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राजद के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह को दोहरे हत्याकांड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनाई उम्र कैद की सजा

बिहार: राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता और पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह को 1995 के दोहरे हत्याकांड के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार कोउम्र कैद की सजा सुनाई।अदालत ने पूर्व सांसद और बिहार सरकार को इस मामले में दो मृतक पीड़ितों के परिवारों को ₹10-10 लाख और एक घायल पीड़ित को ₹5 लाख का सहायता राशि का भुगतान करने का भी निर्देश दिया है।ज्ञात हो की वर्ष 1995 के विधानसभा चुनाव में मतदान के दिन दो लोगों की हत्या हुई थी।मार्च 1995 में सारण जिले के छपरा में दोनों की गोली मारकर हत्या कर दी गई क्योंकि उन्होंने प्रभुनाथ सिंह के सुझाव के अनुसार भोट नहीं किया था।न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ ने पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह को दरोगा राय और राजेंद्र राय की हत्या और एक महिला की हत्या के प्रयास के लिए दोषी करार दिया था। शीर्ष अदालत ने ट्रायल कोर्ट और पटना उच्च न्यायालय के आदेशों को यह कहते हुए पलट दिया कि यह मामला “हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली के असाधारण दर्दनाक प्रकरण” का मामला है। दिसंबर 2008 में एक ट्रायल कोर्ट ने सबूतों की कमी का हवाला देते हुए प्रभुनाथ सिंह को बरी कर दिया और बाद में पटना उच्च न्यायालय ने 2012 में निचले कोर्ट के फैसले को बरकरार रख दिया था। राजेंद्र राय के भाई ने बरी किए जाने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हत्या के इस मामले में कोई संदेह नहीं है कि आरोपी-प्रतिवादी नंबर 2 ( प्रभुनाथ सिंह) ने उसके और अभियोजन तंत्र के साथ-साथ पीठासीन अधिकारी के खिलाफ सबूत मिटाने के लिए हर संभव प्रयास करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पीठ ने अपने 143 पेज के फैसले में कहा, अगर हम ऐसा कह सकते हैं तो ट्रायल कोर्ट का इस्तेमाल उनकी मनमानी के एक उपकरण के रूप में किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने पटना उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया और प्रतिवादी नंबर 2 यानी प्रभुनाथ सिंह को दरोगा राय और राजेंद्र राय की हत्या के लिए धारा 302 (हत्या) के तहत दोषी करार दिया।दरअसल, साल 1995 में बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान छपरा के मशरख में 18 साल के राजेंद्र राय और 47 साल के दरोगा राय की मतदान केंद्र के पास ही गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। आरोप था कि दोनों ने ही प्रभुनाथ सिंह के कहे अनुसार वोट नहीं दिया था। बता दें कि यह वही चुनाव था जिसमें अशोक सिंह ने प्रभुनाथ सिंह को हराया था। इसके बाद प्रभुनाथ सिंह ने 90 दिनों के अंदर अशोक सिंह की हत्या करने की धमकी दी थी। 3 जुलाई, 1995 को अशोक सिंह की हत्या हो गई। यह उनके विधायक बनने का 90वें दिन था। प्रभुनाथ सिंह फिलहाल अशोक सिंह हत्याकांड में झारखंड के हजारीबाग केंद्रीय कारा में उम्र कैद की सजा काट रहे हैं।