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मिशन इन्द्रधनुष 2.0 अभियान के अंतिम चरण की सिविल सर्जन ने की शुरुआत

3689 बच्चे एवं 574 गर्भवती महिलाओं का किया जाएगा टीकाकरण
2 मार्च से 16 मार्च तक चलेगा विशेष टीकाकरण अभियान

टीकाकरण के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में चलाया जा रहा जागरूकता अभियान

पूर्णियाँ(बिहार)जिले में विशेष टीकाकरण अभियान के अंतर्गत मिशन इंद्रधनुष अभियान के अंतिम चौथे चरण की शुरुआत सोमवार को जिले के सिविल सर्जन डॉ मधुसूदन प्रसाद ने जिले के अमौर प्रखंड के फकीर टोली में बच्चों को टीका लगाकर किया.
इस मौके पर सिविल सर्जन डॉ प्रसाद ने कहा कि जिले के 6 प्रखंडों बायसी, डगरुआ, बैसा, अमौर, धमदाहा व पूर्णियाँ पूर्व के शहरी इलाकों में मिशन इंद्रधनुष 2.0 अभियान चलाया जा रहा है. इसमें 0 से 2 वर्ष के सभी बच्चों व गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया जा रहा है जो नियमित टीकाकरण में शामिल नहीं हो सके हैं. इस टीकाकरण से 12 जानलेवा बीमारियों से बच्चों व गर्भवती महिलाओं की जान बचाई जा सकती है. अंतिम चरण के लिए चिन्हित क्षेत्रों के 138 एएनएम, 138 आशाओं व 138 सेविकाओं द्वारा अपने क्षेत्र के लोगों को टीकाकरण स्थल व इससे से होने वाले फायदों की जानकारी भी दी जा रही है. इस दौरान उन्होंने आशा फेसिलेटर को घर घर जा कर बच्चों एवं माताओं को नियमित टीकाकरण करने के लिए प्रोत्साहित करने का निर्देश दिया.

अंतिम चरण में 3689 बच्चे एवं 574 गर्भवती माताओं को टीका:

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ सुभाष चन्द्र पासवान ने बताया कि अभियान में 0 से 2 वर्ष के 3689 बच्चों एवं 574 गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया जाएगा, व इसके लिए अंतिम चरण में कुल 350 सत्र चलाया जाएगा. इसमें बायसी में 79 सत्र में 795 बच्चे 149 महिलाएं, डगरुआ में 69 सत्र में 822 बच्चे व 117 महिलाएं, धमदाहा में 45 सत्र में 418 बच्चे व 61 गर्भवती महिलाएं, बैसा में 68 सत्र में 516 बच्चे व 126 महिलाएं, अमौर में 51 सत्र में 622 बच्चे व 62 महिलाएं व पूर्णियाँ पूर्व 38 सत्र में 516 बच्चे व 59 गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया जाएगा.

12 जानलेवा बीमारियों से बचाता है टीका: यूनिसेफ के एसएमसी मुकेश कुमार ने कहा कि बच्चों व गर्भवती महिलाओं को नियमित टीकाकरण बहुत जरूरी होता है. यह 12 तरह की जानलेवा बीमारियों से उनकी रक्षा करता है. इसमें टीवी/तपेदिक, पोलियो, हेपेटाइटिस बी, डिप्थीरिया/गलघोंटू, टेटनस, काली खांसी, हिमोफिलस इन्फ्लूएंजा(हिब), निमोकोकल निमोनिया, रोटा वायरस डायरिया, खसरा, रुबैला व जापानी इंसेफेलाइटिस(जेई) शामिल है. यह बच्चों व गर्भवती महिलाओं के लिए घातक है जिसके लिए टीकाकरण बहुत जरूरी है. डॉ पासवान ने इस दौरान क्षेत्र से आए बच्चों के अभिभावकों को टीकाकरण संबंधित जानकारी दी. गर्भवती महिलाओं को भी उन्होंने शिशु का जन्म अस्पताल में ही करने की सलाह दी एवं वहां से मिलने वाले सरकारी सहायताओं की भी जानकारी दी.

क्षेत्रों में फैलाई जा रही है जागरूकता :
बीएचएम डॉ सुधांशु शेखर झा ने कहा इस अभियान के लिए चिन्हित क्षेत्रों में जागरूकता फैलाई जा रही है. इसके लिए आशा फेसिलेटर, आशाएं व आंगनवाड़ी सेविकाओं अपने क्षेत्र के लोगों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी पत्रिका दे रही हैं, जिसमें टीकाकरण से होने वाले फायदों के बारे में जानकारी उपलब्ध है. इसके अलावा टीकाकरण के दिन भी क्षेत्र की सेविकाओं एवं आशा द्वारा क्षेत्र के लोगों को बुलाकर टीकाकरण करवाया जा रहा है.

टीकाकरण के दौरान एपिडेमियोलॉजिस्ट नीरज कुमार निराला, पीएचसी प्रभारी डॉ एहतमामूल हक, बीएमसी उत्सव कुमार, बीसीएम मुकेश कुमार, एएनएम गीता कुमारी, स्थानीय मुखिया अफाक आलम सहित अन्य ग्रामीण उपस्थित रहे.

ध्यान रखें कि :

• 30 मिनट तक टीकाकरण स्थल पर बैठे, जिससे कि रिएक्शन होने पर तुरंत इलाज किया जा सके.
• एएनएम द्वारा दिये जा रहे टीका व संबंधित बीमारी की जानकारी प्राप्त करें.
• अपने बच्चे की अगले टीकाकरण की जानकारी जरूर लें.
• टीकाकरण के बाद बच्चे को दर्द बुखार या अन्य लक्षण है तो तुरंत अपने क्षेत्र के आशा व एएनएम से संपर्क करें.
• टीकाकरण कार्ड हमेशा संभालकर रखें. वह आपके बच्चे के स्वास्थ्य संबंधित जानकारी के लिए जरूरी है.