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बिना परीक्षाओं के छात्रों को 10 प्रतिशत और अंकों के साथ प्रोमोट किया जाए

एमडीयू रोहतक के उपकुलपति को सौंपा ज्ञापन,किया सांकेतिक प्रदर्शन
छात्रों ने कहा,विश्वविद्यालय के पास ऑनलाइन परीक्षा लेने के नहीं है पुख्ता इंतजाम,पेन-पेपर से परीक्षा लेना छात्रों की जान से खिलवाड़
आईआईटी कानपुर-मेरठ-मुम्बई,एमिटी राजस्थान व महाराष्ट्र सरकार द्वारा बिना परीक्षाओं के छात्रों को प्रोमोट करने के तर्ज पर हरियाणा सरकार भी दे आदेश

रोहतक(हरियाणा)एनएसयूआई के प्रदेश महासचिव प्रदीप घनघस ने एमडीयू के उपकुलपति को ज्ञापन सौंपकर मांग की है कि बिना परीक्षाओं के छात्रों को 10 प्रतिशत और अंकों के साथ प्रोमोट किया जाए।एनएसयूआई नेता का कहना है कि प्रदेश में ऑनलाइन परीक्षा लेने के पुख्ता इंतजाम नहीं है ऐसे में ऑनलाइन परीक्षा का विकल्प छात्रहित में नहीं है और वही पेन-पेपर से परीक्षा लेना छात्रों की जान से खिलवाड़ है।दीपांशु का कहना है कि हरियाणा में अधिकतर इलाको में आज भी इंटरनेट की सुविधा बेहतर नहीं है।हाल ही में आईआईटी कानपुर-मेरठ-मुम्बई,एमिटी राजस्थान व महाराष्ट्र सरकार द्वारा बिना परीक्षाओं के छात्रों को प्रोमोट करने का निर्णय लिया गया है,ऐसे में हरियाणा सरकार भी इसके तर्ज पर ही यूजी,पीजी व अन्य कोर्सो के छात्रों को बिना परीक्षाओं के प्रोमोट करने के आदेश जारी करने चाहिए।इसी के साथ सीबीएल्यु भिवानी व एनआईटी कुरुक्षेत्र द्वारा भी पहले व दूसरे सत्र के छात्रों को एनएसयूआई की पुरजोर मांग उठाने के बाद प्रोमोट करने का निर्णय लिया गया है,जिसका एनएसयूआई स्वागत करती है वही फाइनल सत्र के छात्रों को भी प्रमोट करने की मांग करती है।

एनएसयूआई नेता अजय हुड्डा ने कहा कि कोविड-19 के चलते मार्च से लेकर अब तक लॉकडाउन लगा हुआ है जिसके कारण छात्रों की कक्षाएं नहीं लग पाई है और अगर डिजीटल प्लेटफार्म के माध्यम से लगी भी है तो महज औपचारिकता के लिए लगी है जिसमे व्हाट्सएप के माध्यम से कुछ पाठ्यक्रम मेटियरल भेजा गया है और देहात में रहने वाले छात्रों के पास वो भी नहीं पहुंचा।अगर सरकार इस दौरान ऑनलाइन परीक्षा भी लेती है तो हमारा इंफ्रास्ट्रक्चर इतना मजबूत नहीं है कि सभी छात्र ऑनलाईन परीक्षा दे सकें। इसलिए सरकार छात्रों को राहत देते हुए, बिना परीक्षा लिए ही अगले सत्र में 10 प्रतिशत ग्रेस अंकों के साथ प्रमोशन देने का काम कर देना चाहिए।

यूजीसी की गाइडलाइनस के बावजूद प्रदेश के छात्र असमंजस में,सरकार गम्भीर नहीं

यूजीसी द्वारा परीक्षाओं के सन्दर्भ में गाइडलाइंस दिए जाने के बावजूद हरियाणा के छात्र अभी भी अपने भविष्य की चिंता में असमंजस में है क्योंकि राज्य की भाजपा-जजपा सरकार अब तक इस ओर कोई ठोस निर्णय नहीं ले पाई है।हाल ही में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा परीक्षाएं लेने के लिए 1 जुलाई 2020 से 30 जुलाई 2020 तक के बारे में पत्र जारी किया गया है पर लेकिन ऐसे समय मे पेन पेपर से परीक्षाएं लेना छात्रों की जान से खिलवाड़ है।

ज्ञापन के माध्यम से छात्रों के मानसिक-शारीरिक स्वास्थ्य ठीक रखने की कही बात

एनएसयूआई की मांग छात्रों के मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर रखने के संदर्भ में है जिसमे 10 ग्राउंड प्रमुख है कि कोरोना के रिस्क को कम करने के लिए छात्रों को बिना परीक्षाओं के ही प्रोमोट किया जाए।इस समय छात्र तनाव में है,ऐसे में अगर उन्हें प्रोमोट किया जाए तो वह इस महामारी से लड़ने के लिए तनावमुक्त होंगे।व्हाट्सएप पर पीडीएफ भेजना कभी पाठ्यक्रम के सिलेबस को पूरा करने के बराबर नहीं हो सकता इसलिए बिना सिलेबस को पूरा किए परीक्षा लेना बिना इंक के पेन के बराबर है।ऐसे समय में हर छात्र अलग अलग परिस्थिति में है व देहात में होने के कारण अनेको छात्र ऑनलाइन कक्षाओं से भी वंचित है और यदि परीक्षाए ली गई तो छात्रों के समानता के अधिकार का भी हनन है।

देश के अनेको विश्वविद्यालयों व प्रदेशों द्वारा छात्रों को प्रोमोट किया गया है।अब विभिन्न प्रवेश परीक्षाओं में हरियाणा के छात्रों को परीक्षा में कम मौका देगा।इसके साथ ही यह संभव नहीं है कि छात्र प्रेक्टिल ज्ञान को स्क्रीन पर देखकर ले और वो भी आधा अधूरा तो उन्हें पेन पेपर परीक्षाओं के माध्यम से आंकलन करना गलत होगा।वही जो छात्र अपने प्रदेशों में गए हुए है वो वापिस हरियाणा कैसे आएंगे यह भी चिंता का विषय है,अगर आएंगे तो इसके लिए सरकार की कोई तैयारी नहि है।प्रदेश सरकार इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है। जिन छात्रों के स्वयं व घरवाले कोरोना संक्रमण से पीड़ित रहे या रिकवर हुए उनकी क्या मानसिक स्थिति होगी।

बिना परीक्षा के छात्रों को प्रोमोट करना,छात्रहित में मिसाल कायम करेगा

छात्रहित में यही मांग है कि बिना परीक्षाओं के छात्रों को प्रोमोट किया जाए क्योंकि परीक्षाए लेकर जीवन से खिलवाड़ करना सही नहीं है,इसके साथ ही ऐसी परिस्थिति में अन्य दिक्कतों से सामना करने वाले छात्रों के लिए बिना परीक्षाओं के प्रोमोट करना राज्य सरकार की ओर से एक बहुत छोटी मदद है।