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युवाओं की अपील, जन जागरूकता से ही लगेगा कोरोना वायरस पर लगाम

परिवार, समाज और सोशल मीडिया के माध्यम से कर सकते हैं नियमों के पालन करने की अपील
• आपसी समन्वय है बेहद जरूरी, एक-दूसरे की सुरक्षा का सबको रखना होगा ख्याल
• संक्रमण काल में समाज व राष्ट्र की सुरक्षा का दायित्व समझना होगा

पूर्णियाँ(बिहार)कोरोना संक्रमण काल में कई नये-नये मामले सामने निकल कर आ रहे हैं। सरकार अपने स्तर पर तो जागरूकता के लिए कार्यक्रम चला रही है, लेकिन इससे कहीं ज्यादा जरूरी है आम लोगों का जागरूक रहना। लॉकडाउन के मध्य जनजीवन सामान्य रूप में लौट रहा है. इसको लेकर सरकार ने नियमों में आवश्यक छूट भी दे रखी है। हालांकि, इस दौरान कई जगहों पर लोगों की लापरवाही भी देखी जा रही है, खासकर बाजार और सड़कों पर। ऐसी स्थिति संक्रमण रोकथाम की चुनौतियों को बढ़ा सकती है. ऐसे दौर में समाज के सबसे बड़े तबके यानी युवा वर्ग को आगे आने की जरूरत है, क्योंकि इनकी भागीदारी के बिना जागरूकता अभियान की रफ़्तार धीमी पड़ सकती है.

समाज के हर एक व्यक्ति को अपना दायित्व समझना होगा:

स्थानीय युवा साहित्यकार अतुल मल्लिक ‘अनजान’ कहते हैं बाजार में लोगों की लापरवाही लगातार देखी जा रही है। लोगों को सोचना होगा कि ऐसा करने से वह संक्रमण को निमंत्रण दे रहे हैं। सरकार के दिशानिर्देशों का सही से पालन नहीं करना और संक्रमण को लेकर असावधानी बड़ी परेशानी खड़ी कर सकती है। आज नये मामलों में वहां से भी संक्रमित सामने आ रहे हैं, जहां इसकी संभावना नहीं थी। संक्रमण के बढ़ते प्रभाव को कम करने के लिए जागरूकता और सतर्कता ही एकमात्र उपाय है. यह संक्रमण काल पता नहीं कब खत्म होगा. इसलिए यह सोचना ठीक नहीं की कभी कभार नियमों की अनदेखी से कुछ नहीं होगा। हर एक व्यक्ति परिवार और समाज के निर्माण में भूमिका अदा करते हैं.इसलिए समाज के हर एक व्यक्ति को अपना दायित्व समझना होगा और इस संक्रमण के विपदा को खत्म करने के लिए पहल करनी होगी।

थोड़ी से लापरवाही पड़ सकती है भारी:
मधुबनी काली स्थान, पुर्णिया टाउन के हरे कृष्ण प्रकाश बताते हैं, यह ऐसा वक्त है जब कोरोना वायरस के संक्रमण से कोई भी और कभी भी संक्रमित हो सकता है. थोड़ी सी भी लापरवाही भारी पड़ सकती है. लोग अमूमन ख़ुद की सुरक्षा से अधिक अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंतित होते हैं. ऐसे में जब कभी भी नियमों की अनदेखी करें यह जरूर सोच लें कि आपकी छोटी सी लापरवाही कहीं आपके परिवार की सुरक्षा के लिए भारी न पड़ जाए. लॉकडाउन एक के बाद जब पहली बार बाजार और दुकान खुले तो घरों से वहीं लोग बाहर निकलते थे, जिन्हें ज्यादा जरूरत होती थी। घरेलू और किराना सामान लेने के लिए भी तय समय पर और कम संख्या में लोग निकलते थे। शारीरिक दूरी और मास्क का पूरा ख्याल रखते थे। लेकिन आज शायद इसे संक्रमण के भय का खत्म हो जाना कहें या कुछ और लोग पहले जैसी सतर्कता नहीं बरत रहे हैं। बाजार में अब अक्सर भीड़ लग जा रही है। सड़कों पर भी लोग आराम से घूमते हुए नजर आ रहे हैं। ऐसी अनदेखी न हो। वक्त है सजग रहने का। इसमें युवाओं के साथ परिवार और समाज को आगे आकर सम्रग भूमिका अदा करनी होगी।

नियमों के पालन में स्वयं देना होगा योगदान:
चूनापुर हवाई अड्डा रोड के युवा व्यवसायी शानू रॉय कहते हैं देश में युवाओं की संख्या सबसे ज्यादा है। चाहे व्यवसाय हो, शिक्षा या कोई अन्य कार्य सभी जगह अपने कार्यों से युवा अपनी एक अलग छाप छोड़ते हैं। कोरोना काल में अगर युवाएं लोगों को जागरूक करने का ये प्रण लें तो अवश्य ही इसका सकारात्मक प्रभाव समाज पर पड़ेगा। उन्होंने बताया लोगों को समझना होगा कि कोरोना के संक्रमण से बचने का सबसे बड़ा हथियार शारीरिक दूरी और मास्क का प्रयोग ही है. इसमें अनदेखी महंगी पड़ सकती है। हम तभी तक सुरक्षित हैं जबतक की हमारा समाज सुरक्षित है। समाज के विकास में सबकी भागीदारी रहती है, इसलिए प्रत्येक व्यक्ति का जागरूक रहते हुए नियमों का पालन स्वयं करना होगा और इसके लिए दूसरों को भी जागरूक करने की कोशिश करनी होगी.