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देश के उच्च प्रजनन दर वाले 146 जिलों में गर्भ निरोधक और परिवार नियोजन सेवाओं की पहुंच बढ़ाने में मिशन परिवार विकास अभियान दे रहा महत्वपूर्ण योगदान

पटना 2 मार्च: राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रमों में गति लाने के लिए सरकार कई स्तर पर प्रयास कर रही है. यह कार्यक्रम नीति और वास्तविक कार्यक्रम क्रियान्वयन के दृष्टिकोण से बड़े बदलाव के दौर में है और इसकी नई प्रस्तुति का मकसद न केवल जनसंख्या स्थिरीकरण के लक्ष्यों को प्राप्त करना है, बल्कि प्रजनन स्वास्थ्य को बढ़ावा देना और मातृ, शिशु और बाल मृत्यु दर और बीमारी भी कम करना है। इस कार्यक्रम के तहत मंत्रालय स्वास्थ्य व्यवस्था के विभिन्न स्तरों पर परिवार नियोजन की विभिन्न सेवाएं प्रदान करता है और हाल ही में महिलाओं के लिए उपलब्ध विकल्पों का भी विस्तार किया गया है.

देश के कुल उच्च प्रजनन दर वाले 146 जिलों में मिशन परिवार विकास की शुरुआत:

3 और उससे अधिक कुल फर्टिलिटी रेट (टीएफआर) यानी कुल प्रजनन दर वाले 7 राज्यों के उच्च फर्टिलीटी रेट वाले 146 जिलों में गर्भ निरोधक और परिवार नियोजन सेवाओं की पहुंच बढ़ाने के लिए नवंबर 2016 में मिशन परिवार विकास की शुरुआत की गयी. ये जिले उत्तर प्रदेश (57 जिले ), बिहार (37 जिले), राजस्थान (14 जिले), मध्य प्रदेश (25 जिले), छत्तीसगढ़ (2 जिले), झारखंड (9 जिले) और असम (2 जिले) के हैं, जो देश का 44 प्रतिशत हिस्सा है. इस कार्यक्रम के तहत दो नवीन गर्भनिरोधक साधन ‘अंतरा’ और ‘छाया’ की भी इन 7 राज्यों में शुरुआत की गयी. जिसमें अंतरा दी जाने वाली इंजेक्शन है एवं छाया गोली है. साथ ही परिवार नियोजन पर आम जागरूकता बढ़ाने के लिए सास-बहू सम्मलेन की भी शुरुआत की गयी.

राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम की उपब्धियाँ:

• वित्त वर्ष 2019-20 (जनवरी, 2020 तक) देश भर में कुल 19,44,495 पीपीआईयूसीडी( प्रसव के बाद कॉपर टी) लगाने की रिपोर्ट दर्ज की गई. पीपीआईयूसीडी स्वीकृति दर 16.5 प्रतिशत रही है.
• मिशन परिवार विकास अभियान के तहत चिन्हित 7 राज्यों के 146 जिलों में 4.66 लाख महिलाओं ने पीपीआईयूसीडी का इस्तेमाल किया

• मिशन परिवार विकास अभियान के तहत वित्त वर्ष 2019-20 (जनवरी, 2020 तक) पूरे देश में कुल गर्भ निरोधक सुई ‘ अंतरा’ के 15,58,503 डोज़ दिए गए
• मिशन परिवार विकास अभियान के तहत वित्त वर्ष 2019-20 (जनवरी, 2020 तक) में सेंट्रोक्रोमन यानी छाया गर्भनिरोधक गोली की कुल 14,05,607 स्ट्रिप्स देने की रिपोर्ट दर्ज की गई हैं • मिशन परिवार विकास अभियान के तहत 1.3 लाख सास-बहू सम्मलेन का आयोजन हुआ
• मिशन परिवार विकास अभियान के तहत आशा द्वारा 2.5 लाख नई पहल किट वितरित की गयी

पीसी-पीएनडीटी एक्ट को किया गया और सशक्त:

गर्भधारण-पूर्व एवं प्रसव-पूर्व निदान तकनीक अधिनियम यानी पीसी-पीएनडीटी 1994 भारत का संसदीय कानून है जो कन्या भ्रूण हत्या और भारत में गिरते लिंग अनुपात रोकने के लिए लागू किया गया है.

एक्ट की कुछ महत्वपूर्ण बातें :

• पीसी एवं पीएनडीटी एक्ट, 1994 के तहत केंद्रीय पर्यवेक्षक बोर्ड (सीएसबी) का पुनर्गठन किया गया है. 11 अक्टूबर, 2019 को 27 वीं सीएसबी बैठक की गई

• राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों की त्रैमासिक प्रगति रिपोर्ट (क्यूपीआर) सितंबर 2019 के अनुसार पीसी एवं पीएनडीटी एक्ट के तहत 67,084 निदान केंद्र के नाम दर्ज किए गए. इस कानून के उल्लंघन के लिए अब तक कुल 2,220 मशीनें सील और जब्त की गई हैं. कानून के तहत जिला के उपयुक्त अधिकारियों ने अदालतों में कुल 3,057 मामले दायर किए गए हैं और अब तक 607 दोषियों पर आरोप तय किए जा चुके हैं. आरोप तय होने के बाद 142 डॉक्टरों के मेडिकल लाइसेंस निलंबित / रद्द कर दिए गए हैं.

• वित्त वर्ष 2019-20 (नवंबर 2019 तक) में तेलंगाना, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, कर्नाटक, दिल्ली और झारखंड सहित विभिन्न राज्यों में राष्ट्रीय निरीक्षण एवं निगरानी समिति (एनआईएमसी) के 9 दौरे हुए हैं
• वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान 9 राज्यों – बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल में जिला के उपयुक्त अधिकारियों और पीएनडीटी नोडल अधिकारियों के लिए क्षमता विकास कार्यशालाएं आयोजित की गईं

• राष्ट्रीय न्यायिक अकादेमी के माध्यम से न्यायपालिका को इस दिशा में उन्मुख और संवेदनशील बनाने का प्रयास किया जा रहा है. राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी ने इस वर्ष 11 राज्यों को शामिल कर 35 जिला न्यायाधीशों के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया

• पीसी एवं पीएनडीटी एक्ट का उल्लंघन करते हुए इंटरनेट पर लिंग-चयन के विज्ञापन पर रोकथाम और निगरानी के उद्देश्य से मंत्रालय नोडल एजेंसी के माध्यम से सक्रियता से कार्यवाही कर रहा है। मंत्रालय ने जनवरी से जून 2019 तक इंटरनेट से ऐसे विज्ञापन हटाने के लिए सर्च इंजनों को कुल 577 शिकायतें भेजीं

• वित्त वर्ष 2019-20 (नवंबर 2019 तक) में ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार, असम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, मेघालय, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, चंडीगढ़, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और सिक्किम सहित 22 राज्यों के लिए कार्यक्रम की समीक्षा बैठकें आयोजित की गईं