साथ ही सामुदायिक स्तर पर भी हो सकता है।

सर्दियों में रहन-सहन व खान-पान का रखें ध्यान: सीएस

सिविल सर्जन डॉ उमेश शर्मा ने बताया कि निमोनिया एक तरह से सांस से जुड़ी हुई संक्रमित बीमारी है लेकिन सावधानियां बरत कर काफी हद तक इस तरह के संक्रमण से बचा जा सकता है। इसके लिए नवजात शिशु व छोटे बच्चों को रहन-सहन, रख-रखाव, खानपान के साथ ही सर्दी के मौसम में ऊनी कपड़े पहनाने के साथ ही अन्य सावधानी का ध्यान रखना जरूरी है। वर्तमान समय में हमेशा बच्चों को गर्म कपड़े पहनाने व खाने-पीने में गर्म पदार्थो का हीं सेवन करना चाहिए। इसके साथ हीं वैसे लोगों के संपर्क से भी दूर रखने की आवश्यकता है जिन्हें पहले से सांस से संबंधित कोई गंभीर बीमारी हो। इसके साथ ही बुजुर्गों सहित अन्य लोगों को भी व्यापक स्तर पर सावधानियां बरतने की आवश्यकता है।

नवजात शिशुओं को 12 तरह की बीमारियों से बचाने के लिए संपूर्ण टीकाकरण जरूरी:

सदर अस्पताल के प्रतिरक्षण केंद्र में कार्यरत एएनएम चंदा कुमारी ने बताया कि निमोनिया से बचने के लिए नवजात शिशुओं से लेकर पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों का टीकाकरण कराना बहुत ही जरूरी है। निमोनिया संक्रमण से बचाव के लिए शिशु के डेढ़ माह, साढ़े तीन माह और नौ माह तक के होने पर न्यूमोकॉकल वैक्सीन लगाना आवश्यक होता है। इसके साथ हीं नवजात शिशुओं को अन्य 12 तरह की बीमारियों से बचाव के लिए भी टीकाकरण कराना अनिवार्य है। इन बीमारियों में मुख्य रूप से पोलियो, ट्यूबर क्लोसिस(टीबी), जैपनीज़ इंसेफलाइटिस, डिप्थीरिया, टेटनस, कुकरखांसी, हेपेटाइटिस बी, एच बी इन्फ्लूएंजा, मिजिल्स, रूबेला आदि प्रमुख हैं। नवजात शिशुओं को समय पर टीकाकरण कराने से इन सभी बीमारियों से बचाया जा सकता है। क्योंकि निमोनिया संक्रमण से बचने का एकमात्र व सरल उपाय सम्पूर्ण टीकाकरण ही है।

संक्रमण से बचाव को प्रसव कक्ष का तापमान 25 से 28 सेल्सियस रखना होता है जरूरी :

सदर अस्पताल स्थित प्रसूति विभाग की प्रशिक्षित जीएनएम अंशु कुमारी ने बताया कि प्रसव केंद्र को पूरी तरह से सफाई कराने के बाद सैनिटाइ कराया जाता है। साथ ही जच्चा-बच्चा के लिए बनाए गए प्रसव गृह को वार्म चेन को मेंटेन करने के लिए 25 से 28 सेल्सियस तापमान पर रखा जाता है। जिससे कि नवजात शिशुओं को किसी तरह की कोई बीमारी नहीं हो और न ही किसी संक्रमण का शिकार हो। जन्म के बाद एक घंटे के अंदर माँ का गाढ़ा दूध पिलाना अतिआवश्यक होता है। क्योंकि ब्रेस्ट फीडिंग कराने से नवजात शिशुओं में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है जिससे किसी भी प्रकार के संक्रमण से बचाया जा सकता है।

कोविड-19 के दौर में रखें इसका भी ख्याल :

  • मास्क, ग्लब्स व कैप कवर का करें प्रयोग.
  • साबुन और पानी से प्रति आधा घंटे के बाद या अल्कोहल युक्त सैनिटाइजर से हाथों को धोएं.
  • खांसते या छींकते समय अपनी नाक और मुंह को रूमाल या टिशू से ढकें.
  • उपयोग किए गए टिशू को उपयोग के तुरंत बाद बंद डिब्बे में फेंके.
  • बातचीत के दौरान फ्लू जैसे लक्षण वाले व्यक्तियों से कम से कम 6 फीट की दूरी बनाए रखें.
  • मास्क को बार-बार छूने से बचें एवं मास्क को मुँह से हटाकर चेहरे के ऊपर-नीचे न करें.
  • बाहर से घर लौटने पर हाथों के साथ शरीर के खुले अंगों को साबुन एवं पानी से अच्छी तरह साफ करें.