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जलवायु के अनुकूल कृषि को अपना किसान हुए मालामाल

आलू गेहू के मिश्रित खेती से किसानों को हुई प्रॉफिट

महाराजगंज में प्रति एकड़ 12 टन आलू का रिकॉर्ड उत्पन्न

सीवान(बिहार)जिले के महाराजगंज प्रखंड के खेदू छपरा और दरौंदा के रामगढा में कृषि विज्ञान केंद्र के द्वरा जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के अंतर्गत पूर्व से होती आ रही आलू मक्का की खेती में नए प्रयोग के तौर पर इस वर्ष किसानों ने गेहूं और आलू का मिश्रित खेती किया था।जिसमे आलू का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है।और गेहूं का बम्पर उत्पादन होने की सम्भावना है।महाराजगंज प्रखंड के खेदू छपरा गांव के किसान प्रताप कुमार सिंह,सत्यदेव सिंह,योगेन्द्र सिंह,ललन मांझी सहित अन्य किसानों ने 48 एकड़ प्रयोग के तौर पर आलू के साथ मक्का न लगाकर गेहू के साथ आलू लगया था।

जिसमे 12 टन प्रति एकड़ आलू का रिकॉर्ड उत्पादन दर्ज हुआ है।जिसमे कृषि विज्ञान केंद्र भगवानपुर हाट के द्वारा जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के तहत आलू का बीज प्रभेद चिपसोना एवं कुफरी सिंदूरी उपलब्ध कराया गया था एवं फार्मर फेस एग्रीकल्चर तकनॉलाजी एवं रिसर्चर इंस्टीट्यूट हिलसर भगवानपुर हाट के द्वारा तकनीकी प्रशिक्षण, फसल संरक्षण और पोषक तत्व प्रबंधन कराया गया था।इस संबंध में फार्मर फेस के सीईओ एमएम सिंह ने बताया कि किसानों को नई तकनीक के माध्यम से आलू और गेहू की खेती करने में कृषि लागत 25 प्रतिशत कम हो जाती है एवं फसल मिश्रित होने के कारण जहा आलू की फसल में सितलहर का प्रकोप कम होता है।जिस कारण गलका रोग से आलू का पूर्ण प्रबंधन हो जाता है एवं आलू निकालते समय आलू की लाइन की मिट्टी गेहू के जड़ो को मिल जाती है।

जिससे गेहू के फसल को अधिक मजबूती प्रदान करती है।जिससे पछ्या या पुरवा हवा के दबाव का प्रभाव पौधे पर नहीं पड़ता है।वही एकल सफाई में दोनों फसलों को सामान्य लाभ प्राप्त होता है।साथ ही घोपरास और जंगली सुअर फसल को नुकसान कम कर पाते है।किसान प्रताप कुमार सिंह व ललन मांझी ने बताया कि नई तकनीक खेती करने से किसान को आलू के उत्पादन अधिक और लागत कम हुआ है।वही किसानों के फसल का उचित संरक्षण मिलने के कारण किसान आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे है।कृषि वैज्ञानिक सरिया यादव ने बताया कि किसानों के इस नए प्रयोग में शुरुआत से उत्पादन तक हम लोगों ने बीज उपचार, बोआई,सिचाई, रोग प्रबंधन इत्यादि में समय समय पर ख्याल रखते रहे और रिकार्ड उत्पादन होने पर हमें काफी खुसी हो रही है।इस नवीनतम प्रयोग का उपयोग कर अगले वर्ष किसान एक हजार एकड़ में फसल लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ विज्ञान सह अध्यक्ष डॉ. अनुराधा रंजन कुमारी ने बताया कि एक कट्ठा में 628 किलो का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है।जिसमे आलू का प्रभेद कुफरी सिंदूरी और कुफरी चिपसोना एक कट्ठा में 570 किलो का उत्पादन हुआ है।