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टीबी उन्मूलन-टीबी चैंपियन मरीजों के बीच सकारात्मक ऊर्जा के साथ सामुदायिक स्तर पर करते हैं जागरूक: सीडीओ

पारिवारिक स्थिति ठीक नहीं रहने से ऑपरेशन कराने के साथ ही मन में अजीब सी थी बेचैनी: साक्षी

एक्स्ट्रा प्लोमनरी टीबी फैलता तो नहीं है लेकिन नियमित रूप से दवा का सेवन और पौष्टिक आहार खाने से ठीक होने वाली बीमारी:

रीच इंडिया के साथ जुड़कर मरीज़ों के साथ ही डीटीसी को करती हूं सहयोग: टीबी चैंपियन

पूर्णिया(बिहार)यक्ष्मा (टीबी) रोग एक तरह से संक्रमण बीमारी है। क्योंकि नियमित रूप से दवा खाने के बजाय बीच में ही छोड़ देने से बीमारी और बढ़ जाती है। हालांकि जो लोग नियमित रूप से दवा सेवन के साथ पौष्टिक आहार लेते  हैं वैसे लोग समय से ठीक हो जाते। इस कारण वैसे ही लोगों को टीबी चैंपियन कहा जाता है। क्योंकि यही चैंपियन जिले के क्षय रोगियों और उनके परिवार के लोगों को टीबी बीमारी में दवा के प्रति जागरूक करने का काम करते है। जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ मिहिरकांत झा ने बताया कि जिला यक्ष्मा केंद्र (डीटीसी) में टीबी चैंपियन साक्षी गुप्ता कई वर्षो से कार्य कर रही हैं। पहले यह तो खुद टीबी जैसी बीमारी से ग्रसित हुई थी। लेकिन नियमित रूप से दवा और पौष्टिक आहार खाने के बाद पूरी तरह से ठीक हो चुकी हैं। ऐसे ही चैंपियन अपने उपचार के दौरान काफी सजग होते हुए दवा सेवन के दौरान अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा का ख्याल रखे हुए थे। जिस कारण अब दूसरे लोगों को जागरूक करने का काम करती हैं।

पारिवारिक स्थिति ठीक नहीं रहने से ऑपरेशन कराने के साथ ही मन में अजीब सी थी बेचैनी: साक्षी
साक्षी गुप्ता ने बताया कि विगत 10 वर्ष पूर्व मेरे दांत में दर्द की शिकायत हुई थी। दंत चिकित्सक से दिखाकर दवा खाई लेकिन ठीक नही हुआ।  चिकित्सकों से दिखाने और दवा खाने की प्रक्रिया कई महीनों तक चली थी। लेकिन ठीक नहीं हुआ। बाद के दिनों में दूसरे दंत रोग विशेषज्ञ से दिखाया तो जांच के बाद बताया गया कि दांत का ऑपरेशन करना पड़ेगा। यह बात सुन घर में मम्मी, पापा सहित सभी लोग परेशान हो गए थे। क्योंकि ऑपरेशन होने के बाद भविष्य में कोई परेशानी तो नहीं होगी। हालांकि दांत दर्द से खाने पीने में बहुत ज्यादा परेशानी हो रही थी। जिस कारण मैं बहुत कमजोर भी हो गई थी। फिर सरकारी अस्पताल के दंत चिकित्सक से मिली। उन्होंने भी ऑपरेशन ही इसका उचित इलाज़ बताया। उस बीच मैं बहुत से दंत विशेषज्ञ से मिली। हालांकि बाद में घर वाले ऑपरेशन के लिए तैयार हो गए। लेकिन मैं ऑपरेशन के लिए तैयार नहीं थीं। मन में एक अजीब सी बैचेनी, बहुत से सवाल के साथ ही पारिवारिक स्थिति उत्पन्न हो रही थी। क्योंकि मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थीं।

एक्स्ट्रा प्लोमनरी टीबी फैलता तो नहीं है लेकिन नियमित रूप से दवा का सेवन और पौष्टिक आहार खाने से ठीक होने वाली बीमारी: साक्षी
साक्षी गुप्ता ने आगे बताया कि मेरे पिता गोपालजी गुप्ता पूर्णिया के यक्ष्मा विभाग में डॉक्ट्स प्रोवाइडर थे। उन्होंने अपने कार्यालय के राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के सदस्य संजय कुमार से मेरे बारे में बताया तो उन्होंने मुझे यक्ष्मा केंद्र बुलाया और मेरी दांत की जांच की। उसके बाद उन्होंने मेरा हौसला बढ़ाते हुए एक बार टीबी की जांच कराने की सलाह दी। मुझे एफएनएसी की जांच के लिए भेजा गया। इसकी रिपोर्ट आने में चार दिन लग गए। इस बीच मैं और मेरे घरवाले काफी परेशान हो रहे थे। पता नहीं जांच में क्या आएगा। लेकिन जब जांच रिपोर्ट मिली तो उसमें टीबी की पुष्टि हो गई। टीबी की जांच रिपोर्ट आने के बाद मुझे जानकारी दी गई तो मैं बहुत ज्यादा परेशान हो गई। पूरी तरह अंदर से टूट गई थी। क्योंकि मुझे टीबी बीमारी से संबंधित कोई लक्षण भी नहीं था तो फिर मुझे टीबी बीमारी कैसे हो सकती है। फिर यक्ष्मा केंद्र के डीपीएस राजेश कुमार, संजय सर, राजनाथ झा और प्रशांत कुमार  सभी ने कार्यालय के बाहर आकर समझाते हुए टीबी के लक्षण और उपचार के संबंध में विस्तारपूर्वक समझाए। क्योंकि जांच में एक्स्ट्रा प्लोमनरी टीबी की रिपोर्ट आयी थी। लेकिन यह फैलता नहीं है। नियमित रूप से दवा का सेवन और पौष्टिक आहार खाने से ठीक हो जाता है।

रीच इंडिया के साथ जुड़कर मरीज़ों के साथ ही डीटीसी को करती हूं सहयोग: टीबी चैंपियन
साक्षी गुप्ता ने बताया कि बगैर किसी दिन दवा छोड़े नियमित रूप से खाती रही। उसके बाद पूरी तरह से स्वस्थ्य हो गई। पूरी तरह से स्वस्थ्य होने के बाद दिसंबर 2021 से रीच इंडिया संस्था से जुड़कर लोगों के बीच जागरूकता अभियान चला रही हूं। साथ ही डीटीसी में दवा लेने के लिए आने वाले मरीजों और अभिभावकों को हाथों की सफाई, दवा खाने का तरीका, रहन-सहन को लेकर जागरूक करती हूं। क्षेत्रों में जाकर डोर टू डोर भ्रमण कर परामर्श देती हूं। इसके अलावा विभिन्न विद्यालयों में जाकर स्कूली बच्चों को जागरूक करने का काम कर रही हूं।