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अतिपिछड़ा समाज के लोगों को एकजुट होकर मजबूती से अपने हक-हुकूक की लड़ाई लड़नी होगी:विधान पार्षद

पटना(बिहार)अतिपिछड़ा समाज द्वारा बिहार की राजधानी पटना के गर्दनीबाग में विजय कुमार चौधरी की अध्यक्षता में शनिवार को राष्ट्रीय अति पिछड़ा संघर्ष मोर्चा, बिहार के बैनर तले बीस सूत्री मांगों के साथ एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया गया, जिसमें बिहार के तमाम जिले से आकर लोगों ने सहभागिता की। हाल के दिनों में अत्यंत पिछड़ा समाज के लोगों के साथ जुल्म, हत्या, बलात्कार, शोषण एवं हकमारी की घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि हुई है और सरकार तथा प्रशासन मूकदर्शक बनी हुई है, जिसके फलस्वरूप अतिपिछड़ा समाज के लोगों में काफी आक्रोश है। बिहार के कोने-कोने से यह आक्रोश आंदोलन का रूप लेने लगा है। यदि समय रहते सरकार व प्रशासन द्वारा ध्यान नहीं दिया गया तो राज्यव्यापी आंदोलन भी हो सकता है। धरना प्रदर्शन का संचालन प्रो. दिलीप कुमार पाल ने किया।

अध्यक्षीय सम्बोधन में विजय कुमार चौधरी ने माँग किया कि सरकार विधानसभा, विधानपरिषद, लोकसभा एवं राज्यसभा में अतिपिछड़ा समाज का उचित प्रतिनिधित्व के लिए आरक्षण का प्रावधान करे और जननायक कर्पूरी ठाकुर को शीघ्र भारतरत्न से विभूषित किया जाए।
धरना-प्रदर्शन में शामिल हुए बिहार विधान परिषद सदस्य प्रो. रामबली चन्द्रवंशी ने अपने संबोधन में कहा कि हम अतिपिछड़ा समाज के लोगों को एकजुट होकर मजबूती से अपने हक-हुकूक की लड़ाई लड़नी होगी। अतिपिछड़ा समाज की कोई भी जाति अकेले अपने हक-अधिकार की लड़ाई नहीं लड़ सकती है और ना ही जाति-विशेष के लिए कोई कानूनी प्रावधान ही है, इसलिए सभी अतिपिछड़ी जातियों व जातिगत संगठनों के लोगों को चाहिए कि वे जाति के दायरे से बाहर आकर पूरे जमात के लिए लड़ें और सरकार को अपने एकजुटता व संख्याबल का एहसास दिला सकें। पूर्व सांसद अली अनवर ने अपने वक्तव्य में कहा कि पंचायतीराज चुनाव में अतिपिछड़ों के लिए आरक्षण बीस प्रतिशत की जगह तैंतीस प्रतिशत किया जाए। जननायक कर्पूरी ठाकुर के मूल अतिपिछड़ों का हकमारी हो रहा है। तेरह प्रतिशत सरकार हकमारी कर रही है और जो बीस प्रतिशत है उसमें भी पिछड़े वर्ग की मजबूत जातियों को शामिल करके मूल अतिपिछड़ा का प्रतिनिधित्व न के बराबर कर दिया गया है। यह हकमारी हम बर्दास्त नहीं करेंगे। प्रो. शिवजतन ठाकुर ने अपने सम्बोधन में बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार के सभी जिलों में अतिपिछड़ों के लिए छात्रावास बनाने की बात कही थी लेकिन एक दशक बीतने के बाद भी आधे जिलों में भी छात्रावास संचालित नहीं हैं। हम माँग करते हैं कि सरकार अविलंब सभी जिलों में जननायक कर्पूरी छात्रावास का निर्माण कर सुचारू रूप से संचालित कराए। जननायक कर्पूरी छात्रावास सिर्फ अतिपिछड़ों के लिए है इसलिए दूसरे वर्ग के लोगों को कमरा आवंटित न किया जाए। साथ ही अतिपिछड़ा समाज की बेटियों के लिए प्रत्येक जिले में अविलम्ब आवासीय विद्यालय खोले जाएं। पूर्व सदस्य, बिहार विधान परिषद रामबदन राय ने कहा कि सभी धर्मों की सभी जातियों की गणना की जाए और अतिपिछड़ा वर्ग को क्रीमीलेयर से मुक्त रखा जाए।

डॉ. दिनेश पाल ने कहा कि अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण कानून की तरह अतिपिछड़ा अत्याचार निवारण कानून बनाया जाए क्योंकि वर्तमान समय में अतिपिछड़ा के लोग सर्वाधिक प्रताड़ित किये जा रहे हैं। संचालन करते हुए डॉ. दिलीप कुमार पाल ने कहा कि सरकारी नौकरियों में बैकलॉग की सीटों को चिन्हित कर अविलंब भरा जाए एवं निजी संस्थानों व प्रतिष्ठानों में भी आरक्षण लागू किया जाए। विनोद बिहारी मण्डल ने कहा कि विडम्बना है कि, भारत सरकार द्वारा अक्टूबर 2017 में राष्ट्रीय स्तर पर अतिपिछड़ा वर्ग की पहचान के लिए रोहिणी आयोग का गठन किया, जिन्हें 6 माह में रिपोर्ट देना था, लेकिन 11 बार सिर्फ आयोग का समय ही बढ़ाया गया है। रोहिणी आयोग के आंतरिक रिपोर्ट के अनुसार ओबीसी की 3743 जातियों में से 1694 जाति के लोगों को कोई लाभ नहीं मिल सका। ओबीसी की सिर्फ 32 जातियां ही मंडल का 97% हिस्सा खा रही हैं। ओबीसी की 97 जातियां ही मंडल का 75-90 % हिस्सा खा रही हैं। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर बिहार की तरह पिछड़ा और अतिपिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण लागू करने की मांग की। उपर्युक्त वक्ताओं के अतिरिक्त नवीन कुमार प्रजापति, श्याम नन्दन ठाकुर, अजय भाष्कर चौहान, अजय कानू, महेन्द्र भारती, विनोद चंद्रवंशी, विजय कुमार राय, दिवाकर शर्मा, मुन्ना मालाकार, मो. उस्मान, हिसामुद्दीन अंसारी, वीरेंद्र निषाद, रंजन निषाद, सरिता रानी बिंदु, नीतू सिंह निषाद आदि वक्ताओं ने भी सम्बोधित किया।