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सदर अस्पताल मधेपुरा में प्रसव पीड़ा बढ़ाने वाले इंजेक्शन का उपयोग पूर्णतया है प्रतिबंधित

जन्म लेते ही बच्चे का रोना होता है बहुत जरुरी : डॉ डी.पी. गुप्ता

जन्म के बाद शिशु के नहीं रोने से बर्थ एसफिक्सिया की होती है संभावना

बर्थ एसफिक्सिया में बच्चे के मस्तिष्क तक ऑक्सीजन सप्लाई हो जाती है अवरुद्ध,मौत होने का होता है खतरा

मधेपुरा(बिहार)जन्म के बाद बच्चा स्वस्थ और सामान्य है इसके लिए जन्म लेते ही बच्चे का रोना बहुत जरूरी होता है। तभी यह पता चलता है कि बच्चा स्वस्थ और सामान्य है। यह कहना है सदर अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ डी.पी. गुप्ता का। वह कहते हैं कि कई प्रसव के दौरान कुछ जटिलताएं पैदा हो जाती हैं जिससे शिशु कई बार जब जन्म लेने के तुरंत नहीं रोते हैं।ऐसी स्थिति में बच्चे को डॉक्टर उल्टा करके नितंब और कमर पर हल्के हाथों से थपथपाते हैं, हिलाते हैं ताकि बच्चा रोए। जब बच्चे नहीं रोते हैं, तो उस स्थिति में बर्थ एसफिक्सिया का खतरा बढ़ जाता है। इस स्थिति में बच्चे के मस्तिष्क तक ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता है। इससे उसकी मौत भी हो सकती है। ये स्थिति प्रसव पीड़ा के दौरान पैदा होती है।

बर्थ एसफिक्सिया हो सकता है मौत का करण:
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ डी.पी. गुप्ता कहते हैं कि बर्थ एसफिक्सिया को पेरीनेटेल एसफिक्सिया और न्यूनेटेल एसफिक्सिया भी कहा जाता है। यह बच्चे को जन्म के तुरंत बाद होता है, जब ऑक्सीजन बच्चे के मस्तिष्क तक नहीं पहुंच पाता और बच्चे को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। ऑक्सीजन न लेने के कारण बच्चे के शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और शरीर में एसिड का स्तर बढ़ जाता है। यह जानलेवा हो सकता है। इसलिए तुरंत इलाज की आवश्यकता होती है। जब स्थिति बहुत गंभीर न हो तो बच्चा जल्द ही बर्थ एसफिक्सिया से रिकवर कर जाता है। जबकि गंभीर मामलों में बर्थ एसफिक्सिया के कारण बच्चे का मस्तिष्क और अंग स्थाई रूप से खराब हो सकते हैं।

ऑक्सीटोसिन का इंजेक्शन है ज़्यादा खतरनाक: डॉ डीपी गुप्ता
सदर अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ डी.पी. गुप्ता बताते हैं कि सामान्यतः प्रीमैच्योर बच्चों में बर्थ एसफिक्सिया इसका रिस्क ज्यादा हेाता है। इसके अलावा जिन गर्भवती महिलाओं को डायबिटीज मेलिटस या प्रीक्लेम्पसिया है, उनमें भी इसका रिस्क काफी ज्यादा होता है। वह आगे बताते हैं कि गर्भवती महिलाओं को लेवर पेन कम कराने के लिए बिना डॉक्टर की देखरेख में ऑक्सीटोसिन जैसी दवाइयों का उपयोग करना भी बर्थ एसफिक्सिया का कारण बन सकता है। वह बताते हैं कि सदर अस्पताल में ऐसी दवाओं का उपयोग पुर्णतः प्रतिबंधित है। सदर अस्पताल में गर्भवती महिलाओं का प्रसव डॉक्टर एवं प्रशिक्षित नर्स की देखरेख में किया जाता है।

क्या है बर्थ एसफिक्सिया के कारण:

बर्थ एसफिक्सिया होने के कई कारण हैं। यह गर्भवती महिला या गर्भ में पल रहे भ्रूण से संबंधित हो सकते हैं।

अम्बिलिकल कार्डप्रोलैप्स यानी नाभि गर्भनाल का आगे की ओर बढ़ जाना। यह स्थिति तब होती है जब गर्भनाल शिशु से पहले गर्भाशय ग्रीवा को छोड़ देती है।

अम्बिलिकल कार्ड में संकुचन।

मेकोनियम एस्पिरेशन सिंड्रोम। यह सिंड्रोम तब होता है जब बच्चा एमनियोटिक द्रव और मेकोनियम के पहले मिश्रण को इनहेल करता है।

समय से पूर्व जन्म- 37 सप्ताह से पहले जन्मे शिशु के फेफड़े पूरी तरह विकसित नहीं हो पाते हैं। यही कारण है कि समय से पूर्व जन्म लेने वाले बच्चों को सांस लेने में दिक्कत होती है।

एमनियोटिक द्रव एम्बोलिज्म। हालांकि, यह एक दुर्लभ स्थिति है, पर बहुत गंभीर है। इसके तहत एमनियोटिक द्रव गर्भवती व्यक्ति के खून में प्रवेश कर जाता है, जिससे एलर्जी रिएक्शन हो जाता है। यह बच्चे के लिए काफी घातक है।

समय से पूर्व गर्भनाल का गर्भाशय से अलग हो जाना है।
प्रसव के दौरान संक्रमण।

प्रसव के दौरान मां को काफी ज्यादा मुश्किल होना।

गर्भावस्था में हाई या लो ब्लड प्रेशर।

बच्चे में एनीमिया होने के कारण उनके शरीर की रक्त कोशिकाओं द्वारा ऑक्सीजन को पर्याप्त मात्रा में सप्लाई नहीं कर पाना।

गर्भवती महिला के रक्त में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन का नहीं होना।